Nathula Border: नाथुला बॉर्डर के जरिए व्यापार शुरू करने की मांग उठने लगी है। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बीजेपी के सांसद ने भारत और चीन के बीच व्यापार बहाल करने की मांग की। आइए जानते हैं, नाथुला बॉर्डर कितने सालों से बंद है और यहां से क्या आयात और निर्यात होता था?
Nathula Border Trade: सिक्किम के बीजेपी नेता दोरजी शेरिंग लेपचा (Dorjee Tshering Lepcha) ने केंद्र सरकार से राज्यसभा में बुधवार को 2020 से निलंबित नाथुला दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार को तत्काल फिर से शुरू करने की मांग उठाई है।
Nathula border trade reopening: बीजेपी नेता दोरजी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू करने के पीछे यह तर्क दिया कि ट्रेड बंद होने से सीमा के आसपास के लोगों को लगातार आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर व्यापार शुरू होगा तो इससे सीमावर्ती समुदायों को काफी राहत मिल सकती है।
India China bilateral trade route : राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाते हुए दोरजी लेपचा ने कहा कि लंबे समय तक नाथुला बॉर्डर बंद रहने से सीमावर्ती क्षेत्रों के पारंपरिक व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, कुलियों और स्थानीय निवासियों की आर्थिक और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इन सभी की आर्थिक स्थिति ऐतिहासिक रूप से चीन के साथ सीमा पार व्यापार पर निर्भर रही हैं।
उन्होंने कहा, "नाथुला के जरिये होने वाला सीमा व्यापार सिक्किम के लोगों की आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। नाथुला बॉर्डर के जरिए होने वाला व्यापार एक महत्वपूर्ण आर्थिक जीवन रेखा है और दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण का एक महत्वपूर्ण उपाय है।"
Why Nathula Border was Closed in 2020? नाथुला बॉर्डर के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापार बंद होने की कई वजहें बताई जाती हैं। दोनों देशों के बीच नाथुला बॉर्डर के जरिए व्यापार बंद होने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 महामारी थी। इसे बाद जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच सीमा संघर्ष भी एक महत्वपूर्ण कारक बन गया। गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच संघर्ष के समय केंद्र की मोदी सरकार ने चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने के नारे जोरशोर से लगवाए थे। हालांकि, 2025 के अगस्त महीने से दोनों देशों के बीच संबंधों में नरमी आती हुई प्रतीत हो रही है।
नाथुला दर्रा आमतौर पर भारतीय नागरिकों के लिए खुलता है। भारतीय नागरिकों को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट (PAP) लेना अनिवार्य होता है। देश के नागरिकों को पर्यटन विभाग या रजिष्टर्ड ट्रैवल एजेंसी के जरिए पीएपी लेना पड़ता है। परमिट के लिए मतदान पहचान पत्र, पासपोर्ट और फोटो चाहिए होता है। यहां परमिट के लिए आधार कार्ड नहीं चलता है। यह दर्रा सोमवार और मंगलवार को बंद रहता है। बहुत ज्यादा बर्फबारी या मौसम बिगड़ने की स्थिति में बंद कर दिया जाता है।
भारत-चीन के बीच व्यापार में चीन का पलड़ा भारी है। पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार लगभग 127.7 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत ने चीन से 113.5 अरब डॉलर का आयात किया और सिर्फ 14.3 अरब डॉलर का निर्यात किया। यह स्थिति भारत की चीन पर बहुत ज्यादा व्यापारिक निर्भरता को दर्शाता है। भारत को पिछले वित्त वर्ष में 99.2 अरब डॉलर का भारी व्यापार घाटा हुआ।
भारत, चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा केमिकल, लिथियम-आयन बैटरी व अन्य वस्तुओं का व्यापार करता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (लैपटॉप), एंटीबायोटिक्स,सिलिकॉन वेफर्स और सौर ऊर्जा घटकों जैसे कई उत्पादों के लिए चीन पर बहुत निर्भर है। वहीं चीन, भारत से सिर्फ कच्चा माल मंगाता है।
भारत और चीन के बीच नाथुला बॉर्डर को ओल्ड सिल्क रूट कहा जाता है। 2020 में बंद होने से पहले व्यापार का यह रूट साल में छह महीने (मई से नवंबर तक) तक खुला रहता है। इस दर्रे से आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की सूची आप देख सकते हैं।