Live Darshan: भारत का दिल मध्य प्रदेश अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। टूरिज्म के लिए दुनियाभर के लोगों की पहली पसंद अजब-गजब एमपी टूरिज्म को नये अर्थ दे रहा है। और जब बात धार्मिक टूरिज्म की हो, तो एमपी वाकई गजब है... दरअसल भक्तों की आस्था का सम्मान रखने वाले मध्यप्रदेश में देश-दुनिया से लोग घर बैठे ही दर्शन करते हैं। खास तौर पर जो लोग मजबूरी के कारण यहां नहीं आ सकते उनके लिए लाइव दर्शन की सुविधा वरदान साबित हो रही है... Live Darshan करना चाहते हैं, तो जरूर पढ़ें आपके काम की खास खबर…
Mahakaleshwar Live Darshan: संजना कुमार@ parika.com: अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है मध्यप्रदेश। उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर का पवित्र द्वीप मंदिर और सतना का शारदा देवी मंदिर ये केवल आस्था के केंद्र नहीं बल्कि, लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं से जुड़े प्रतीक हैं। आज के डिजिटल युग से मंदिर भी अछूते नहीं रहे। अब भक्त घर बैठे मोबाइल स्क्रीन पर लाइव आरती, ऑनलाइन दर्शन और ई-भक्ति सेवाओं के जरिए सीधे मंदिर से जुड़ रहे हैं। डिजिटल पहल से न केवल भक्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है बल्कि, धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम मिला है। मंदिरों का डिजिटल सफर आस्था और तकनीक के मिलन की मिसाल बन रहा है।
उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। महाकाल लोक कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई, लेकिन अब लाइव स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम ने इसे और भी आसान बना दिया है।
महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, रोजाना औसतन 50 से 60 हजार लोग प्रत्यक्ष दर्शन करने आते उज्जैन पहुंचते हैं। लेकिन इसके साथ ही, ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या 3 से 4 लाख प्रतिदिन तक पहुंच गई है।
सुबह की भस्म आरती अब यूट्यूब और मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर लाइव स्ट्रीम होती है, जिसे विदेशों से भी भक्त देखते हैं।
एक बुजुर्ग श्रद्धालु रामसीतामणि श्रीवास्तव का कहना है कि 'वे स्वास्थ्य कारणों से उज्जैन नहीं जा पाए। लेकिन जब भी सुबह 4 बजे महाकाल की भस्म आरती का लाइव टेलीकास्ट देखता हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे प्रत्यक्ष रूप से मंदिर में उपस्थित हैं।
नर्मदा नदी के पवित्र तट पर बसा है एक और ज्योतिर्लिंग है, ओंकारेश्वर… यहां पहले दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ता था। लेकिन अब ऑनलाइन दर्शन और डिजिटल आरती सेवा शुरू होने के बाद भक्तों के लिए सब बेहद आसान हो गया है।
मंदिर समिति ने 'ई-दर्शन पोर्टल' बनाया है, जहां से भक्त घर बैठे पूजन और अभिषेक के लिए बुकिंग कर सकते हैं।
सबसे बड़ी खासियत ये है कि ऑनलाइन बुकिंग से जो राशि आती है, उसका एक बड़ा हिस्सा नर्मदा संरक्षण और मंदिर विकास कार्यों में लगाया जा रहा है।
सतना की एक श्रद्धालु अर्चना सिंह कहती हैं, 'पहले दर्शन के लिए कई बार यात्रा टालनी पड़ती थी, लेकिन अब उनके साथ उनके बच्चे भी मोबाइल पर ओंकारेश्वर की नर्मदा आरती देखकर भाव-विभोर हो जाते हैं।'
विंध्य क्षेत्र में स्थापित मां शारदा मंदिर भी आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। सतना जिले में आने वाले इस मंदिर में यहां हर साल नवरात्र पर्व पर लाखों भक्त जुटते हैं। लेकिन डिजिटल कनेक्शन के बाद, अब यहां भी भक्तों की संख्या बढ़ा दी है। लाइव दर्शन और वर्चुअल आरती ने इस मंदिर को दुनिया भर में मशहूर कर दिया है।
बता दें कि सतना मंदिर समिति का मोबाइल ऐप भी है। जिसके जरिए भक्त पूजा-अर्चना के लिए ऑनलाइन दान कर सकते हैं। दर्शन कर सकते हैं। ऑनलाइन लाइव दर्शन करने वालों में विदेशी भक्तों की संख्या भी कम नहीं है।
एक NRi भक्त मंजू अग्रवाल कहती हैं कि, वे अमेरिका में रहते हुए भी हर शुक्रवार सतना की माता शारदा की Live आरती देखती हैं। यह तकनीक हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है।
डिजिटलाइजेशन ने अकेले भक्तों की सुविधा ही नहीं बढ़ाई, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है।
महाकाल लोक और ओंकारेश्वर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन 40% तक बढ़ा है।
अब कई पर्यटक ऑनलाइन दर्शन देखने के बाद प्रेरित होकर वास्तविक यात्रा की योजना बनाते हैं।
इससे स्थानीय होटलों, टैक्सी सेवाओं, गाइड्स और दुकानदारों को भी सीधा लाभ मिला है।
-लाइव स्ट्रीमिंग- आरती और पूजा अब यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लाइव।
ई-बुकिंग- VIP दर्शन, अभिषेक और भस्म आरती की एडवांस बुकिंग ऑनलाइन।
-ई-दान- भक्त अब ऑनलाइन दान देकर मंदिर विकास में योगदान कर सकते हैं।
-मोबाइल ऐप्स- सतना और ओंकारेश्वर ने भक्तों के लिए विशेष ऐप्स लॉन्च किए हैं। जिनके जरिए ऑनलाइन दर्शन से लेकर दान देने तक की सुविधा है।
आस्था के इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से श्रद्धालुओं को फायदे तो हुए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं, इनमें