CG Congress News: बैज और बघेल के अलावा पार्टी में अन्य चर्चित चेहरे गुटबाजियों में उलझे हुए हैं।
CG Congress News: योगेश मिश्रा @ छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव 2023 और लोक सभा चुनाव 2024 में जिस तरह जनता ने भारतीय जनता पार्टी पर अपना विश्वास जताया उससे कांग्रेस हैरान है। एक तरफ प्रदेश में भाजपा का पुनरुत्थान हुआ है और दूसरी ओर कांग्रेस पूर्ण रूप से बिखर गई है। शीर्ष स्तर पर कांग्रेस में कोई भी प्रभावशाली नेता नहीं बचा।
पार्टी में अब केवल स्वयं को नेता मानने वाले बचे हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में नेतृत्वकर्ताओं की कमी है, लेकिन पार्टी में जो काबिल नेता हैं उनमें से केवल कुछेक को अवसर मिले हैं। प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी का ऐसा हाल जनतंत्र के लिए हानिकारक है। आत्ममंथन जैसी बड़ी बातों को हर चुनाव (CG Congress News) के बाद सरलता से उपयोग करने वाली पार्टियां जब धरातल पर अपने प्रदर्शन को सुधारने का प्रयास नहीं करतीं तब उन्हें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का सबसे बड़ा बंटाधार किया प्रदेश प्रभारियों ने। दिल्ली से जब-जब जिस-जिस नेता को छत्तीसगढ़ का प्रभार दिया गया, हर एक ने पार्टी की कमर तोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली से आए प्रदेश प्रभारियों ने कई गुटों में बंटे पार्टी को कभी भी एक सूत्र में पिरोने की कोशिश नहीं की। हालांकि कांग्रेस 2018 चुनाव (CG Congress News) धमाकेदार तरीके से जीती लेकिन गुटबाजी से उबर नहीं पाई। किसी भी नेता को प्रदेश का प्रभार उसके सांगठनिक कौशल के कारण दिया जाता है, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने जब भी किसी को छत्तीसगढ़ का दायित्व सौंपा, उसे निराशा ही मिली।
अतीत को थोड़ा कुरेद कर पीछे झांकते हैं और कांग्रेस के पिछले तीन प्रदेश प्रभारियों की बात करते हैं। एक थे पी एल पूनिया। उनके बाद आईं कुमार शैलजा और वर्तमान प्रदेश प्रभारी हैं सचिन पायलट। पार्टी में तीनों का नाम बड़ा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सबका काम औसत से भी कम रहा। इन तीनों की सक्रियता सतही रही।
कार्यकर्ताओं से ये ऐसे मिलते रहे जैसे कोई राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछता है और गायब हो जाता है। प्रभारी का अर्थ ही होता है कि वो जिम्मेदारी के साथ संगठन को मजबूती करने में अपनी भूमिका निभाए, लेकिन कांग्रेस (CG Congress News) के इन तीन प्रभारियों (और इनके पूर्ववर्ती प्रभारी भी) के लिए छत्तीसगढ़ केवल एक राजनीतिक पर्यटन स्थल बन कर रह गया।
चुनावों में प्रदेश प्रभारी की महत्ता और बढ़ जाती है। सही प्रत्याशी चयन और प्रभावी चुनावी रणनीति बनाना प्रभारी की प्रमुख जिम्मेदारी होती है। परन्तु विडंबना ये है कि हर चुनाव (CG Congress News) में कभी कांग्रेस के प्रभारियों पर तो कभी प्रदेश के शीर्ष नेताओं पर दावेदार ही आरोप लगा देते हैं कि टिकट बंटवारे में काबिलियत नहीं, पैसों को अहमियत दी जा रही है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं दीपक बैज। युवा हैं, पार्टी में भविष्य के नेता के रूप में उभर रहे हैं, संगठन चलाने में सक्षम भी हैं, लेकिन उनका साथ देने के लिए कोई भी नेता नहीं। बैज ने 2019 लोक सभा चुनाव में बस्तर से पार्टी को जीत दिलाई थी।
सांसद बने, फिर पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ का दायित्व सौंप दिया, लेकिन 2024 लोक सभा चुनाव (CG Congress News) में उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया। अब जब पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष के सामर्थ्य पर ही भरोसा नहीं करती तो कार्यकर्त्ता कैसे उनके पीछे चलेंगे। बैज को नजरअंदाज कर पार्टी ने जिसे बस्तर लोक सभा से पूरे ताम झाम से उतारा उसने उस महत्वपूर्ण सीट को भाजपा की झोली में हस्तांतरित कर दी।
अब तो लोक सभा चुनाव (CG Congress News) के परिणाम भी आ गए। कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संगठन में फेरबदल कर सकती है। करीब 150 दिन बाद प्रदेश में अगला चुनाव स्थानीय निकायों का होगा। कांग्रेस वापसी के इस अवसर को लपकने के लिए पूरा जोर लगा देगी, लेकिन किसके भरोसे, ये बड़ा प्रश्न है? पार्टी में भूपेश बघेल का कद बहुत ही अल्पकाल के लिए बढ़ा और उतर गया।
बघेल के मुख्यमंत्रित्व काल में ही उनके खिलाफ पार्टी में विरोध के स्वर गाहे-बगाहे उठते रहते थे। ऐसे विरोधियों का बघेल के विश्वासपात्रों ने मुंह बंद तो करा दिया परन्तु धरातल स्तर पर पार्टी में आक्रोश और फूट पड़ा। इसी वजह से बघेल को राजनांदगांव लोक सभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान अपने ही लोगों के कड़वे वचन सुनने पड़े। पार्टी कार्यकर्त्ता कहते हैं जैसा सत्ता में रहते बघेल ने तल्ख व्यव्हार किया वैसा अब उन्हें भी झेलना पड़ेगा।
लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो गई। भारी तादाद में कांग्रेसियों ने भाजपा का दामन थाम लिया। अब यदि वर्तमान में पार्टी बैज को हटा कर बघेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो पार्टी को और हानि होगी। बैज और बघेल के अलावा पार्टी में अन्य चर्चित चेहरे गुटबाजियों में उलझे हुए हैं। ऐसे नेता कुछ कार्यकर्ताओं का समर्थन पा सकते हैं, सबका नहीं, इसलिए इनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने का अर्थ होगा पार्टी की लुटिया डुबोना।
कांग्रेस छत्तीसगढ़ में फिर से शुरुआत कर सकती है। पार्टी ने बहुत कुछ गंवाया, लेकिन सब कुछ नहीं। जो थोड़ी साख बची है और जिनके दम पर पार्टी का अस्तित्व कायम है उनको सामने लाने की आवश्यकता है। कांग्रेस को स्वच्छ छवि के कार्यकर्ताओं को संगठन चलाने का अवसर देना चाहिए। जिम्मेदारी तय करने की परंपरा भी प्रारम्भ करना चाहिए। जिस पार्टी ने 15 वर्ष के बाद सत्ता में वापसी की उसको जनता ने पांच साल में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया, इस पर यदि गूढ़ आत्ममंथन किया गया होता तो छत्तीसगढ़ में लोक सभा चुनाव (CG Congress News) के परिणाम ही कुछ और होते।