Top Medical Institutes India: एमबीबीएस की आवंटित सीटों पर 91 फीसदी व बीडीएस में महज 63 फीसदी छात्रों ने प्रवेश लिया है। एमबीबीएस के लिए आवंटित 1534 में 1396 छात्रों ने एडमिशन लिया है।
Top Medical Institutes India: नीट यूजी के टॉप-10 में से 6 टॉपरों ने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं लिया है। वे एम्स, बीएचयू समेत दूसरे राज्यों में पढ़ाई करने चले गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि सभी टॉपरों ने च्वाइस फिलिंग की थी। यानी दूसरे राज्यों में मौका नहीं मिलने पर यहां प्रवेश ले सकते थे। दरअसल पिछले साल टॉप दो, चार व पांच वाले छात्रों ने च्वाइस फिलिंग नहीं की थी।
यही नहीं 2023 में तो टॉप 10 में किसी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया था। विशेषज्ञों के अनुसार प्रवेश नहीं लेने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि प्रदेश के कॉलेज फिसड्डी हैं, बल्कि छात्रों को एम्स व दूसरे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश मिल जाता है। इसलिए ऐसा होता है।
प्रदेश के मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले चरण की काउंसलिंग 23 अगस्त को पूरी हो गई है। एमबीबीएस की आवंटित सीटों पर 91 फीसदी व बीडीएस में महज 63 फीसदी छात्रों ने प्रवेश लिया है। एमबीबीएस के लिए आवंटित 1534 में 1396 छात्रों ने एडमिशन लिया है। जबकि बीडीएस के लिए 454 सीटों के आवंटन में 284 छात्रों ने प्रवेश लिया है।
खाली सीटों के लिए दूसरे राउंड की काउंसलिंग 27 अगस्त से शुरू होकर 13 सितंबर तक चलने वाली थी, लेकिन तारीख आगे बढ़ गई है। अभी नया शेड्यूल नहीं आया है। एनएमसी की मेडिकल काउंसिल कमेटी ने ऑल इंडिया कोटे के लिए भी शेड्यूल जारी नहीं किया है। दरअसल देशभर के कई मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ी हैं। सीट मैट्रिक्स में सीटें शामिल करने व एनआरआई कैटेगरी के छात्रों के दस्तावेज सत्यापन के कारण दूसरे राउंड के शेड्यूल जारी करने में देरी हो रही है।
रायपुर व भिलाई स्थिति 4 निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की एडमिशन की प्रक्रिया नवा रायपुर स्थित हेल्थ साइंस विवि कैंपस में हो रही है। जबकि निजी कॉलेजों ने इसका विरोध किया था, लेकिन काउंसङ्क्षलग कमेटी के एक सदस्य की हठधर्मिता के कारण ऐसा हो रहा है। बताया जाता है कि निजी कॉलेजों के प्रतिनिधि की दलील पर कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन नेहरू मेडिकल कॉलेज परिसर में प्रवेश प्रक्रिया के लिए तैयार थीं, लेकिन असिस्टेंट प्रोफेसर व कमेटी के सदस्य विवि परिसर में एडमिशन के लिए अड़े रहे।
अंतत: कमिश्नर ने भी सदस्य की बात मान ली। वहीं बिलासपुर व भिलाई के निजी डेंटल कॉलेजों के छात्रों की एडमिशन प्रक्रिया सरकारी डेंटल कॉलेज रायपुर में होगी। विरोध करने वालों का कहना था कि छात्रों को कई बार एफिडेविट बनाने के लिए नोटरी की जरूरत पड़ती है। बैंक भी जाना पड़ता है। ऐसे में उपरवारा नवा रायपुर स्थित विवि परिसर में दिक्कत हो सकती है। देर शाम तक काउंसलिंग होने पर सुरक्षा का मामला भी सामने आ सकता है।
पहले राउंड में नेहरू मेडिकल कॉलेज में 163 सीटों पर एडमिशन है। यहां स्टेट कोटे की 189 में से 186 सीटों का आवंटन किया गया था। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 14 मेडिकल व 6 डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 14 अगस्त को आवंटन सूची जारी की थी। इसमें 1988 छात्रों के नाम थे। छात्रों को 18 से 23 अगस्त तक एडमिशन लेना था। पहले ही राउंड में सरकारी कॉलेजों की 92 फीसदी से ज्यादा सीटें भर चुकी हैं। जबकि निजी कॉलेजों में 25 से 30 फीसदी सीटों पर छात्रों ने प्रवेश लिया है।
एमबीबीएस कोर्स में आवंटन के बावजूद कम सीटों पर एडमिशन का मतलब ये है कि कई छात्रों ने दस्तावेज सत्यापन तो कराया, लेकिन एडमिशन नहीं लिया। पहले राउंड में निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेना अनिवार्य नहीं है। दस्तावेज सत्यापन करवाना अनिवार्य है। ये छात्र दूसरे राउंड में अच्छे कॉलेज मिलने पर प्रवेश लेंगे। इसलिए एमबीबीएस में सभी आवंटित सीटों पर एडमिशन नहीं हुआ है। यही स्थिति बीडीएस के लिए है।
Top Medical Institutes India: डॉ. विष्णु दत्त, रिटायर्ड डीएमई छग: नीट यूजी के स्टेट टॉपरों का प्रदेश में एडमिशन नहीं लेने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वे यहां के कॉलेज को प्रवेश के लायक नहीं मानते। इसका साफ मतलब है कि उन्हें एम्स व दूसरे प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश लेने का मौका मिल जाता है। टॉपर नेहरू मेडिकल कॉलेज को प्राथमिकता देते रहे हैं।