World Autism Awareness Day: एएसडी से पीड़ित बच्चों में सामान्य बच्चों की तरह कई गुण नहीं होते, उनमें सक्रियता कम होती है। ब्रेन पूरी तरह विकसित नहीं होने के कारण ऐसा होता है। राजधानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में एएसडी से पीड़ित बच्चों के इलाज की पूरी सुविधा है।
World Autism Awareness Day: ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित बच्चों को मुयधारा व सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार करने के प्रति प्रेरित व जागरूक करने के लिए हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है।
एएसडी से पीड़ित बच्चों में सामान्य बच्चों की तरह कई गुण नहीं होते, उनमें सक्रियता कम होती है। ब्रेन पूरी तरह विकसित नहीं होने के कारण ऐसा होता है। राजधानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में एएसडी से पीड़ित बच्चों के इलाज की पूरी सुविधा है। कई देशों में इस दिन इमारतों को नीली रोशनी में रोशन किया जाता है, जिसे ‘लाइट इट अप ब्लू’ कहा जाता है। यह ऑटिज्म के प्रति जागरुकता और समर्थन का प्रतीक है।
प्रदेश में भी ऑटिज्म पीड़ित बच्चों की संया बढ़ती जा रही है। हालांकि निश्चित संया स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार एएसडी मस्तिष्क के विकास में असामान्यता के कारण होता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति होती है। ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में असामान्य गतिविधि पाई जाती है। यही कारण है कि ये सामान्य बच्चों से अलग होते हैं। एस, आंबेडकर व निजी अस्पतालों के पीडियाट्रिक विभाग में ऐसे बच्चों का इलाज किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार ऑटिज्म का कारगर इलाज नहीं है, लेकिन इसका बेहतर मैनेजमेंट से सामान्य की ओर जाया जा सकता है। ऑटिज्म से जुड़ी समस्याओं के प्रबंधन के लिए थैरेपी व विशेष शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है। इससे बच्चों के विकास में मदद मिलती है।
डॉक्टरों के अनुसार ऐसे माता-पिता के बच्चे जिनका पहले से कोई बच्चा ऑटिज्म का शिकार हो, प्रीमैच्योर बच्चे, जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा होने वाले, उम्रदराज़ माता-पिता के बच्चे, जेनेटिक/ क्रोमोसोमल कंडिशन जैसे ट्यूबरस स्केलेरोसिस या फ्रेज़ाइल एक्स सिंड्रोम के कारण बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित हो सकता है।
व्यवहार में लचीलापन की कमी।
परिवर्तन से निपटने में परेशानी।
विशिष्ट विषयों की अनदेखी करना।
दिनचर्या में बदलाव व नए अनुभवों को सहन करने में परेशानी।
तेज आवाज़ से घृणा।
हाथ फड़फड़ाना, हिलना, घूमना जैसी गतिविधियां।
चीज़ों को एक विशेष तरीके से व्यवस्थित करना।
ध्वनि, स्पर्श व स्वाद के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया।
खाद्य पदार्थों की कुछ बनावटों से नापसंदगी।
किसी के साथ की बजाय अकेले रहना पसंद करना।
दोस्त नहीं बनाना और अंतर्मुखी रहना।
आंखों से संपर्क करने से बचना।
इंटरेक्टिव गेम खेलने में रुचि नहीं दिखाना।
नाटक या कल्पनाशील खेल नहीं खेलना
एएसडी से पीड़ित बच्चों के इलाज की पूरी सुविधा है। ऐसे बच्चे अलग-थलग रहना चाहते हैं, लेकिन पैरेंट्स कुछ प्रयास कर उन्हें सामान्य बच्चों के साथ रख सकते हैं। देश ही नहीं दुनिया में भी ऑटिज्म को लेकर जागरूकता आई है। - डॉ. ओंकार खंडवाल, एचओडी पीडियाट्रिक नेहरू मेडिकल कॉलेज
ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। ये सामान्य बच्चों की तरह नहीं होते इसलिए उन्हें ज्यादा प्यार की जरूरत है। बेहतर इलाज से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। पैरेंट्स भी ऐसे बच्चों की उपेक्षा न करें। - डॉ. शिल्पा भार्गव, ऑटिज्म विशेषज्ञ व पीडियाट्रिशियन