Sleep and Heart Health : डॉ. हेमंत चतुर्वेदी ने बताए 3 नींद के तरीके जो हार्ट हेल्थ सुधारते हैं, ब्लड प्रेशर कम करते हैं और हृदय रोगों का खतरा घटाते हैं।
Sleep and Heart Health : अक्सर लोग अपने दिल की सेहत के लिए डाइट और एक्सरसाइज पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन नींद को नजरअंदाज़ कर देते हैं। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत चतुर्वेदी के अनुसार, आपकी सोने की आदतें यह तय करती हैं कि आपका दिल कितना स्वस्थ रहेगा। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के शोध में पाया गया है कि खराब नींद ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती है, हार्ट रिद्म बिगाड़ सकती है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकती है। जानिए वे 3 नींद के पैटर्न जो आपके दिल को रखेंगे सुरक्षित और मजबूत।
एक स्वस्थ नींद चक्र के दौरान, ब्लड प्रेशरऔर हृदय गति स्वाभाविक रूप से 10 से 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। रात में यह गिरावट हार्ट के कार्यभार को कम करती है, जिससे उसे आराम मिलता है और रक्त वाहिकाओं को ठीक होने में मदद मिलती है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत चतुर्वेदी ने बताया, अपर्याप्त या अनियमित नींद शरीर की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को बाधित करती है।
छिपे हुए जोखिम:
नींद में व्यवधान गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
कोर्टिसोल के स्तर में वृद्धि: लगातार नींद की कमी से कोर्टिसोल का स्तर लगातार बढ़ सकता है। यह हार्मोन सूजन पैदा कर सकता है।
सूजन: डॉक्टर कहते हैं, खराब नींद के पैटर्न से पूरे शरीर में सूजन हो सकती है। इससे हृदय रोग, अनियमित दिल की धड़कन और यहां तक कि स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
नींद के दौरान अगर ऑक्सीजन का स्तर बार-बार कम होता है, तो इसे आवधिक हाइपोक्सिया कहा जाता है। ऐसा होने पर शरीर को बार-बार झटका लगता है, जिससे रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ जाता है।
डॉक्टर बताते हैं कि जब यह स्थिति बार-बार होती है, तो हार्ट पर लगातार दबाव पड़ता है। धीरे-धीरे हृदय की मांसपेशियां मोटी होने लगती हैं यह हृदय पर ज्यादा काम का बोझ बढ़ा देता है।
अगर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) यानी नींद में सांस रुकने की समस्या का इलाज न कराया जाए, तो इससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं जैसे लगातार हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, और स्ट्रोक का बढ़ा हुआ जोखिम।
अगर हमारी नींद-जागने की प्राकृतिक लय (सर्कैडियन रिद्म) गड़बड़ा जाए जैसे कि शिफ्ट में काम करने वालों के साथ अक्सर होता है तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। हमारे शरीर की यह घड़ी हार्मोन, ब्लड प्रेशर और खून की नसों के काम को कंट्रोल करती है।
डॉ. हेमंत चतुर्वेदी बताते हैं, जब यह लय बिगड़ती है तो शरीर में गड़बड़ी होने लगती है इंसुलिन सही तरह से काम नहीं करता (इंसुलिन रेसिस्टेंस), वजन बढ़ता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
ये सारी चीजें मिलकर दिल के लिए खतरनाक कॉम्बिनेशन बन जाती हैं और हार्ट प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ा देती हैं।
आप अपनी नींद की आदतों को बदलकर अपने हार्ट हेल्थ में सुधार कर सकते हैं। कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा सुझाए गए तीन बदलाव यहां दिए गए हैं:
क्या करें: हर दिन एक ही समय पर सोएं और जागें, सप्ताहांत सहित।
यह क्यों काम करता है: एक नियमित नींद का कार्यक्रम बनाए रखने से आपके शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह संतुलन आपके हार्मोन का समर्थन करता है, जिससे आपका रात्रिकालीन ब्लड प्रेशर कम हो सकता है और आपकी हृदय गति स्थिर हो सकती है। मान लीजिए कि आप अक्सर देर तक जागकर या बहुत देर तक सोकर अपनी नींद में खलल डालते हैं। ऐसे में, इससे आपकी धमनियां सख्त हो सकती हैं और आपके चयापचय में बाधा आ सकती है। इससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें:
जब आप अच्छी नींद की आदतें (स्लीप हाइजीन) अपनाते हैं, तो नींद लेना आसान हो जाता है। रात में तेज रोशनी से बचें, क्योंकि यह मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है, जिससे नींद और ब्लड प्रेशर दोनों प्रभावित होते हैं। हाल के शोध बताते हैं कि अनिद्रा के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT-I) नींद की गोलियों से ज्यादा असरदार और सुरक्षित इलाज है।
क्या करें: नींद की समस्याओं के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अगर आप अक्सर खर्राटे लेते हैं, दिन में बहुत नींद आती है, या हांफते हुए उठते हैं, तो डॉक्टर से मिलें।
यह क्यों काम करता है:
अगर आप नींद से जुड़ी समस्याओं के लक्षणों को अनदेखा करते हैं, तो इससे दिल से जुड़ी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
पॉलीसोम्नोग्राफी नाम का एक नींद परीक्षण इन समस्याओं की सही पहचान करने में मदद करता है।
सीपीएपी (CPAP) मशीन का इस्तेमाल करने से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है, दिल का काम बेहतर होता है, और हार्ट रिद्म की गड़बड़ियों का खतरा घटता है।
अगर आपको बेचैन पैर सिंड्रोम या लंबे समय से अनिद्रा जैसी दिक्कतें हैं, तो डॉक्टर से इलाज कराने पर दिल और शरीर पर तनाव काफी कम हो सकता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
ये भी पढ़ें