NEET UG 2024: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 23 जून को बालोद व दंतेवाड़ा में होने वाली नीट यूजी का परीक्षा केंद्र बदल दिया है। बालोद के छात्र दल्लीराजहरा व दंतेवाड़ा के छात्र जगदलपुर के परीक्षा केंद्र में नीट देंगे। 5 मई को हुई नीट में बालोद में 45 मिनट पर सही परचा दिया गया […]
NEET UG 2024:नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 23 जून को बालोद व दंतेवाड़ा में होने वाली नीट यूजी का परीक्षा केंद्र बदल दिया है। बालोद के छात्र दल्लीराजहरा व दंतेवाड़ा के छात्र जगदलपुर के परीक्षा केंद्र में नीट देंगे। 5 मई को हुई नीट में बालोद में 45 मिनट पर सही परचा दिया गया था। दंतेवाड़ा में भी इतने ही समय बाद हिंदी माध्यम के छात्रों को सही परचा दिया गया था। हिंदी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम का परचा दिया गया था। जबकि बालोद में एसबीआई के बजाय केनरा बैंक से लाए परचों को बांटा गया था। यह बैकअप के लिए रखा गया था। इसे लेकर छात्रों व पालकों ने जमकर हंगामा भी किया था।
23 जून को होने वाली नीट यूजी में देशभर के 1563 छात्र शामिल होंगे। बालोद के कुछ छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दंतेवाड़ा के छात्रों ने भी मामले की शिकायत एनटीएस से की थी। इसके बाद एनटीए ने बालोद व दंतेवाड़ा के कुछ छात्रों को बोनस नंबर दिया था। दोनों ही सेंटरों में 600 के आसपास छात्र बैठे थे। गौर करने वाली बात ये भी है कि दोनों शहरों में एनटीए ने पहली बार नीट का परीक्षा केंद्र बनाया था। पहली बार में ही गड़बड़ी हो गई और एनटीए की किरकिरी हो रही है।
राजस्थान, हरियाणा के छात्रों को भी बोनस नंबर दिया गया। एनटीए का दावा है कि बोनस नंबर के कारण आल इंडिया रैंक एक में 67 छात्र आ गए। हालांकि उनका दावा अब फेल हो गया है, क्योंकि बिहार में परचा लीक होने की आशंका है। वहीं फिजिक्स के एक प्रश्न के दो आंसर होने के कारण बोनस अंक देने पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पर एनसीईआरटी ने कह दिया है कि चार साल पहले उन्होंने फिजिक्स का अपडेट वर्जन बुक ला दिया था। ऐसे में पुरानी किताब पढ़कर आंसर देना व इसके एवज में बोनस नंबर देने का एनटीए का तर्क सही नहीं है।
प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज व
प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1910 व बीडीएस की 600 सीटों पर प्रवेश नीट क्वालिफाइड छात्रों से होगा। प्रदेश से 22300 से ज्यादा छात्र क्वालिफाइड हुए हैं। इनमें मेरिट में ऊपर आने वाले छात्रों का ही प्रवेश संभव है। बाकी छात्र काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए पात्र होंगे। सबसे पहले सरकारी व बाद में निजी मेडिकल कॉलेजों की सीटें बढ़ती हैं। यही स्थिति डेंटल कॉलेजों की है।