Raipur News:जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में पिछले तीन दिनों से हार्ट के मरीजों की बायपास सर्जरी ठप है। यही नहीं वॉल्व रिप्लेसमेंट भी बंद हो गया है।
Raipur News: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में पिछले तीन दिनों से हार्ट के मरीजों की बायपास सर्जरी ठप है। यही नहीं वॉल्व रिप्लेसमेंट भी बंद हो गया है। यही नहीं वैस्कुलर (खून की नसों) सर्जरी भी नहीं हो रही है। जबकि विभाग ने अस्पताल प्रबंधन को 17 जुलाई को ऑपरेशन में लगने वाले जरूरी सामान खत्म होने की जानकारी दे दी थी। प्रबंधन ने जैम पोर्टल से सामान मंगाने का प्रयास तो किया, लेकिन असफल रहे।
एसीआई प्रदेश का एकमात्र सरकारी संस्थान है, जहां हार्ट की कोरोनरी बायपास सर्जरी से लेकर वैस्कुलर व वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी हो रही है। जरूरी सामानों के अभाव में मरीजों की सर्जरी बंद है। वैसे तो यहां 14 दिनों से सामान खत्म हो गया है, लेकिन सोमवार को एक मरीज की बायपास सर्जरी की गई। बुधवार को करीब 8 मरीजों को यह कहकर छुट्टी दे दी गई कि जब सामान आएगा तो बायपास सर्जरी कर दी जाएगी। ये मरीज करीब 15 दिनों से लेकर एक माह से भर्ती थे। ये जरूरतमंद मरीज हैं, जिन्हें बायपास सर्जरी की जरूरत है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि बायपास सर्जरी के लिए जो मरीज अस्पताल पहुंचता है, उनकी हालत कितनी गंभीर होती होगी। इसमें भी डॉक्टर की ये लाचारी कि ऑपरेशन के लिए जरूरी सामान नहीं है तो उनकी मजबूरी और बढ़ जाती है।
बायपास सर्जरी, वॉल्व रिप्लेसमेंट व वैस्कुलर सर्जरी के लिए तीन वेंडर सामानों की सप्लाई करते हैं। इनमें एक वेंडर का ही 1.60 करोड़ रुपए बकाया है। बाकी दो वेंडर भी सामान देने से हाथ खड़ा कर दिया है। कुछ माह पहले 10 करोड़ रुपए आया था। इसे रेडियोलॉजी के डीएसए, कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी के वेंडर को भुगतान किया था। तब करीब 12 से 13 करोड़ रुपए बकाया था। बताया जाता है कि ज्यादा बकाया वालों को भी कम पेमेंट किया गया इसलिए पेंडेंसी बढ़ती जा रही है।
कार्डियक सर्जरी में जरूरी सामानों की सप्लाई करने वाला टेंडर तीन साल पहले खत्म हो गया है। इसके बाद प्रबंधन टेंडर का एक्सटेंशन कर पुराने रेट पर सामान सप्लाई करने को कह रहा है। इस पर वेंडर तैयार तो है लेकिन भुगतान नहीं होने से हाथ खड़े कर रहे हैं। ऑक्सीजनरेटर से लेकर वॉल्व समेत दूसरे सामानों का रेट बढ़ गया है इसलिए वेंडर नुकसान की आशंका में सप्लाई से मना करते रहे हैं। प्रबंधन का कहना है कि फंड आता है तो बकाया भुगतान किया जाता है।