आजादी से पहले फलोदी का नमक अजमेर, दिल्ली, कोलकाता और लाहौर तक प्रसिद्ध था। ब्रिटिश काल में इसकी शुद्धता और गुणवत्ता की मिसाल दी जाती थी। लेकिन सरकारी स्तर पर आज इसे कोई विशेष पहचान नहीं मिल पा रही।
Phalodi Salt: एक समय देशभर में अपनी शुद्धता और चमक के लिए मशहूर रहा फलोदी का नमक उद्योग अब उपेक्षा और राजनीतिक खींचतान का शिकार हो गया है। ‘एक जिला, एक उत्पाद’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किए जाने की उम्मीदें अब तक अधूरी हैं, जिससे नमक उत्पादक फिर से इसे फलोदी का ब्रांड उत्पाद घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
आजादी से पहले फलोदी का नमक अजमेर, दिल्ली, कोलकाता और लाहौर तक प्रसिद्ध था। ब्रिटिश काल में इसकी शुद्धता और गुणवत्ता की मिसाल दी जाती थी। आज भी यह नमक रसायन मुक्त, प्राकृतिक और सफेदी में उत्कृष्ट है, लेकिन सरकारी स्तर पर इसे कोई विशेष पहचान नहीं मिल पा रही।
मलार व बाप रिण क्षेत्र में हर साल करीब 12 से 15 लाख टन नमक उत्पादन होता है। यहां बनी खारे पानी की झीलों में बरसाती पानी से नमक तैयार होता था और वर्तमान में भी बारिश और कूंओं से सिंचित पानी से तैयार होता है।
इसलिए यहां का नमक शुद्धता के मामले में वर्तमान में भी सबसे अधिक लोकप्रिय है और राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजार में भी फलोदी के नमक की खास पहचान है।
फलोदी का नमक न केवल राजस्थान की लगभग 70 फीसदी घरेलू जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग भी बनी हुई है। इसके बावजूद, इसे अब तक ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना में शामिल नहीं किया गया।
राज्य सरकार की ओर से पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई योजना में फलोदी नमक को स्थान नहीं मिला। नमक उत्पादकों का आरोप है कि स्थानीय नेतृत्व की उदासीनता और राजनीतिक दबाव के चलते यह उद्योग सूची से बाहर रह गया, जो क्षेत्रीय मजदूरों और व्यापारियों के साथ अन्याय है।
हाल ही में सरकार ने कुछ जिलों में दो उत्पादों को शामिल करने की छूट दी है। इसके बाद फलोदी के नमक उत्पादकों ने फिर से इसे योजना में शामिल करने की मांग तेज की है। लघु उद्योग भारती की ओर से मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है।
फलोदी का नमक उद्योग न केवल हजारों लोगों की आजीविका से जुड़ा है, बल्कि यह क्षेत्रीय पहचान और मरुस्थलीय संस्कृति का भी प्रतीक है। इसे ब्रांड उत्पाद का दर्जा मिलने से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि फलोदी की ऐतिहासिक पहचान भी पुनः स्थापित होगी।
फलोदी की खड़ीनों में प्राकृतिक स्त्रोतों से नमक उत्पादन किया जाकर इसे मरूस्थल की पहचान के तौर पर विकसित किया गया है। ऐसे में फलोदी का नमक सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि मरुस्थल की धरोहर और मेहनतकश श्रमिकों की पहचान है। सरकार को चाहिए कि राजनीति से ऊपर उठकर इस उद्योग को उसका हक दे और इसे “एक जिला, एक उत्पाद” में शामिल कर सम्मान लौटाए।
फलोदी प्रवास पर आए उद्योग आयुक्त व प्रभारी सचिव राहूल गुप्ता के फलोदी प्रवास पर आने के दौरान फलोदी नमक उद्योग को एक जिला, एक उद्योग में सम्मिलित करने का ज्ञापन दिया था, जिसके बाद उन्होंने उद्योग विभाग को प्रस्ताव बनाकर देने के निर्देश दिए है।
-ब्रजलाल पंवार, सचिव लघु उद्योग भारती