UP Fake Birth Certificate: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से सामने आए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र घोटाले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। सलोन क्षेत्र से जारी हजारों जन्म प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल संदिग्ध पाकिस्तानियों व बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए किया गया।
UP Citizenship Fraud: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से सामने आए एक सनसनीखेज मामले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। यहां सलोन तहसील क्षेत्र में बड़ी संख्या में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार कर संदिग्ध पाकिस्तानियों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने की साजिश का खुलासा हुआ है। इस मामले के तार गुजरात, राजस्थान, पंजाब, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कई राज्यों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हस्तक्षेप के बाद पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है।
यह मामला पहली बार 17 जुलाई 2024 को उजागर हुआ, जब सुरक्षा एजेंसियों को कुछ संदिग्ध लोगों के पास असामान्य तरीके से बने जन्म प्रमाणपत्र मिले। जांच में सामने आया कि ये प्रमाणपत्र रायबरेली जिले के सलोन ब्लॉक से बनाए गए थे। इसके बाद एनआईए और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त जांच शुरू हुई। जांच के दौरान पाकिस्तान सीमा से लगे राज्य गुजरात, राजस्थान और पंजाब के पते पर बने 500 से अधिक संदिग्ध जन्म प्रमाणपत्र पकड़े गए। मंगलवार को इनमें से 58 जन्म प्रमाणपत्र औपचारिक रूप से निरस्त कर दिए गए।
जांच के दौरान कई चौंकाने वाले नाम सामने आए। राजस्थान के जोधपुर स्थित ठाकुर विकेंद्र नगर के पते पर बने हैदर का जन्म प्रमाणपत्र मंगलवार सुबह सबसे पहले निरस्त किया गया। इसके अलावा:
जब प्रशासनिक टीम इन पतेों की भौतिक जांच के लिए पहुंची तो सलोन के गढ़ी अलीनगर, इस्लामनगर और अन्य स्थानों पर संबंधित नामों के कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं मिले। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये सभी लोग या तो पाकिस्तानी नागरिक हैं या फिर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसपैठ कर चुके हैं।
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई, जब जांच में यह बात सामने आई कि इस नेटवर्क के तार रोहिंग्या शरणार्थियों और बांग्लादेशी घुसपैठियों से भी जुड़े हुए हैं। इससे पहले जम्मू में पकड़े गए कुछ रोहिंग्या घुसपैठियों के पास भी सलोन से जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्र मिले थे। वर्ष 2023 में मुंबई से पकड़े गए चार बांग्लादेशी नागरिकों के नाम भी इस फर्जीवाड़े की सूची में पाए गए। जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन संदिग्धों ने इन फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल पासपोर्ट बनवाने और भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार करने के लिए किया था।
इस पूरे घोटाले में एक संगठित गिरोह के शामिल होने के प्रमाण मिले हैं। आरोप है कि ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) विजय यादव, जन सेवा केंद्र (सीएससी) संचालक जीशान खान, और उसके सहयोगी सुहेल व रियाज ने मिलकर इस पूरे नेटवर्क को संचालित किया। इन लोगों ने देशभर के ग्राम विकास अधिकारियों की लॉगिन आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग किया। सरकारी पोर्टल में अवैध रूप से लॉगिन कर फर्जी तरीके से जन्म प्रमाणपत्र तैयार किए और उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बैठे एजेंटों के माध्यम से संदिग्ध लोगों तक पहुंचाया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि बेंगलुरु और मुंबई में पकड़े गए कई बांग्लादेशी नागरिकों के पास यही फर्जी दस्तावेज मिले थे, जिससे यह साफ हो गया कि यह नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश में फैला हुआ था।
प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती इन सभी फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त करने की है। जिले में कुल 52,846 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र सामने आए हैं। इन्हें निरस्त करने के लिए सलोन ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर विशेष टीमें बनाई गई हैं।
एक प्रमाणपत्र को तकनीकी प्रक्रिया के तहत निरस्त करने में औसतन आठ मिनट का समय लग रहा है। इसके बावजूद प्रशासन तेजी से कार्रवाई कर रहा है। मंगलवार को एक ही दिन में 558 फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया गया।
जांच में यह बात भी सामने आई कि फर्जी प्रमाणपत्रों का सबसे ज्यादा निर्माण कुछ ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया गया। आंकड़े इस प्रकार हैं:
इन सभी को मिलाकर कुल 52,846 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाने की पुष्टि हुई है।
यह मामला केवल दस्तावेजों की धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधा जुड़ा हुआ विषय बन गया है। यदि समय रहते यह फर्जीवाड़ा सामने नहीं आता, तो बड़ी संख्या में संदिग्ध विदेशी नागरिक भारतीय दस्तावेजों के जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते थे। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार अब इस पूरे नेटवर्क के अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की भी जांच की जा रही है। जल्द ही इस मामले में और भी बड़ी गिरफ्तारियां संभव हैं।
जिला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने साफ किया है कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। जिन सरकारी कर्मचारियों और दलालों की भूमिका सामने आएगी, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, यह मामला देशभर के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आया है कि सरकारी डिजिटल सिस्टम की सुरक्षा और सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त किए जाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह के गंभीर राष्ट्रविरोधी षड्यंत्रों को समय रहते रोका जा सके।