रायपुर

प्रदेश में बनेगी छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी, बाघों के संरक्षण और इको-पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल

CG News: रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बाघों के संरक्षण और इको- पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा फैसला हुआ है।

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Jun 19, 2025
प्रदेश में बनेगी छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी(photo-unsplash)

CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बाघों के संरक्षण और इको- पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा फैसला हुआ है। अब प्रदेश में छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी का गठन किया जाएगा। यह सोसाइटी वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत काम करेगी।

मध्य प्रदेश में यह 1996 से संचालित है। इसका मुख्य लक्ष्य छत्तीसगढ़ में लगातार घट रही बाघों की आबादी (फिलहाल लगभग 18-20) को बचाना है। यह संस्था स्व-वित्तपोषित होगी, जिससे सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह सहयोग देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं से फंड जुटाएगी।

CG News: कैबिनेट का फैसला

यह सोसाइटी बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में सीधे शामिल होगी। यह स्थानीय समुदाय की भागीदारी से ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देगी, जिससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आय के अवसर भी पैदा होंगे।

साथ ही, यह पर्यावरणीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भविष्य के संरक्षणवादी तैयार होंगे। इस पहल से संरक्षण के लिए बाहरी धन, विशेषज्ञता और संसाधन मिलेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे और राज्य का पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।

इको-पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल

स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का होगा गठन: कैबिनेट ने स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (एसएमईटी) के गठन के प्रारूप को मंजूरी दी है। इस ट्रस्ट के तहत समस्त गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली रायल्टी 2 प्रतिशत राशि अतिरिक्त रूप से एसएमईटी फंड में जमा की जाएगी। इसका उपयोग गौण खनिजों के अन्वेषण, अधोसंरचना विकास में उच्च तकनीकों का उपयोग, इन्फॉर्मेशन सिस्टिम, लॉजिस्टिक सपोर्ट, मानव संसाधनों के उन्नयन आदि में किया जा सकेगा।

जशपुर जिले में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा हर्बल व महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पाद जशपुरे ब्रांड के तहत तैयार किए जा रहे हैं। इन उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराने और विपणन को बढ़ावा देने के लिए इस ब्रांड को राज्य शासन अथवा सीएसआईडीसी को दिया जाएगा। हस्तांतरण से एग्रो व फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। ट्रेडमार्क हस्तांतरण से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

Updated on:
19 Jun 2025 11:06 am
Published on:
19 Jun 2025 11:04 am
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