CG News: रायपुर में युवाओं में शराबखोरी तेजी से बढ़ रही है। शराब की लत उनकी जान ले रही है। केवल आंबेडकर अस्पताल में हर माह 40 मरीजों की जान जा रही है।
CG News: पीलूराम साहू। छत्तीसगढ़ के रायपुर में युवाओं में शराबखोरी तेजी से बढ़ रही है। शराब की लत उनकी जान ले रही है। केवल आंबेडकर अस्पताल में हर माह 40 मरीजों की जान जा रही है, जो शराब की लत में लिवर व अन्य बीमारियों से ग्रसित होकर आते हैं। निजी अस्पतालों में भी हर माह 60 से 70 मरीजों की मौत हो रही है। एम्स में भी काफी संख्या में अल्कोहलिक मरीज पहुंचते हैं। हालांकि वहां मौतों की आंकड़ों की जानकारी नहीं मिल पाई।
डॉक्टरों के अनुसार शराब हर जगह उपलब्ध है, लेकिन खुद को इसे पीने से रोकने की जरूरत है। शराब सेहत के लिए कितनी खतरनाक है, ये मौत के आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है। अगर कोई मरीज बचकर चला भी जाए तो वह बीमारियों से घिरा रहता है। कुछ दिनों बाद जान चली जाती है। आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग में हर माह 1200 से ज्यादा मरीजों की भर्ती होती है। इनमें जो मरीज मरते हैं, उनमें 40 से ज्यादा मरीज अल्कोहलिक होते हैं।
ज्यादा एल्कोहल के कारण न केवल लिवर, बल्कि पैंक्रियाज, ब्रेन व हार्ट पर भी बुरा असर पड़ता है। कई मरीज एडवांस स्टेज में आते हैं, जिन्हें इलाज के बाद भी बचाना संभव नहीं होता। मरीजों में न केवल ग्रामीण, बल्कि शहरी भी होते हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ अत्यधिक शराब पीने वाले राज्यों में टॉप टेन में शामिल है, यहां करीब 35.7 फीसदी आबादी शराब की आदी है।
लिवर पूरी तरह खराब होने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है। इसके लिए मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता के अंतर्गत 18 से 20 लाख रुपए की मदद भी दी जाती है। इसके लिए ज्यादातर डोनर पत्नी या परिवार के लोग होते हैं। लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा डीकेएस तो छोड़िए एम्स में भी नहीं है। बड़े निजी अस्पतालों में ये सुविधा है। हालांकि इसमें कई बार प्रक्रिया लंबी हो जाती है। इससे मरीज ठीक होने के बजाय गंभीर हो जाता है।
5 साल पहले की तुलना में एल्कोहलिक मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। डॉक्टरों के अनुसार शराब की लत वाले लोगों में युवाएं भी शामिल हैं। यही नहीं इनमें किशोर भी शराब की लत के कारण बीमार पड़ रहे हैं। आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग में हर समय एल्कोहलिक के 20 से 22 फीसदी मरीज हमेशा भर्ती रहते हैँ। इनमें जनरल वार्ड से लेकर आईसीयू में इलाज किया जाता है। कई मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।
डायरेक्टर नारायणा अस्पताल डॉ. सुनील खेमका ने कहा की युवा या किसी भी उम्र के लोग शराब को फैशन की तरह न लें। शराब की लत खतरनाक होती जा रही है। खासकर युवा वर्ग इसे फैशन के बतौर लेकर अपना जीवन खराब कर रहे हैं। शौकिया तौर पर शराब, कब लत लग जाती है, उन्हें पता ही नहीं चलता। शराब से दूर रहकर जीवन खुशहाल बनाएं।
शराब से दूर रहकर ही लिवर को बचाया जा सकता है। शराब से न केवल लिवर, बल्कि पैंक्रियाज, हार्ट व ब्रेन पर बुरा असर पड़ता है। मरीज को ठीक करने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट एकमात्र विकल्प है। इसके लिए सीएम विशेष सहायता कोष से 18 से 20 लाख की मदद भी मिल जाती है।