Mental Health Alert: मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं एंग्जाइटी, डिप्रेशन औऱ ओवरथिकिंग के मामले, स्कूल-कॉलेज के बच्चे भी शिकार, जानें क्या है ओवरथिकिंग, कैसे मिलेगी इससे आजादी, patrika.com ने की जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी से बात, पढ़ें संजना कुमार की रिपोर्ट...
Mental Health Alert: घर के बड़े बुजुर्गों को अक्सर आपने कहते सुना होगा कि हमारा खाना और वर्जिश (एक्सरसाइज) का हमारे मन पर इसका गहरा असर दिखता है… कहावत भी मशहूर है जैसा खाएं अन्न वैसा होए मन। इसीलिए आज से 15 साल पहले तक घर का खाना, ताजे फल, सलाद ज्यादातर परिवारों में यही हेल्दी फूड था। पारम्परिक और लजीज खाने के साथ ही एक्सरसाइज या संसाधनों की कमी के चलते शारीरिक मेहनत खूब हो जाती थी। खेल-कूद के लिए समय निकालना आसान था। लेकिन अब...
अब दिनचर्या ऐसी बदली है कि सबकुछ पीछे छूट गया, अब फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड, पैक्ड फूड और दिनभर ऑफिस में बैठे काम करते गुजर जाता है। काम का बोझ, व्यस्त दिनचर्या और खान-पान का असर हमारे शरीर पर बाद में पहले दिमाग पर असर दिखा रहा है, परिणाम हम पहले तनाव…फिर ओवरथिंकिंग के जाल में उलझते जा रहे हैं। यह जाल इतना उलझा रहा कि अब दम घोंट रहा है… कमजोर कर रहा है इतना कि आत्महत्या के लिए उकसा रहा है…कहीं आप भी तो नहीं ओवरथिंकिंग के शिकार…?
केस
भोपाल के रहने वाले शिरीष एक आईआईटी प्रोफेशनल हैं, जो देर रात तक काम करते हैं। काम के दौरान उनके मन में अनगिनत विचार चलते रहते हैं। अगर कल प्रजेंटेशन अच्छा नहीं हुआ, तो क्या होगा? बॉस की नजर मुझ पर क्यों पड़ी? क्या मैं करियर को सही दिशा में ले जा रहा हूं। इन्हीं सवालों में उलझे शिरीष की रातों की नींद उड़ चुकी है। चंद दिनों में ही शिरीष कमजोर हो गए। थकावट हमेशा परेशान करने लगी। एक दिन शिरीष से उसका एक दोस्त मिलने आया… उसकी परेशानी सुन उसने कहा तू सही खाना नहीं खाता, समय पर नहीं सोता, इसलिए तेरे दिमाग में कचरा भरा रहता है। दोस्त के कहते ही शिरीष ने दिनचर्या बदली, खाने के साथ ही शारीरिक एक्टिविटी शुरू कर दीं। दो-तीन सप्ताह में ही शिरीष को लगा अब समय बदल रहा है…अब वह खुशहाल जिंदगी जी रहा है।
मध्य प्रदेश का ये एक केस नहीं है, बल्कि ऐसे लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, जो ओवरथिंकिंग का शिकार हैं, वक्त और किस्मत को दोष देते इनकी जुबान नहीं थकती, जबकि न वक्त खराब है न ही किस्मत, खराब तो हमारी आज की लाइफ स्टाइल है, जिसे हमारे खान-पान ने बदतर बना दिया है।
शिरीष ने अपने डाइट में अखरोट और चिया सीड्स को शामिल किया। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर ये चीजें दिमाग की सेल्स को मजबूत करती हैं। न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित करती हैं। इससे स्ट्रेस और ओवरथिंकिंग की समस्या पर आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का एक अध्ययन बताता है कि ओमेगा 3 के नियमित सेवन से डिप्रेशन और ओवरथिंकिंग के लक्षणों में सुधार होता है।
शिरीष ने स्नैक्स के तौर पर चिप्स छोड़कर कद्दू के बीज और बादाम खाना शुरू किया। इनमें मैग्निशियम भरपूर होता है। मैग्निशियम मस्तिष्क की शांति के लिए बेहद जरूरी है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में बताया गया है कि मैग्निशियम की कमी से चिंता और बेचैनी बढ़ती है।
जब शिरीष ने अपनी डाइट में अंडे, दूध और पत्तेदार सब्जियां शामिल कीं, तो उनके मूड स्विंग से उन्हें राहत मिली। विटामिन बी, खासकर बी6 और बी12, सेरोटोनिन और डोपामिन के उत्पाद में मदद करता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन बी का नियमित रूप से सेव करने वाले अवसाद और तनाव से बचे रहते हैं।
डार्क चॉकलेट फ्लेवोनॉयड्स रिच होती है। इसे खाने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ता है और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है। जर्नल ऑफ सायकोफार्माकोलॉजी ने भी बताया है कि डार्क चॉकलेट का सेवन करने से तनाव कम होता है, मूड सुधारने में भी ये मदद करता है।
शिरीष ने हर सुबह दही खाना शुरू किया। रिसर्च कहती हैं कि हमारी आंत की सेहत मानसिक सेहत से जुड़ी होती है। जर्नल ऑफ साइकियाट्री रिसर्च के मुताबिक दही और प्रोबायोटिक्स से तनाव कम होता है, चिंता में कमी आती है।
दिमाग की अच्छी सेहत के लिए अकेला खान-पान नहीं बल्कि आपकी फिजिकल एक्टिविटी भी उतनी ही जिम्मेदार होती हैं। फिजिकल एक्टिविटि के दौरान एंडोर्फिन और सेरेटोनिन जैसे फील-गुड हार्मोन रिलीज होते हैं, जो तनाव और ओवरथिकिंग को दूर करते हैं। डॉ. त्रिवेदी ने दिए फिजिकल एक्टिविटी टिप्स…
शिरीष ने अपनी दिनचर्या में खान-पान के साथ ही फिजिकल एक्टिविटी का भी बेहतर संतुलन बना लिया। फिजिकल एक्टिविटी की शुरुआत 15 मिनट की दौड़ से करते हुए 30 मिनट कर दी। इससे उन्होंने महसूस किया कि दौड़ने के बाद मन हल्का हो जाता है और चिंता कम। अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकियाट्री के एक अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में तीन बार एरोबिक एक्सरसाइज करने से ओवरथिंकिंग के लक्षणों को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
शिरीष ने फिजिकल एक्टिविटी के लिए जिम जाना शुरू किया। वे यहां वैट ट्रेनिंग करने लगे। इससे केवल मांसपेशियों पर ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी सुधार दिखने लगा। जर्नल ऑफ एंग्जाइटी डिसऑर्डर्स में सामने आया कि वैट ट्रेनिंग से आत्मविश्वास बढ़ता है और ओवरथिंकिंग से आजादी मिलती है।
अगर किसी के लिए दौड़ लगाना मुश्किल है, तो टहलकदमी से काम चल सकता है। टहलना भी उतना ही फायदेमंद है जितना कि दौड़ना। हर रोज 20 मिट सुबह पार्क में टहलने की आदत बना लीजिए। एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स के मुताबिक हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच टहलने से दिमाग पॉजिटिव बना रहता है।
1- रूमिनेशन- पुरानी बातों या पास्ट में रहना। आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी याती है, खुद को दोष देने लगते हैं, मैं अच्छा नहीं हूं, जैसे नेगेटिव ख्याल आना। तनाव और डिप्रेशन का खतरा बढ़ना।
2- वरी- भविष्य के बारे में सोचकर चिंतित रहना। यह भविष्य कि अनिश्चितता और आशंकित नकारात्मक परिणामों को लेकर अत्यधिक चिंता करते रहने की समस्या है। मन में हर पल ये रहना कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा? ये चिंता अक्सर काल्पनिक खतरों के प्रति होती है, जिनका रियल लाइफ से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता। इसके असर से अनिश्चितता सहन करने की शक्ति कम हो जाती है। व्यक्ति हमेशा परेशान दिखता है। चिंता के साथ ही बेचैनी बढ़ती है। अगर मैं इस प्रोजेक्ट में फेल हो गया तो मेरी नौकरी चली जाएगी, मैं परिवार को कैसे पालूंगा। ऐसे नकारात्मक विचार घबराहट, एंग्जाइटी बढ़ाते हैं। नींद नहीं आने देते। सामाजिक रिश्ते छूटने लगते हैं। सिरदर्द, माइग्रेन यहां तक कि पाचन तक खराब हो जाता है।
मनोचिकित्सक की मानें तो ओवरथिंकिंग की ये समस्या गंभीर बीमारी बन सकती है। जहां रूमिनेशन व्यक्ति को अतीत के अंधेरो में ले जाता है, वहीं वरी से भविष्य गर्त में जाने लगता है, इससे बचने के लिए जरूरी है अपनी लाइफ स्टाइल बदलें, खान-पान की आदतें बदलें, एक्सरसाइज करें और स्ट्रेस, ओवरथिंकिंग, डिप्रेशन से दूर रहें।