
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में इस बार परिणाम चौकाने वाले थे। जांजगीर-चांपा लोकसभा में भाजपा, कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो किसी भी प्रत्याशी ने अपना जमानत तक नहीं बचा पाए। लोकसभा चुनाव में इस बार 18 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें भाजपा-कांग्रेस छोड़कर अन्य प्रत्याशियों का जमानत भी जब्त हो गया है।
लोकसभा चुनाव को लेकर पिछले तीन माह से पूरे जिले में माहौल था। जिला प्रशासन तैयारी में जुटी हुई थी तो प्रत्याशी घर-घर दस्तक के साथ चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। 7 मई को मतदान हुआ। इसके बाद स्ट्रांग रूम में जनादेश कैद हो गया। 4 जून को मतगणना स्ट्रांग रूम में हुआ। जहां सुबह जो रोमांच था, वह दोपहर के बाद तूफान में बदल गया।
ऐसा लगा था कि भाजपा जोरदार टक्कर देगी लेकिन ईवीएम की गणना में किसी भी राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी के सामने टिक नहीं सका। सुबह 8 बजे जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष स्ट्रॉन्ग रूम को खोला गया और पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू हुई।
इसके बाद सुबह 8.30 के बाद ईवीएम की गणना शुरू हुई। जैसे-जैसे राउंड बढ़ते गए भाजपा प्रत्याशियों की जीत का अंतर भी बढ़ता गया। सूचना मिलने पर दोपहर 4 बजे के बाद कांग्रेस प्रत्याशी के परिजन व समर्थक मतगणना स्थल पहुंचने लगे। शाम 5 बजे के बाद जीत-हार का सारा गणित सामने आ चुका था। चुनाव आयोग के नियम के अनुसार नोटा को छोड़कर लोकसभा चुनाव में कुल डाले गए मतों के 16.66 प्रतिशत मत या छठवां हिस्सा नहीं मिलने पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है।
चुनाव आयोग द्वारा जमानत राशि 25 हजार रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन जांजगीर-चांपा लोकसभा अनुसूचित जाति सीट होने के कारण अभ्यर्थियों के लिए साढ़े 12 हजार रुपए थी। चुनाव मैदान में कुल 18 प्रत्याशी थे, जिनमें से भाजपा और कांग्रेस के 2 प्रत्याशियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी यानी 16 अभ्यर्थियों की जमानत जब्त हो गई।
जांजगीर-चांपा लोकसभा में इस बार हुए चुनाव में अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन बसपा का रहा है। मात्र 48 हजार 501 ही बटोर सके। इसके पहले 2019 में ड़ेढ लाख से ऊपर वोट मिला था। भाजपा-कांग्रेस के तीसरे दल बसपा ही थे, जमानत तक नहीं बचा पाए। इसमें जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से बसपा के रोहित डहरिया की भी जमानत जब्त हो गई। ज्ञात हो कि पामगढ़ व बिलाईगढ़ बसपा का गढ़ है, इसके बावजूद मात्र 48 हजार वोट में ही सिमटकर रह गए।
चुनाव आयोग के नियम के अनुसार किसी भी चुनाव में जब किसी प्रत्याशी को संबंधित सीट पर पड़े कुल वोटो का 1/6 यानी 16.66 प्रतिशत वोट नहीं मिलता है। इसके लिए चुनाव आयोग उसकी जमानत राशि जब्त कर लेता है। इसको ऐसे समझ सकते है किसी विस सीट में 1 लाख मतदाताओं ने वोट डाला है। इस सीट पर जमानत बचाने के लिए 16.66 वोट की जरूरत पड़ेगी।
Updated on:
07 Jun 2024 07:02 am
Published on:
06 Jun 2024 07:09 pm
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