Tomato cultivation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की जयवती चेरवा ने मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर टमाटर की खेती को सफलता की मिसाल बना दिया।
कोरिया जिले के छोटे से गांव बसवाही की जयवती चेरवा ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, आत्मविश्वास और सही दिशा में की गई पहल से कोई भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। कभी घरेलू जिम्मेदारियों में व्यस्त रहने वाली जयवती आज ‘चमेली स्व सहायता समूह’ के माध्यम से आत्मनिर्भर महिला किसान बन चुकी हैं।
तीन एकड़ भूमि में की गई टमाटर की खेती ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बदली, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाया। जयवती की मेहनत से उगाए गए टमाटर अब बिलासपुर, रायपुर होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंच रहे हैं- और उनके गांव की पहचान भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है। उनकी यह सफलता न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणा भी है कि अगर इरादे मजबूत हों तो मिट्टी से भी सोना उगाया जा सकता है। (Agriculture Success Story)
टमाटर की खेती से कई किसान परिवारों ने आत्मनिर्भरता हासिल की है, जिनमें से कुछ ने इसे सफलतापूर्वक एक लाभदायक व्यवसाय (Farmer Family Success) बना लिया है। यह खेती, खासकर जब उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों और आधुनिक तकनीकों को अपनाया जाता है, अच्छी आय प्रदान कर सकती है और परिवार के लिए वित्तीय स्थिरता ला सकती है।
कोरिया जिले के सोनहत विकासखण्ड के ग्राम बसवाही की जयवती आज क्षेत्र की उन प्रेरक महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर अपनी पहचान बनाई है। जयवती (Korea District Women Farmer) ने बताया ‘मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि कोरिया की धरती पर उगाई गई टमाटर महाराष्ट्र तक पहुंचेंगी, लेकिन यह सच है।
जयवती ‘चमेली स्व सहायता समूह’ से जुड़ी हैं और अपने पति गोपाल चेरवा के साथ मिलकर तीन एकड़ भूमि में टमाटर की खेती करती हैं। उनके पति धान की खेती (Rural Development) के साथ-साथ अन्य कृषि कार्यों में भी उनका सहयोग करते हैं। जयवती बताती हैं कि टमाटर की पैदावार अच्छी होने से अब उनकी उपज बिलासपुर, रायपुर से लेकर महाराष्ट्र तक पहुंच रही है। सालभर में करीब तीन लाख रुपये की आमदनी से परिवार की आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है।
Tomato cultivation in Chhattisgarh: जयवती ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं बेटी कक्षा छठवीं में और बेटा कक्षा बारहवीं में अध्ययनरत है। अब वे बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पूरी निष्ठा से सहयोग करने का संकल्प रखती हैं। (Chhattisgarh Tomato Farming) निश्चित ही जयवती जैसी महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रही हैं।