राजस्थान सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी और स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर को देखते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू किया है। जानिए सरकार की गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के बारे में।
रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से न केवल मिट्टी की सेहत बल्कि आम इंसानों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इसी समस्या को देखते हुए और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आमजन को रसायन मुक्त अनाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने किसानों को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है।
इसी पहल के तहत राजस्थान सरकार की 'गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना' के तहत बहरोड़ क्षेत्र के किसानों को बड़ा लक्ष्य दिया गया है। इस योजना के तहत 20 हैक्टेयर पर एक क्लस्टर के हिसाब से कुल 60 क्लस्टर वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
इससे क्षेत्र में 120 हैक्टेयर भूमि पर जैविक खेती की जा सकेगी। इस प्रोत्साहन के तहत सरकार किसानों को एक वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने पर 10,000 रुपए प्रति यूनिट का अनुदान (सब्सिडी) प्रदान करेगी। किसान इस योजना से जुड़कर आसानी से लाभ उठा सकते हैं।
वर्मी कंपोस्ट यूनिट पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसानों को ई-मित्र केंद्र पर या राजस्थान किसान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन करने वाले किसानों को 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर अनुदान का लाभ दिया जाएगा। यदि आवेदनों की संख्या अधिक होती है, तो लॉटरी निकाली जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 6 माह पुरानी जमाबंदी होना अनिवार्य है।
वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) केंचुओं द्वारा जैविक पदार्थों को खाकर और उनके पाचन तंत्र से गुजरने के बाद बनने वाला मल होता है। यह प्रक्रिया लगभग डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाती है। यह खाद हल्के काले रंग की, दानेदार होती है, जिसका रूप चाय पत्ती जैसा दिखता है।
इसमें मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व, हार्मोन और एंजाइम भी मौजूद होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। इसका उपयोग बागवानी और जैविक खेती में होता है, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है। वर्मी कंपोस्ट में किसी प्रकार की बदबू नहीं आती है, जिससे मच्छर और मक्खियों का प्रकोप कम होता है और वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता।
किसानों को सब्सिडी वाली वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने के लिए कुछ मानकों का पालन करना होगा। शेड का आकार 20 फीट लंबा, 3 फीट चौड़ा, और ढाई फीट गहरे गड्ढे का निर्माण करना होगा। शेड का निर्माण पक्का होना चाहिए। कृषक को 8 से 10 किलोग्राम केंचुए स्वयं के स्तर पर खरीदने होंगे। शेड में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए गोबर में गुड़, छाछ और बेसन भी डालना होगा।
सरकार रासायनिक खादों का उपयोग कम करने के लिए किसानों को वर्मी कंपोस्ट के तहत खाद बनाने के लिए प्रेरित कर रही है। वर्मी कंपोस्ट उत्पादन न केवल जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला साधन है, बल्कि यह स्वरोजगार के लिए भी एक उत्कृष्ट विकल्प प्रस्तुत करता है। बहरोड़ क्षेत्र को 60 क्लस्टर वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने का लक्ष्य मिला है, जिससे 120 हैक्टेयर में जैविक खेती की जाएगी।