CG News: रायपुर में पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को हटाने के लिए सीएम हाउस के सामने 4 अक्टूबर को धरना-प्रदर्शन करेंगे।
CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को हटाने के लिए सीएम हाउस के सामने 4 अक्टूबर को धरना-प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए उन्होंने रायपुर कलेक्टर गौरव को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। कंवर पहले ही कोरबा कलेक्टर को हटाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं। वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने साय सरकार पर तंज कसा है।
पूर्व गृह मंत्री कंवर ने रायपुर कलेक्टर को लिखे अपने पत्र में कहा कि कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के विरुद्ध जन भावना को देखते हुए 14 ङ्क्षबदुओं पर मुख्यमंत्री सहित कई कैबिनेट मंत्री के समक्ष शिकायत कर चुका हूं, लेकिन ऐसे भ्रष्ट हिटलर प्रशासक के विरुद्ध कोई जांच नहीं किए जाने पर मुझे धरने पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
इससे मुझे समझ आ रहा है कि मुख्यमंत्री का आवास कार्यालय में बैठे कुछ आईएएस अधिकारी के कंट्रोल में सरकार चल रहा है, जो भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री को वास्तविक जानकारी से अवगत नहीं कराते हुए उन्हें गुमराह कर रहे हैं।इसके पहले भी मैंने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में कई बड़े घोटाले की मोदी सरकार से शिकायत की थी, जिसकी जांच में शिकायत के सभी ङ्क्षबदु प्रमाणित हुए।
साथ ही कंवर ने पत्र में कहा है कि जब मेरे जैसे वरिष्ठ अनुभवी नेता की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं तो अन्य जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को किस तरह से संज्ञान लिया जा रहा होगा ये समझा जा सकता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर द्वारा मुख्यमंत्री निवास के सामने धरने पर बैठने का ऐलान करना साबित करता है कि भाजपा की साय सरकार पूरी तरह से जन सरोकार से दूर हो चुकी है। ननकी राम भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में एक है।
उनको मांग मनवाने मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना देने की घोषणा करनी पड़ रही, तब कल्पना की जा सकती है कि आम आदमी की क्या स्थिति है? मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उनके पत्र के मुद्दों को संज्ञान लिया था, फिर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? ननकी राम कंवर अकेले नहीं है, साय सरकार की कार्यप्रणाली से कोई भी भाजपा का नेता कार्यकर्ता खुश नहीं है। दलीय प्रतिबद्धता के कारण सबकी जुबान बंद है।