
PC: Social Media
50 दिन की छुट्टी पर घर आए लखविंदर फरवरी में परिवार संग समय बिताने के बाद 20 अप्रैल को अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। बेटी के जन्म की खुशी मनाने के कुछ ही सप्ताह बाद उनका यह बलिदान परिवार के लिए गहरा शोक लेकर आया।
लखविंदर के पिता गुरदेव सिंह ने बताया कि चार दिन पहले ही बेटे से फोन पर बातचीत हुई थी। उस वक्त लखविंदर ने सब कुछ ठीक होने की जानकारी दी थी और परिवार के सभी सदस्यों का हाल-चाल पूछा था। इसके बाद से संपर्क नहीं हो सका। सिक्किम में लगातार बिगड़ते हालात के बीच सोमवार शाम उनके बलिदान की सूचना मिली। यह खबर सुनकर पिता की आंखों में आंसू छलक आए। आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें ढांढस बंधाया।
सोमवार शाम जैसे ही लखविंदर सिंह के बलिदान की सूचना परिवार को मिली, घर में कोहराम मच गया। बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, छोटे बच्चे और भाई इस खबर से स्तब्ध रह गए। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। पूरे गांव में मातम का माहौल छा गया है और हर कोई इस वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए भावुक नजर आया। बुधवार तक उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाई पलविंदर सिंह ने बताया कि लखविंदर अपने भतीजी के जन्म के मौके पर छुट्टी पर आए थे और पूरे परिवार के साथ कुछ समय बिताया था। 20 अप्रैल को उन्होंने फिर से ड्यूटी जॉइन की थी। बलिदान की खबर मिलने के बाद से घर का माहौल गमगीन है। पलविंदर स्वयं तीन महीने पहले विदेश से लौटे हैं।
लखविंदर की पत्नी रूपिंदर कौर, मासूम बेटी मनसिरत कौर और बेटा एकमजोत शोक से बेहाल हैं। ढाई महीने की बच्ची पिता के बिना अनजान है, लेकिन उसकी मां का विलाप और सात साल के बेटे की चीखें हर किसी की आंखें नम कर रही हैं। पूरे गांव में लोग सांत्वना देने पहुंच रहे हैं, लेकिन इस क्षति की भरपाई संभव नहीं। हवलदार लखविंदर सिंह का बलिदान पूरे गांव और देश के लिए गर्व का विषय है, मगर यह पीड़ा परिवार के लिए बेहद गहरी है।
भूस्खलन में बलिदान हुए हवलदार लखविंदर सिंह के परिजनों को ढांढस बंधाने डीएम ज्ञानेंद्र सिंह और एसपी अभिषेक यादव उनके घर पहुंचे। परिजनों से मिलकर संवेदनाएं व्यक्त कीं। पार्थिव शरीर के घर पहुंचने और अन्य जानकारी ली। परिजनों को सांत्वना दी और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।
Updated on:
03 Jun 2025 08:31 pm
Published on:
03 Jun 2025 08:30 pm
बड़ी खबरें
View Allपीलीभीत
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
