CG News: CGMSC की लैब-ओके दवाएं भी सब-स्टैंडर्ड मिलीं, जबकि अस्पताल के कैल्शियम सिरप की बोतल से मांस का टुकड़ा निकलने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
CG News: प्रदेश में एलोपैथी दवाएं भी सब स्टैंडर्ड निकल रही हैं। इनमें सीजीएमएससी से सप्लाई व बाजार में बिकने वाली दवाइयां शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार सब स्टैंडर्ड दवाइयां मरीजों पर असर नहीं करती। यह जान के साथ खिलवाड़ है। मरीज स्वस्थ होने के बजाय गंभीर होने लगता है। कुछ केस में मरीजों की जान भी चली जाती है। प्रदेश में कई सब स्टैंडर्ड दवा मिली हैं।
कंपनियों पर कार्रवाई भी की गई है, लेकिन यह नाकाफी है। प्रदेश में 5 सालों में 2472 सैंपलों की जांच में 177 दवा सब स्टैंडर्ड निकली थी। आंबेडकर समेत प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरशन (सीजीएमएससी) दवाओं की सप्लाई करता है। दावा है कि मान्यता प्राप्त लैब में जांच के बाद ओके रिपोर्ट मिलने के बाद ही दवाइयां अस्पतालों में सप्लाई की जाती हैं। हालांकि इसके बाद भी दवाइयां सब स्टैंडर्ड निकल रही हैं। दूसरी ओर मेडिकल स्टोर में बिक रही दवाओं की जांच का जिम्मा ड्रग विभाग का है।
विभाग की सुस्ती का आलम ये है कि सैंपलिंग कभी-कभार की जाती है। सैंपलिंग करने की जिम्मेदारी ड्रग विभाग के इंस्पेक्टरों की रहती है, लेकिन वे उदासीनता बरतते रहे हैं। सीजीएमएससी प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल अस्पताल समेत सभी 33 जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी व सब पीएचसी में दवाओं की सप्लाई करता है। यह व्यवस्था 2012 से बनी हुई है। सालाना करीब 800 से 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवा खरीदी जाती है।
CG News: ड्रग विभाग का काम न केवल मेडिकल स्टोर में बिकने वाली दवाइयों, बल्कि अस्पतालों में सप्लाई दवाओं की सैंपलिंग कर जांच भी करवाना है। महीने में 10 सैंपल मेडिकल स्टोर से लेने का नियम है। कई बार ये भी नहीं हो पाता। मेडिकल स्टोर में बिकने वाली कंपनियों की लैब की ओके रिपोर्ट पर बिक रही है। हालांकि हाल में देश के विभिन्न राज्यों में कई दवाएं सब स्टैंडर्ड निकली थीं।
दवाओं व इंजेक्शनों की गुणवत्ता खराब न हो इसलिए इसे निश्चित तापमान में रखा जाता है। सीजीएमएससी के वेयर हाउस में 2 से 8 डिग्री तापमान मेंटेन करने का दावा अधिकारी तो करते हैं, लेकिन यही दवा जब जिला अस्पतालों व सीएचसी में पहुंचती है तो कोल्ड चेन मेंटेन की हवा निकल जाती है। वहां कहीं फ्रिज खराब है तो कहीं लंबे समय तक बिजली गुल होने से दवा की क्वालिटी प्रभावित होती है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि अब कोल्ड चेन मेंटेन बढिय़ा की जा रही है। वेयर हाउस में 8 बाय 8 साइज का कमरा रहता है, जिसमें दवाओं को कोल्ड चेन मेंटेन कर रखा जाता है।
कभी-कभी जानी-मानी कंपनियों की कुछ दवाइयां भी सब स्टैंडर्ड निकल जाती है। सैंपल कहां से लिया गया है, किस तरह लिया गया है, इससे भी जांच रिपोर्ट प्रभावित होती है। तापमान से लेकर वातावरण दवाओं की क्वालिटी पर असर कर सकता है। लैब में ओके रिपोर्ट के बाद दवाओं का सब स्टैंडर्ड निकलना कई सवाल खड़े करते हैं: डॉ. देवेंद्र नायक, चेयरमैन बालाजी मेडिकल कॉलेज
कैंसर हो या अन्य कोई बीमारी, सब स्टैंडर्ड दवाओं का असर मरीजों पर कम होता है। मरीज की जान को खतरा हो सकता है। अच्छा होगा कि जब भी दवा खरीदें, प्रतिष्ठित कंपनियों की दवा खरीदें। इसके सब स्टैंडर्ड होने की संभावना नहीं के बराबर होती है। देश-दुनिया में कैंसर की दवा बनाने वाली कम ही फार्मास्यूटिकल कंपनियां हैं: डॉ. विकास गोयल, सीनियर हिमेटोलॉजिस्ट
देवपुरी शहरी स्वास्थ्य केंद्र में कैल्शियम सिरप की बोतल में मांस का टुकड़ा मिलने का हल्ला है। हालांकि ये जांच के बाद पता चलेेगा कि यह मांस का टुकड़ा है या कुछ और। सिरप में कोई भी चीज मिलना क्वालिटी पर सवाल है। सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने मामले की जांच की बात कही है। हालांकि मामला सीजीएमएससी का है। इसलिए जांच उन्हीं को करना होगा।
गर्भवती देविका साहू के अनुसार शनिवार को दोपहर जब वह कैल्शियम की सिरप पी रही थी, तब मांस जैसे टुकड़ा निकला। हाथ में रखकर देखा तो यह मांस जैसा ही लग रहा था। इससे उन्हें काफी घिन्न महसूस हुई। परिवार भी सकते में आ गया। इसके बाद सिरप की बोतल को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे।
बताया जा रहा है कि अस्पताल के स्टाफ ने सिरप की बोतल को सील कर दिया है, ताकि जांच के लिए सुरक्षित रखा जा सके। सिरप सीजीएमएससी से सप्लाई होने की बात सामने आ रही है। सीजीएमएससी से सप्लाई किसी सिरप में मांस का टुकड़ा जैसी संदिग्ध चीज मिलने का पहला मामला है। देखने वाली बात होगी कि जांच में क्या मिलता है, मांस का टुकड़ा है या अन्य कोई चीज।