CG News: रायपुर पुलिस ने अलग-अलग थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था भंग होने, गुंडागर्दी आदि मामलों पर एक्शन लेते हुए 24 हजार 20 प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी।
CG News: शहर में क्राइम कंट्रोल के लिए पुलिस प्रिवेंशन एक्ट के तहत कई कार्रवाई करती है, लेकिन बदमाशों पर ऐसे एक्शन अक्सर फेल हो जाते हैं। आमतौर पर एडीएम-एसडीएम कार्यालय से बदमाशों को आसानी से छोड़ दिया जाता है। बहुत कम लोगों को जेल भेजा जाता है।
पुलिस हर साल 15-20 हजार से अधिक बदमाशों, उपद्रवियों और उत्पातियों को जेल भेजने के इरादे से उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करती है। 90 फीसदी बदमाशों को जेल नहीं भेजा जाता है। उन्हें मामूली जुर्माना आदि में छोड़ दिया जाता है। हालांकि पुलिस की आपत्ति आने पर कई मामलों में आरोपियों को जेल भेज दिया जाता है।
वर्ष 2024 में रायपुर पुलिस ने अलग-अलग थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था भंग होने, गुंडागर्दी आदि मामलों पर एक्शन लेते हुए 24 हजार 20 प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की थी। इसमें पकड़े गए बदमाशों को एडीएम-एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया।
नमें से करीब 10 फीसदी मामलों में ही बदमाशों को जेल भेजा गया। बाकी को कानूनी प्रावधान के नाम पर छोड़ दिया गया। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के अधिकांश मामलों में आरोपियों को जमानत दे दी जाती है।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में जेल नहीं जाने के चलते आदतन बदमाशों और संदिग्धों के हौसले और बढ़ते हैं। एडीएम-एसडीएम कोर्ट से मामूली जुर्माना देकर छूट जाते हैं। इसके बाद फिर अपने मोहल्ले, कॉलोनी या इलाके में जाकर लोगों पर धौंस जमाते हैं। गुंडागर्दी के अधिकांश मामलों ऐसा होता है। पुलिस त्योहारी सीजन, चुनाव, चेकिंग, रात्रि गश्त, विशेष अभियान आदि के दौरान पकड़े गए आदतन बदमाश और संदिग्धों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करती है। इसके अलावा हिस्ट्रीशीटरों और गुंडा-बदमाशों पर भी समय-समय में इन्हीं के तहत कार्रवाई की जाती है।
रायपुर पुलिस ने वर्ष 2024 में प्रिवेंशन एक्ट की विभिन्न धाराओं 151, 107-116,(3), 110 के तहत कुल 24 हजार 20 प्रकरण दर्ज किए। इसके तहत 28 हजार 873 लोगों को गिरतार किया गया। इनमें आदतन बदमाश, संदिग्ध, गुंडागर्दी और कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाले शामिल थे। इनमें 90 फीसदी आरोपी एसडीएम-एडीएम कोर्ट से छूट गए। उन्हें जेल नहीं हुई। करीब 10 फीसदी आरोपियों को जेल भेजा गया।
रायपुर में पुलिस कमिश्नरी लागू होने बाद एसडीएम-एडीएम कोर्ट में आरोपियों को पेश करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पुलिस प्रकरण के हिसाब से आरोपियों को जेल भेज सकेगी। इससे आदतन बदमाशों की गुंडागर्दी में कमी आएगी।