हाल ही में सिक्किम में हुए भूस्खलन हादसे में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के वीर सपूत हवलदार लखविंदर सिंह का जीवन देश सेवा में बलिदान हो गया। बुधवार की सुबह करीब साढ़े दस बजे उनका पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव लाया गया। इस दौरान पूरे गांव में मातम पसर गया।
शहीद हवलदार लखविंदर सिंह कलीनगर तहसील के गांव धुरिया पलिया के रहने वाले थे। बुधवार की सुबह करीब साढ़े दस बजे लखविंदर सिंह का पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव लाया गया। जैसे ही तिरंगे में लिपटी उनकी देह गांव पहुंची, माहौल गमगीन हो गया। ग्रामीणों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों की भारी भीड़ उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ी।
पत्नी रुपिंदर कौर अपने बलिदानी पति को देखकर खुद को संभाल नहीं पाईं और फूट-फूटकर रोने लगीं। वहीं सात साल का बेटा एकमजोत अपने पिता की पार्थिव देह को एकटक देखता रहा और मां से लिपटकर रोता रहा। इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर वहां मौजूद हर आंख नम हो गई। बुजुर्ग माता-पिता भी अपने बेटे के जाने के गम में बेसुध से हो गए।
बलिदानी लखविंदर सिंह का पार्थिव शरीर जब उनके घर के बाहर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, तो हजारों ग्रामीण उनके अंतिम दर्शन के लिए एकत्र हो गए। प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने पुष्प चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं सेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी। “भारत माता की जय” और “लखविंदर सिंह अमर रहें” के गगनभेदी नारों से गांव की फिजा गूंज उठी।
लखविंदर सिंह सिक्किम में तैनात थे और हाल ही में वहां भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में ड्यूटी के दौरान उनकी जान चली गई। 20 अप्रैल को वह बेटी के जन्म के बाद ड्यूटी पर लौटे थे। शहीद होने की सूचना सोमवार शाम परिवार को दी गई थी, जिसके बाद से ही गांव में शोक की लहर फैल गई थी।
सेना के अफसरों ने लखविंदर सिंह के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को उनकी पत्नी को सौंपा। रुपिंदर कौर तिरंगे को अपने सीने से लगाकर बिलख उठीं। परिजनों और गांव के लोगों ने उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन पूरे माहौल में मातम पसरा रहा।
बलिदानी के चाचा और सेवानिवृत्त फौजी जसवीर सिंह ने बताया कि लखविंदर बेटी के जन्म से पहले 50 दिन की छुट्टी पर घर आए थे। ड्यूटी पर लौटने के बाद नेटवर्क की दिक्कत के कारण परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा था, लेकिन शनिवार को उन्होंने ऑडियो संदेश भेजकर अपने कुशल-मंगल की सूचना दी थी। किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि वह संदेश उनका अंतिम होगा।