World Parkinson Day 2025: 11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस है। इस मौके पर पत्रिका ने इस बीमारी से जुड़ी जानकारी ली ताे पता चला कि यह प्राय: 55 साल या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में देखी जा रही है।
World Parkinson Day 2025: @पीलूराम साहू/पार्किंसंस जैसी जटिल न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज अब डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) से होने लगा है। अब तक एम्स व डीकेएस में 16 से ज्यादा मरीजों को ये डिवाइस लगाई गई है। इसे ब्रेन का पेसमेकर भी कहा जाता है। हर साल पार्किसंस से पीड़ित 350 से 400 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। डिवाइस के लिए मरीजों को मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना से मदद भी मिल रही है।
11 अप्रैल को विश्व पार्किंसंस दिवस है। इस मौके पर पत्रिका ने इस बीमारी से जुड़ी जानकारी ली ताे पता चला कि यह प्राय: 55 साल या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में देखी जा रही है। न्यूरो से जुड़े डॉक्टरों के अनुसार डीबीएस कोई आम सर्जरी नहीं है। यह एक न्यूरो-सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें मस्तिष्क में एक बेहद छोटा सा उपकरण लगाया जाता है। यह ब्रेन पेसमेकर की तरह काम करता है।
मस्तिष्क के अंदर सही जगहों पर हल्के विद्युत संकेत भेजकर कंपन, जकड़न व शरीर की अनियंत्रित हरकतों को नियंत्रित करता है। पहले डीबीएस लगाने के लिए मरीजों को दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु की दौड़ लगानी पड़ती थी। इलाज भी महंगा था। डीकेएस व एम्स में ये सुविधा मिलने से मरीजों को बड़ी राहत मिली है। जिन मरीजों को ये डिवाइस लगाई गई है, उनकी हालत में काफी सुधार देखा गया है। माना जाता है कि यह बीमारी मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले जीन व पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होता है।
पार्किंसंस के मरीजों में डीबीएस लगाने का खर्च 15 से 16 लाख रुपए आता है। सेंट्रल इंडिया में केवल डीकेएस व एम्स में ये सुविधा है। दोनों अस्पताल के डॉक्टर मिलकर मरीजों को ये डिवाइस लगा रहे हैं। एम्स के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल शर्मा व डीकेएस के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अभिजीत कोहट डीबीएस लगाने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया है। सेंट्रल इंडिया के किसी निजी अस्पताल में ये सुविधा तो नहीं है, लेकिन बड़े शहरों में 25 से 45 लाख रुपए खर्च होता है।
यह भी पढ़ें: Raipur news : राजधानी में ऐसे मनी दीपावली, SEE PICS
रायपुर में केवल आधे खर्च पर मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। डॉक्टरों ने कहा- तकनीकी का लाभ हर मरीज तक पहुंचना ही चाहिए। डॉ. कोहाट कहते हैं कि इस तकनीक से हर जरूरतमंद को मदद मिले। यह एक जीवन बदलने वाला इलाज है। वहीं डॉ. शर्मा का कहना है कि रायपुर को न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक मिसाल बनाना चाहते हैं। तकनीक का लाभ हर वर्ग व हर मरीज तक पहुंचना चाहिए। पार्किंसंस सिर्फ रोग नहीं, रोज की लड़ाई है। चलने, मुस्कुराने, जीने की लड़ाई। लेकिन यह लड़ाई जीती जा सकती है। सही इलाज, सही जानकारी व अपनों के साथ से।
World Parkinson Day 2025: डॉ. अभिजीत कोहट, एचओडी न्यूरोलॉजी डीकेएस: ब्रेन में डीबीएस लगाना एडवांस सर्जरी है। सेंट्रल इंडिया में केवल एम्स व डीकेएस में ये केस किया जा रहा है। जिन मरीजों में डिवाइस लगाने से बीमारी ठीक होने की उम्मीद रहती है, उनमें डीबीएस लगाया जाता है। मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के तहत 15 से 16 लाख रुपए की मदद मिल जाती है।
डॉ. राजीव साहू, एचओडी न्यूरो सर्जरी डीकेएस: पार्किसंस एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। यह प्राय: 55 साल या इससे अधिक उम्र के लोगाें को होता है। नियमित इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। डीकेएस में हर साल 350 से 400 ऐसे मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।