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Mpox वायरस का सबसे जानलेवा स्ट्रेन क्लैड 1 नाली के पानी में मिला, भारत के लिए कितना खतरनाक?

Mpox clad 1 : एम्पॉक्स क्लैड 1 वेस्ट वाटर में पाया गया है। इससे पहले कोविड 19 वायरस भी पाया गया। ये भारत के लिए क्यों खतरनाक संकेत हैं। इसके बारे में डॉ. हिमांशु गुप्ता और पानी पर लंबे समय से शोध कर रही सुनंदा भोला ने पत्रिका के साथ बातचीत में जरूरी बात बताई हैं।

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Oct 02, 2025
Mpox clad 1 | Photo- Patrika

Mpox clad 1 : जानवरों से फैलने वाला एमपॉक्स वायरस को लेकर नई अपडेट सामने आई है। इस वायरस के नए स्ट्रेन क्लैड 1 जिसे घातक माना जाता है। ये स्ट्रेन गंदे पानी (नाली) में मिला है। हेल्थ डिपार्टमेंट एंड सीडीसी के वेस्ट वॉटर के नमूनों की जांच के बारे में 24 सितंबर को जानकारी सामने आई। वाशिंगटन राज्य के पियर्स काउंटी में अपशिष्ट जल के नमूनों में ये पाया गया है। बता दें, भारत में इस स्ट्रेन से पीड़ित व्यक्ति का पहला मामला साल 2024 में केरल में दर्ज किया गया था। आइए जानते हैं इसके बारे में खास बातें-

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Covid 19 वायरस भी वेस्ट वाटर में मिला था

द लैंसेट की शोध रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड 19 वायरस वेस्ट वाटर में भी मिला था। अब एमपॉक्स वायरस का क्लैड 1 स्ट्रैन पाया गया है। हालांकि, ये पब्लिक हेल्थ के लिए बड़ा रिस्क साबित हो सकता है।

एमपॉक्स वायरस क्या है?

यह एक वायरल संक्रमण है, जिसे पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, थकान और त्वचा पर फफोले या दाने शामिल हैं।

एमपॉक्स के क्लैड

Mpox clad | प्रतीकात्मक फोटो | डिजाइन- पत्रिका

क्लैड 1 को लेकर जांच

एमपॉक्स क्लैड 1 के डीएनए सीवरेज वॉटर में पाए गए हैं। हालांकि, ये किस तरह से यहां पर आए। इसको लेकर अभी स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, इससे ये स्पष्ट हो चुका है कि ये वायरस गंदे पानी में मिल सकता है। इससे संक्रमण फैलने की संभावना भी है।

भारत में सतर्कता क्यों जरूरी?

एनवायरमेंटल परफॉर्मेंस इंडेक्स की रिपोर्ट (वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट) में भारत का रैंक 94 (खराब) और यूएस 32 वें स्थान पर है। इस हिसाब से वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट के आधार पर कह सकते हैं कि अगर ये संक्रमण फैलाता है तो भारत के लिए अच्छा संदेश नहीं है।

एक्सपर्ट: भारत में रिस्क अधिक क्यों?

डॉ. हिमांशु गुप्ता, सीनियर फिजिशियन ने कहा कि वायरस किसी भी रूप में खतरनाक है। अगर इस रिपोर्ट के आधार पर बात की जाए तो भारत में खुले में बहता नालों/सीवेज का पानी, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट ठीक नहीं, नालों/सीवेज के किनारे बसी आबादी के आधार पर ये अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि, अभी हमें इसको लेकर घबराने की जरुरत नहीं।

Environmental Surveillance : एनवायरमेंट सर्विलांस की उठ रही बात

पानी पर लंबे समय से शोध कर रही सुनंदा भोला ने पत्रिका के साथ बातचीत में बताया कि एनवायरमेंट सर्विलांस की बात लंबे समय से इसलिए उठ रही है ताकि नाली के पानी से फैलने वाली बीमारी को रोका जा सके। गंदे जलों को अच्छी तरह से ट्रिटमेंट करना जरूरी है तब जाकर वायरस, बैक्टीरिया आदि को फैलने से रोका जा सकेगा। कोविड 19 वायरस का वेस्ट वाटर में मिलने पर भी इस बात को उठाया गया था। भारत जैसे देश में कारखाने, अस्पताल या आवासीय इलाकों के पानी को नेचुरल वाटर सोर्स में मिला दिया जाता है जो कि हेल्थ के लिहाज से बेहद खराब है।

IIT बॉम्बे की खोज

आईआईटी बॉम्बे की एक टीम ने इसको लेकर खोज की। एक डीएनए सेंसर डेवलप किया जिससे कि वेस्ट वाटर में बैक्टीरिया व वायरस का पता लगाया जा सकता है। साथ ही ये काफी किफायती भी है।

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