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छत्तीसगढ़ की धरती पर उतरा यूरोप का परिंदा, गिधवा-परसदा में ‘Mallard’ का ऐतिहासिक आगमन

Gidhwa-Parsada: बेमेतरा का गिधवा-परसदा पक्षी विहार विदेशी परिंदों का नया ठिकाना बन रहा है। पहली बार यहां यूरोप-अमेरिका से आया ‘मल्लार्ड’ पक्षी देखा गया है।

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गिधवा-परसदा में ‘Mallard’ (Photo source- Patrika)

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले का गिधवा-परसदा पक्षी विहार इस वर्ष एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना है। पहली बार यहां विदेशी पक्षी प्रजाति ‘मल्लार्ड’ देखी गई है, जो सामान्यतः अमेरिका, यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका के ठंडे क्षेत्रों में पाई जाती है। मल्लार्ड का आगमन न केवल इस जलाशय की जैव विविधता को समृद्ध करता है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय पक्षी प्रवास स्थल के रूप में नई पहचान भी देता है। इस ऐतिहासिक घटना ने गिधवा-परसदा को बेमेतरा और पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का प्रतीक बना दिया है।

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में स्थित गिधवा-परसदा पक्षी विहार ने इस वर्ष एक ऐतिहासिक और रोमांचक घटना का साक्षी बनकर अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। पहली बार यहां विदेशी पक्षी प्रजाति ‘मल्लार्ड’ देखी गई है। मल्लार्ड, अनास वंश का एक प्रमुख प्रवासी पक्षी, सामान्यतः अमेरिका, यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका के ठंडे क्षेत्रों में पाया जाता है। इस वर्ष उसने गिधवा-परसदा के शांत, प्राकृतिक और सुंदर जलाशय को अपना नया आश्रय बनाया।

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मल्लार्ड का आगमन: एक ऐतिहासिक क्षण

मल्लार्ड के आने से गिधवा-परसदा न सिर्फ़ एक लोकल बर्ड सैंक्चुअरी के तौर पर बल्कि एक इंटरनेशनल बर्ड माइग्रेशन डेस्टिनेशन के तौर पर भी मशहूर हो गया है। (Gidhwa-Parsada) राज्य सरकार ने पहले ही इसे एक पोटेंशियल रामसर साइट के तौर पर प्रपोज़ किया था, और अब इस एग्ज़ॉटिक स्पीशीज़ के आने से इस इलाके की बायोडायवर्सिटी और ग्लोबल इंपॉर्टेंस और बढ़ गई है।

बेमेतरा का गौरव और पर्यटन संभावनाएं

फॉरेस्ट और टूरिज्म डिपार्टमेंट अब गिधवा-परसदा में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने, टूरिस्ट सुविधाएं डेवलप करने और पक्षियों को बचाने के लिए खास प्लान बना रहा है। लोकल गांव वाले, फॉरेस्ट अधिकारी और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव इस जगह को बचाने और बचाने में एक्टिव रोल निभा रहे हैं। गिधवा-परसदा अब सिर्फ बेमेतरा ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गर्व की बात बन गया है।

पर्यटक और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण

गिधवा-परसदा के तालाब और वेटलैंड्स, जो लगभग 180 हेक्टेयर एरिया में फैले हैं, हर साल सैकड़ों देसी और विदेशी पक्षियों को अपनी ओर खींचते हैं। ग्रे हेरॉन, ओपन-बिल्ड स्टॉर्क, ब्लैक-हेडेड आइबिस, कॉमन टील और पिंटेल डक जैसी प्रजातियां यहां पहले ही देखी जा चुकी हैं। (Gidhwa-Parsada) इस साल मैलार्ड्स (Mallard Bird) का आना यह साबित करता है कि बेमेतरा का क्लाइमेट और वॉटर बॉडीज़ इंटरनेशनल माइग्रेटरी पक्षियों के लिए आइडियल बन रहे हैं। लोकल बर्डवॉचर्स और फोटोग्राफर्स ने मैलार्ड्स की मौजूदगी को कैमरे में कैद किया, जिससे उनकी मौजूदगी कन्फर्म हुई।

प्राकृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण का संदेश

मल्लार्ड का आना सिर्फ़ एक कुदरती घटना नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण बचाने और बायोडायवर्सिटी की अहमियत का भी एक मैसेज है। यह दिखाता है कि अगर कुदरती चीज़ों और पानी की जगहों को हमेशा के लिए बचाया जाए, तो छत्तीसगढ़ की ज़मीन एक वर्ल्ड-क्लास बायोडायवर्सिटी हब बन सकती है।

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Updated on:
26 Oct 2025 04:00 pm
Published on:
26 Oct 2025 03:55 pm
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