बिहार विधानसभा चुनाव की घंटी बज गई है। बिहार के बाहुबलियों ने अपना-अपना खेमा चुन लिया है। कुछ बाहुबली खुद चुनाव में उतरने की तैयारी में है, जबकि कुछ की पत्नी और बेटों ने विरासत संभाल ली है।
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है। इस साल दो चरणों में चुनाव होगा। 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा। 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनावी बेला में एकबार फिर बाहुबलियों की धमक सुनाई देने लगी है। अनंत सिंह, सुनील पांडेय से लेकर आनंद मोहन सिंह तक चुनावी समर में कूद चुके हैं। कुछ बाहुबलियों की विरासत उनकी पत्नी, बेटे और भाई-भतीजों ने उठा ली है। वहीं, बाहुबलियों ने अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से अपना-अपना खेमा चुन लिया है।
मोकामा से पूर्व विधायक और छोटे सरकार नाम से मशहूर अनंत सिंह का मोकामा, बाढ़ और मुंगेर में दबदबा माना जाता है। साल 2020 में वह निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी राजद की टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन जब राजद-जदयू का गठबंधन टूटा और बात विश्वास मत पर आ गई तो राजद विधायक नीलम देवी ने जदयू नेता व सीएम नीतीश कुमार का समर्थन किया। इससे साफ संदेश गया कि छोटे सरकार का समर्थन एक बार फिर नीतीश कुमार को मिला है। इस बार अनंत सिंह ने संकेत दिए हैं कि वह खुद चुनाव लड़ेंगे। वह 14 अक्टूबर को नामांकन करेंगे। अपनी खरी बोली के लिए जाने वाले अनंत सिंह ने कभी मोकामा में नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल दिया था।
1990 के दशक में सूरजभान का रेलवे के टेंडर में सिक्का चलता था। बाहुबली सूरजभान का नाम कई बड़े कांडों में भी सामने आया। साल 2000 के बिहार चुनाव में मोकामा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता था। उन्होंने छोटे सरकार यानी अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को शिकस्त दी थी। इसके बाद सूरजभान साल 2004 में मुंगेर से सांसद बने। लेकिन, दागी छवि के कारण उन्होंने अपनी विरासत पत्नी और भाई को सौंप दी है। अब वो बैकस्टेज पॉलिटिक्स करते हैं। उनका परिवार फिलहाल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के साथ है।
एक समय था जब बाहुबली और सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन शहाब की इजाजत के बिना इलाके पत्ता नहीं हिलता था। चंदू हत्याकांड, तेजाब कांड और पत्रकार हत्याकांड के आरोपी शहाबुद्दीन अब दिवंगत हो चुके हैं। उनकी विरासत अब पत्नी हिना शहाब और बेटा ओसामा शहाब संभाल रहे हैं। हिना ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा, तीनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब चर्चा है कि ओसामा राजद की टिकट पर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
सुनील पांडे के पिता बालू का कारोबार करते थे। इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई। सुनील उस समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। पिता की हत्या ने बेटे को झकझोर कर रख दिया। सुनील बाहुबल के मैदान में कूद गए। इसके बाद उन्होंने भी अन्य बाहुबलियों की तरह सियासत में कदम रखा। साल 2000 में उन्होंने भोजपुर के पीरो से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। अभी उनकी विरासत बेटे विशाल प्रशांत संभाल रहे हैं। विशाल तरारी सीट से बीजेपी विधायक हैं।
पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जदयू से सांसद हैं तो वहीं उनके बेटे चेतन आनंद भी राजनीति में सक्रिय हैं। चेतन आनंद 2020 के बिहार चुनाव में राजद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे। चेतन आनंद का नाम भी राजद के उन विधायकों में शामिल है, जिन्होंने जेडीयू के महागठबंधन से एग्जिट करने के बाद नीतीश सरकार की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया था। आनंद मोहन लगातार पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए दिखते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय करा लिया था। वह पूर्णिया से लोकसभा टिकट चाहते थे, लेकिन सीट शेयरिंग में पूर्णिया लोकसभा की सीट राजद के खाते में चली गई। इसके कारण पप्पू निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और जीते। इसके बाद से वह लगातार कांग्रेस की हिमायती कर रहे हैं। वहीं, उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं।