MP Politics: आम जनों के राजनेता बनने की दिलचस्प कहानियां...उनके 'राज' गढ़ों में आज भी किसी लोक कथा सी सुनाई दे जाएंगी... तो कुछ उनके दिए इंटरव्यूज और कुछ उनकी लिखी किताबों में... आप भी पढ़ें शिवराज सिंह चौहान से लेकर, अटलबिहारी बाजपेयी, कमलनाथ, दिग्विजिय सिंह, अर्जुन सिंह जैसे नेताओं की भविष्यवाणियां...
MP Politics: मध्य प्रदेश... राजनीति का ऐसा गढ़ जिसमें भविष्य की घोषणाओं का इतिहास बड़ा दिलचस्प रहा है। यहां कई दिग्गज राजनेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने स्कूल और कॉलेज के दिनों में जो कहा, वही भविष्य में बने भी। चाहे वह ग्वालियर के स्कूल में पढ़ने वाला एक स्टूडेंट हो जो भारत का प्रधानमंत्री बना हो या फिर छतरपुर का एक युवा नेता जो मुख्यमंत्री बना हो। बचपन, किशोर फिर युवा अवस्था में खुद के लिए की गई इनकी भविष्यवाणियां अक्षरश: सच हुई हैं। आम जनों के राजनेता बनने की दिलचस्प कहानियां...उनके 'राज' गढ़ों में आज भी किसी लोक कथा सी सुनाई दे जाएंगी... तो कुछ उनके दिए इंटरव्यूज और कुछ उनकी लिखी किताबों में... आप भी पढ़ें सबसे लंबे समय तक एमपी के मुख्यमंत्री पद पर रहकर नया रिकॉर्ड बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान से लेकर, अटलबिहारी बाजपेयी, कमलनाथ, दिग्विजिय सिंह, अर्जुन सिंह आदि नेताओं की सत्ता की भविष्यवाणी का सच...
ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर और बाद में लक्ष्मीबाई कॉलेज में पढ़ने वाले अटल बिहारी बाजपेयी को बचपन से ही भाषण प्रतियोगिताओं का शौक था। अपने स्कूल के दिनों में ही एक बार प्रतियोगिता में भाग लेने के दौरान उनसे जब कहा गया कि वो बहुत अच्छा भाषण देते हैं, तब उन्होंने सबके सामने कहा था, एक दिन मेरी आवाज संसद तक गूंजेगी। लेकिन उस समय उनके शिक्षक और सहपाठियों ने उनकी इस बात को एक किशोर का आत्मविश्वास माना था।
लेकिन एक दिन वो भी आया जब, अटलबिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने और आज उनके भाषण भारतीय राजनीति के क्लासिक उदाहरण माने जाते हैं।
अर्जुन सिंह ने कॉलेज के दिनों में अपने दोस्तों से कहा था कि वे मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं और एक दिन मुख्यमंत्री बनेंगे। 1980 में वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और लंबे समय तक प्रदेश की राजनीतिक धूरी बने रहे। उनके शुरुआती साथियों ने कई बार इंटरव्यू में माना था कि अर्जुन सिंह का सत्ता को लेकर विजन किशोरावस्था से ही क्लियर था।
कहा जाता है छात्र राजनीति में रहते हुए ही वे अक्सर बातचीत में कहा करते थे, उनके जीवन का एक ही मकसद है, एक ही लक्ष्य है केवल मध्य प्रदेश नहीं, बल्कि दिल्ली की राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचना। बाद में शरद यादव संयुक्त जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और कई बार सांसद बने। युवा दिनों का उनका यह बयान आज भी छात्र नेताओं द्वारा कहा और सुनाया जाता है।
दिग्विजय सिंह ने युवा अवस्था में ही कह दिया था कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलेंगे। शासन से लेकर प्रशासन चलाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। बाद में वे लगातार 2 बार एमपी के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे और राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण चेहरा माने जाते हैं।
एमपी के जैत गांव में आज भी वो किस्सा याद किया जाता है, जब किशोरअवस्था में शिवराज सिंह चौहान ने अपने दोस्तों और कई रिश्ते-नातेदारों के बीच यह बात कही थी कि मैं एक दिन प्रदेश चलाऊंगा। लेकिन उस वक्त उनकी इस बात पर न केवल उनके दोस्त बल्कि उनके नाते-रिश्तेदार या अन्य लोगों ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। शिवराज सिंह चौहान ने कई इंटरव्यूज में ये किस्सा सुनाया है कि कैसे लोग किशोराअवस्था में कही गई उनकी इस बात पर हंस पड़ते थे। लेकिन एक दिन वो भी आया जब वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और सबसे लंबे समय तक सीएम बने रहने का नया रिकॉर्ड भी बनाया। वे 4 बार मुख्यमंत्री रहे- 2005 से 2018 तक और फिर 2020 से 2024 तक। इससे पहले ये रिकॉर्ड अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल के नाम था।
दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान कमलनाथ ने अपने शिक्षकों और दोस्तों से कहा था कि वे देश चलाने वाली राजनीति का हिस्सा बनेंगे। जो कहा वही हुआ भी। बाद में वो न केवल कांग्रेस से जुड़े बल्कि प्रदेश के साथ राष्ट्रीय राजनीति का भी बड़ा चेहरा बनकर उभरे।
स्कूल के दिनों में जयंत मलैया के कहे गए यह शब्द सच साबित हुए। मलैया 1984 में सातवीं विधानसभा के लिए हुए उप-चुनाव में पहली बार दमोह विधानसभा से निर्वाचित हुए। वे 1990, 1993, 1998 और 2003 में नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं विधानसभाओं के लिए पुनः निर्वाचित हुए। 2008 के चुनाव में मलैया छठी बार इसी निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 2013 में चौदहवीं विधानसभा और 2023 में सोलहवीं विधानसभा के लिए दमोह से निर्वाचित हुए।
नौंवीं विधानसभा के दौरान आवास एवं पर्यावरण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे, 2004 में उमा भारती के सीएम रहते हुए उनके मंत्री मंडल में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री रहे। 2004 में ही बाबूलाल गौर के सीएम रहते हुए मंत्री पद की शपथ ली। फिर 2005 में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तब एक बार फिर मंत्री बने। 2013 में कैबिनेट मंत्री और 2018 तक वित्त मंत्री बने रहे।
उनके शुरुआती राजनीतिक दावे आज सागर में एक लोककथा के रूप में सुनाए जाते हैं। लोग उन्हें बड़े रोचक तरीके से सुनाते और सुनते हैं। क्योंकि गोपाल भार्गव ने जो कहा, वो महज आत्मविश्वास से भरा उनका एक कथन था, लेकिन बाद में वह सच हुआ। 1984-85 में एक कॉलेज भवन के लिए उन्होंने युवा आंदोलन में बाग लिया, जिसके बाद वे सागर जेल में बंद भी रहे। लेकिन अब लोगों के बीच जाना-पहचाना चेहरा बन चुके थे। नगर परिषद के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले गोपाल भार्गव कैबिनेट मंत्री, की विभागों के अध्यक्ष भी बने।
महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए कहा जाता है कि हार्वर्ड-स्टैनफोर्ड में पढ़ाई के दौरान कही गई उनकी यह लाइन सच साबित हुई। केंद्रीय मंत्री और एमपी की पॉलिटिक्स के सबसे बड़े गेम चेंजर साबित हुए।
कहा जाता है कि अक्सर कॉलेज में होने वाली डिबेट्स के दौरान वे दावा किया करते थे कि विधान सभा में मेरी आवाज गूंजेगी। लेकिन उनका ये दावा स्टूडेंट्स के लिए बड़ा मजाक बन जाता था। वही आवाज आगे चलकर गृह विभाग तक पहुंची और वे गृहमंत्री बने। लेकिन इससे पहले वे 1990 में पहली बार नौंवी विधान सभा के लिए चुने गए, फिर 1998 और 2003 में ग्वालियर के डबरा विस क्षेत्र से, फिर 2008-2013 और 2018 में दतिया विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 2005-8, 2009-2018-2020-2023 तक मंत्री रहे।
'मैं भविष्य में किसी बड़ी जिम्मेदारी वाले पद पर रहूंगा।' कैलाश विजयवर्गीय ABVP के समय में कई बार कहा था कि वे प्रशासनिक या राजनीतिक रूप से कोई बड़ा नेतृत्व संभालेंगे। आगे चलकर वे इंदौर के मेयर बने, फिर कैबिनेट मंत्री और फिर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पद भी संभाला। कहा जाता है कि भाजपा ने शुरुआत से ही उनकी नेतृत्व क्षमता को संभाला।