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ग्राउंड रिपोर्ट : मंदिर के टूटे पिलर दे रहे गवाही! 525 साल पहले गोवा में यहां था हिंदू टेंपल, चर्च बना पर हो गया ‘शापित’

Three King Church Goa : गोवा में कई मंदिरों को तोड़कर चर्च बनाने की बात कही जाती है। पत्रिका टीम ने एक ऐसे ही जगह की पड़ताल की जहां पर करीब 500 साल पहले एक हिंदू मंदिर था। आइए, पत्रिका स्पेशल में पूरी कहानी पढ़ते हैं-

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Nov 25, 2025
थ्री किंग चर्च की तस्वीर | Photo- Patrika

गोवा/पणजी. कहते हैं कि सच को ना दफनाया, जलाया या मिटाया नहीं जा सकता है। करीब 525 साल पुराना ये मंदिर के टूटे पिलर का ढांचा यही कह रहा है। जो दक्षिण गोवा के कांसौलिम गांव के मांडवी नदी के किनारे स्थिति है। पत्रिका टीम से रवि कुमार गुप्ता ने ग्राउंड (Patrika Ground Report) पर जाकर इस बात की जांच-पड़ताल की। आइए 'पत्रिका स्पेशल' में पढ़ते हैं मंदिर के टूटने और थ्री किंग चर्च के बनने की कहानी क्या है।

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Three King Church : गोवा के सबसे पुराने चर्चों में से एक

थ्री किंग चर्च का क्राउन क्रॉस | Photo- Patrika

साल 1498 में वास्को डी गामा भारत आने वाले पहले यूरोपीय यात्री थे। इसके बाद ही पुर्तगाली व्यापारिक और सैन्य विस्तार करने लगे थे। गोवा में पुर्तगालियों का दबदबा रहा। इनसे पहले यहां पर विजयनगर साम्राज्य, बहमनी सल्तनत और कदम्ब वंश थे। गोवा की इतिहासकार अमरीन शेख बताती हैं कि विजनगरम सम्राज्य ने यहां पर बहुत सारे मंदिर बनाए थे। पर, पुर्तगालियों ने तोड़कर वहां चर्च बनवाए, जिसमें से एक है- "थ्री किंग चर्च"। ये चर्च गोवा के सबसे पुराने चर्चों में से एक है जिसका निर्माण 1599 में किया गया था।

मंदिर का टूटा ढांचा दे रहा गवाही

चर्च की सीढ़ियों के पास हिंदू मंदिर का टूटा ढांचा | Photo - Patrika

अमरीन शेख यह भी कहती हैं, हमारे दादा-दादी इस मंदिर के बारे में बताया करते थे। आसपास के लोग भी इसकी कहानी कहते हैं। इसके अलावा चर्च की सीढ़ियों के पास ही मंदिर के टूटे पिलर आज भी मौजूद हैं। ये इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहां पर कभी मंदिर हुआ करता था। जिसको तोड़कर इस चर्च का निर्माण कराया गया।

किस भगवान का मंदिर अभी तक स्पष्ट नहीं?

अमरीन से पूछा गया कि यहां पर किस देवी या देवता का मंदिर था तो इस पर वो कहती हैं कि इस बात का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता। पर, आसपास के लोगों के अनुसार, देवी मंदिर हुआ करता था।

स्थानीय लोगों का भी मंदिर होने का दावा

वहां पर मौजूद कई लोगों के साथ हमारी बातचीत हुई। सबने ये साफ तौर पर कहा कि यहां पर मंदिर था। इतना ही नहीं, ये मंदिर टूटने का ही श्राप है कि चर्च बनने के बाद शापित हो गया। इसे 'हॉन्टेड चर्च' कहते हैं।

'गोवा की गंगा' किनारे था ये मंदिर

कांसौलिम गांव एक नदी के किनारे बसा है। इसे मांडवी नदी कहते हैं। ये मीठे पानी की नदी है। गोवा के लोग इसे जीवनदायी भी मानते हैं। अमरीन कहती हैं कि ये 'गोवा की गंगा' है। जिसके किनारे कभी मंदिर था और आज चर्च मौजूद है। बता दें, केवल यही मंदिर नहीं, बल्कि इतिहास में दर्ज है कि पुर्तगालियों ने कईयों मंदिरों को तोड़ा था।

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