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GST स्लैब घटाने से लेकर लेटरल एंट्री तक इन मुद्दों पर पीछे हटी मोदी सरकार, पढ़िए राहुल गांधी ने 8 साल पहले क्या कहा था?

GST स्लैब घटाने से लेकर लेटरल एंट्री तक कई मुद्दों पर मोदी सरकार बैकफुट पर आई है। 8 साल पहले राहुल गांधी ने GST को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार को जीएसटी को सरल बनाने के लिए स्लैब घटाने की आवश्यकता है।

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Sep 26, 2025
कांग्रेस नेता राहुल गांधी। (फोटो- IANS)

22 सितंबर से GST के सिर्फ दो स्लैब लागू हैं। सरकार ने खाने पीने से लेकर कार, बाइक पर भी जीएसटी के रेट घटाए हैं। कांग्रेस (Congress) ने कहा कि GST सुधार में मोदी सरकार (Modi Government) ने बहुत देर कर दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) स्लैब कम करने के लिए और GST को आसान बनाने की मांग 8 सालों से करते आए हैं। कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी के सुझावों पर ध्यान दिया होता तो 9 साल तक उपभोक्ताओं को 'गब्बर सिंह टैक्स' की मार नहीं झेलनी पड़ती। यह पहला मामला नहीं है। जिसमें सरकार ने रिफॉर्म किया हो या फिर उसके मसौदे को वापस लिया हो।

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UPA की सरकार में रखा गया था GST का प्रस्ताव

GST का प्रस्ताव सबसे पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने रखा था। GST विधेयक को सबसे पहले UPA 2.0 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पेश किया, लेकिन भाजपा समेत विपक्षी दलों की आपत्ति के कारण इसे पारित नहीं किया जा सका। फिर साल 2014 में मोदी सरकार आई। साल 2017 में बिल पारित किया गया। उस समय मोदी 1.0 में वित्तमंत्री अरुण जेटली थे। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 30 जून- 1 जुलाई, 2017 की मध्यरात्रि में पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लॉन्च किया था। उस समय 4 GST (5, 12, 18, 28) स्लैब मौजूद थे। मोदी सरकार के GST के खिलाफ राहुल गांधी ने अपना अभियान छेड़ दिया था।

GST को राहुल ने बताया गब्बर सिंह टैक्स

2017 में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि भारत को 'गब्बर सिंह टैक्स' की नहीं, बल्कि एक सच्चा जीएसटी चाहिए। तब कांग्रेस नेता ने वादा किया था कि यदि कांग्रेस की सरकार आती है तो वह GST में रिफॉर्म लेकर आएगी। 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाया। फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में GST रिफॉर्म कांग्रेस की घोषणापत्र में शामिल हुई। कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने कहा कि जो सलाह 9 साल पहले राहुल गांधी ने दी थी, उसे आज लागू करके मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। मोदी सरकार को सुधारों में देरी के लिए जनता से माफी भी मांगनी चाहिए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (फोटो- IANS)

कृषि कानून को लिया था वापस

इससे पहले मोदी सरकार तीन कृषि कानून को वापस ले चुकी है। मोदी सरकार कृषि सेक्टर में सुधार के लिए तीन कानून, किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन अधिनियम, किसान मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाएं अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन लेकर आई थी। सरकार ने कहा था कि इन तीनों कृषि कानूनों का उद्देश्य कृषि बाजार को उदार करना था, लेकिन देश भर के किसान मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर गए। साल भर से अधिक समय तक प्रदर्शन किया। फिर प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर 2021 को संसद में इन्हें वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों समझा नहीं पाई।

लेटरल एंट्री योजना से भी पीछे खींचे कदम

सरकार लेटरल एंट्री योजना को दो बार लेकर आई। पहली बार साल 2018 में और दूसरी बार साल 2024 में। इसका उद्देश्य प्रशासन के उच्च पदों (जॉइंट सेक्रेटरी स्तर) पर निजी क्षेत्र से विशेषज्ञों की भर्ती करना था। इसमें आरक्षण को लागू नहीं किया जाता। मोदी सरकार ने 2024 में 45 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया। मगर विपक्ष और सहयोगी दलों (जैसे जेडीयू) के विरोध के कारण, जो इसे आरक्षण के खिलाफ मानते थे। 2024 में विज्ञापन वापस ले लिया गया।

यही नहीं, मोदी सरकार पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) मसौदा अधिसूचना (2020) लेकर आई। इससे पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए उद्देश्य से लाया गया। इसके तहत पर्यावरण से जुड़े मामलों में सार्वजनिक सुनवाई कम और उद्योगों को छूट देने का प्रावधान था। लेकिन पर्यावरणविदों, NGOs और विपक्ष के व्यापक विरोध के कारण वापस ले लिया गया। विरोध करने वाले इस मसौदे को पर्यावरण को खतरे में डालने वाला मानते थे।

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