
दिवाली की रौनक बढ़ाएंगे देसी दीए! जांजगीर-चांपा के कुम्हारों ने शुरू की तैयारी, बढ़ी मिट्टी के दीयों की मांग(photo-patrika)
Diwali Special 2025: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में दीपावली पर्व नजदीक आते ही कुम्हारों ने दीए बनाना शुरू कर दिए हैं। देसी दीए से ही गांव-गांव में रौनक बढ़ने लगी है। बाजारों में मिट्टी के दीयों की मांग भी तेजी से बढ़ गई है। तुस्मा गांव के प्रसिद्ध कुम्हार विजय प्रजापति इस वर्ष भी अपने हुनर से विभिन्न आकृतियों के आकर्षक मिट्टी के दीए तैयार कर रहे हैं। जो लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं।
आइए जानते हैं बिंदुवार इस खास खबर के मुख्य पहलू, तुस्मा के सूदन कुम्हार वर्षों से मिट्टी के दीए बनाने का कार्य करते आ रहे हैं। यह पारंपरिक कला पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार में चली आ रही है। आधुनिकता के इस युग में भी सूदन कुम्हार ने इस परंपरा को जीवित रखा हैं। जिससे ग्रामीण संस्कृति की झलक आज भी दिखाई देती है।
दीपावली के आगमन से पहले ही सूदन कुम्हार अपने कार्यशाला में दिन-रात मिट्टी के दीये तैयार करने में व्यस्त हैं। वे अलग-अलग आकार, डिजाइन और आकृतियों के दिए बना रहे हैं। जैसे कमल आकार, चौमुखी दीया, झरोखा दीया और सजावटी रंगीन दीए।
प्रधानमंत्री के ओकल फॉर लोकल अभियान से प्रेरित होकर लोग अब विदेशी वस्तुओं की बजाय देसी उत्पादों को अपनाने लगे हैं। सूदन कुम्हार के मिट्टी के दीये इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन दीयों की बिक्री से न केवल उनके परिवार को आर्थिक संबल मिलता है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है।
मिट्टी के दीए बनाने की प्रक्रिया बेहद रोचक होती है। सूदन कुम्हार पहले उपयुक्त मिट्टी को गूंथते हैं और फिर चाक पर रखकर उसे आकार देते हैं। चाक के घूमते ही उनके कुशल हाथों से मिट्टी का ढेला सुंदर दीए का रूप ले लेता है। यह प्रक्रिया मेहनत धैर्य और कला का सुंदर संगम है। दीयों को आकार देने के बाद उन्हें कुछ घंटे धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद इन्हें भट्टी-भट्ठा में पकाया जाता है ताकि दीये मजबूत बने।
Published on:
11 Oct 2025 05:09 pm
बड़ी खबरें
View Allजांजगीर चंपा
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
