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मचान विधि से किसान हो रहे मालामाल: 20 से 30 हजार खर्च कर आप भी कमा सकते हैं लाखों रुपए, जानिए कैसे

मचान पर उगाई लौकी के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लौकी की लंबाई के अलावा चिकनाई तथा रंग, अन्य लौकियों की अपेक्षा बेहतरीन होता है। बाजार में वह आसानी से बिक भी जाती है।

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How to cultivate gourd using scaffolding method, what are its benefits

Photo- Patrika

जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले में माधोगढ गांव के किसान जयराम गुर्जर लौकी की बेहतरीन उपज ले रहे है। वे मचान विधि से खेती कर रहे हैं। इससे लौकी की न केवल गुणवत्ता में सुधार हुआ है बल्कि उनका मुनाफा भी अब दोगुना हो गया है। किसान जयराम ने बताया कि मचान लगाने से उत्पादन गुणवत्ता पूर्ण हो रहा है जो लाभप्रद है। मिट्टी से होने वाले खराबे से भी बचा जा सकता है। मचान बनाने में 20 से 30 हजार का खर्चा आता है। एक बार बनाए गए मचान और स्ट्रक्चर 5 वर्ष तक सुरक्षित बना रहता है।

जालीनुमा संरचना पर चढ़ती बेलें

मचान विधि में बांस की लकड़ियों को जमीन से ऊपर मजबूती से गाड़कर जालीनुमा संरचना बनाई जाती है। बेलें इस संरचना पर चढ़ती हैं। पौधों को हवा, धूप व जगह मिल जाती है।

रोजाना ले सकते हैं उपज

इस विधि से लौकी को प्रतिदिन तोड़ा जा सकता है। हां, ठंड के दिनों में चार दिन तक इंतजार करना होता है। जबकि भूमि पर तैयार होने वाली लौकी को गर्मी में तीन व सर्दियाें में दस दिन में लिया जा सकता है।

बाजार में मिलते हैं अच्छे दाम

मचान पर उगाई लौकी के दाम भी अच्छे मिलते हैं। लौकी की लंबाई के अलावा चिकनाई तथा रंग, अन्य लौकियों की अपेक्षा बेहतरीन होता है। बाजार में वह आसानी से बिक भी जाती है।

सुदूर तक है मांग

किसान जयराम ने बताया कि इस लौकी की मांग थानागाजी, मालाखेड़ा, अलवर, जयपुर, हरियाणा व दिल्ली तक है। आसपास के गांवों में सोहनपुर, धोलापलास, बिजवाड, नरूका, पूनखर, सुमेल, अकबरपुर, माधोगढ़ आदि में भी मचान विधि से लौकी की पैदावार की जा रही है।

अग्रणी किसानों को आत्मा योजना के तहत प्रदेश व अन्य राष्ट्रीय स्तर पर भ्रमण कराकर उच्च तकनीक का प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है तथा जिले में प्रदेश स्तर पर उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।

  • संदीप शर्मा, सहायक निदेशक, कृषि विभाग अलवर

किसानों को समय-समय पर विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान कर उनके आर्थिक उत्थान के लिए प्रशिक्षण भी दिलाए जाते हैं।

  • जितेंद्र कुमार, सहायह कृषि अधिकारी