
Kubereshwar Dham Pandit Pradeep Mishra(फोटो सोर्स: @panditmishraji)
Kubereshwar Dham: Opinion @ Sanjana Kumar- हर साल मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित कुबेरेश्वर धाम (Kubereshwar Dham) में आयोजित किए जाने वाले रूद्राक्ष महोत्सव और कांवड़ यात्रा में उम्मीद से ज्यादा लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आलम ये कि अकेला सीहोर नहीं, एक साथ कई शहर 'जाम' हो जाते हैं। पंडित प्रदीप मिश्रा के इस आयोजन में किशोर, वयस्क या बुजुर्ग नहीं, बल्कि मासूम बच्चों समेत परिवार के परिवार पहुंचते हैं। और… हर साल कई श्रद्धालु अव्यवस्थाओं की बलि चढ़ जाते हैं। कभी भगदड़, कभी भूख-प्यास से होने वाली श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत से फिर भी कोई सबक नहीं लिया जाता। इस बार तीन दिन में 7 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं, श्रद्धा और आस्था के इस मेले में।
2023 में भी इस आयोजन के दौरान अत्यधिक भीड़ और लापरवाही की वजह से एक 50 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी। इससे भी भयावह स्थिति तब हुई जब इस भारी भीड़ को पीने का पानी, खाने को खाना नहीं मिला।
2024 का सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से एक बार फिर आयोजकों को ये कहने का मौका दे गया कि जितना सोचा था उससे ज्यादा श्रद्धालु आ गए, इसलिए व्यवस्थाएं कम पड़ गईं। लोग भूखे प्यासे थे, 24 से 36 घंटे जाम में शहर की रफ्तार थम गई थी।
अब 2025 में शिवपुराण कथा के दौरान अचानक 3 श्रद्धालुओं की तबीयत खराब हुई और फिर मौत भी। इन मृतकों में जबलपुर के 25 वर्षीय गोलू काष्टा, विजेंद्र स्वरूप और गुजरात की 55 साल की मंजू का नाम शामिल था।
अब अगस्त 2025 में कुबेरेश्वर धाम के इस आयोजन में हुई भगदड़ की स्थिति में पहले दिन दो महिलाओं की, दूसरे दिन तीन लोगों की और अब तीसरे दिन दो और मौतों के साथ ही 8 अगस्त की दोपहर एक बजे तक कुल 7 श्रद्धालु मौत की नींद सो गए। कई लोगों के गंभीर होने की खबर से दिल दहल गया।
इस पर पंडित प्रदीप मिश्रा की हंसी शर्मसार करती है… बताती है कि भक्ति, श्रद्धा और आस्था में डूबे ऐसे आयोजनों में जब सुरक्षा और व्यवस्था साथ नहीं रह पातीं, तो श्रद्धालुओं की जान पर बन आती है…जान चली भी जाती है, लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। आस्था की डुबकियां लगाने वाले भावनाओं में बहकर मासूमियत से कहते हैं, स्वर्ग मिलेगा… मोक्ष मिल गया… !
सवाल किसी की आस्था या भावना पर नहीं है, सवाल है कि आयोजकों के साथ ही स्थानीय प्रशासन तक ऐसी त्रासदियों से सबक क्यों नहीं लेता… यह केवल किस्मत, जीवन रेखा या ईश्वर की मर्जी नहीं, बल्कि असामयिक होने वाली मौते हैं, जो प्रशासन और आयोजकों की गंभीर लापरवाही का परिणाम हैं।
जरूरत है कि अब न केवल आयोजन समिति, बल्कि स्थानीय प्रशासन भी भीड़ प्रबंधन, आपात चिकित्सा, पानी, छांव जैसे जरूरी इंतजाम उतनी ही शिद्दत से करे, जिस शिद्दत से यहां लाखों लोग आते हैं… क्योंकि श्रद्धा के नाम पर श्रद्धालुओं से छल भारी पड़ रहा है।
Updated on:
07 Aug 2025 02:17 pm
Published on:
07 Aug 2025 02:14 pm
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special News
ट्रेंडिंग
