लोगों में हड्डियों में दर्द, आवाज आने आदि की समस्या बुढ़ापे में होने वाली बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब यह तकलीफ जवानी में ही होने लगी है। जानिए बीमारी की पहचान और बचाव के उपाय-
कोटा। आम तौर पर लोगों में हड्डियों में दर्द, आवाज आने आदि की समस्या बुढ़ापे में होने वाली बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब हालात यह है कि यह तकलीफ जवानी में ही होने लगी है। ऐसी बीमारी के लिए युवा अस्पताल में देखे जा रहे हैं। अस्पतालों में इस प्रकार के मरीज पहुंच रहे हैं, जो हड्डियों के साथ जोड़ों के दर्द से परेशान हैं।
इसके साथ ही कई मरीज ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डियों की कमजोरी से प्रभावित हैं। सुल्तानपुर बीसीएमओ डॉ राजेश सामर ने बताया कि इन मरीजों के साथ 20 से 40 वर्ष के युवा भी इन तकलीफों की समस्या लेकर आ रहे हैं।
चिकित्सकों की मानें तो जीवनशैली में बदलाव, कैल्शियम और विटामिन की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अभाव व गलत खान पान से हड्डियां कमजोर हो रही है।
अगर पीठ या कमर में लगातार दर्द रहता है तो यह हड्डियों में कमजोरी का लक्षण है। बार-बार हड्डी टूटना, ऊंचाई में कमी, झुक कर चलना, जोड़ों में अकड़न या सूजन, कट-कट की आवाज आना आदि भी हड्डियों में कमजोरी के लक्षण है।
आम तौर पर हड्डियों में कमजोरी पहले ज्यादातर पचास की उम्र के आसपास आती थी। अब कई युवाओं में बीस से अधिक उम्र में भी समस्या हो रही है। इसका कारण जीवन शैली में बदलाव आना है।
लोगों की चलने की आदत कम हो गई है। एक ही जगह बैठकर सात से आठ घंटे काम करना भी इसका एक कारण है। पौष्टिक आहार का ध्यान नहीं रखना भी कमजोरी का कारण है।
वरिष्ठ सर्जन डॉ. अनिल दाधीच का कहना है कि नियमित व्यायाम ऑस्टियोपोरोसिस के प्रबंधन और रोकथाम में जरूरी है।
यह हड्डियों के घनत्व को बढ़ाकर मांसपेशियों को मजबूत करके संतुलन और समन्वय में सुधार लाता है और गिरने के जोखिम को कम करता है।
नियमित व्यायाम से जोड़ों की अकड़न कम व हड्डियों के क्षरण की गति कम होती है। शुरू करने से पहले फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श करना चाहिए।