रायसेन

728 साल पुराने राधा-कृष्ण मंदिर में दर्शन कर जन्माष्टमी मनाएंगे सीएम, वृंदावन से कम नहीं ये मंदिर

CM Mohan Yadav: 700 साल से भी ज्यादा पुराने इस प्राचीन मंदिर में दूसरी बार जा रहे सीएम मोहन यादव, ग्रामीणों ने बताया मंदिर का रोचक इतिहास... थोड़ी देर में सीएम करेंगे राधा-कृष्ण के दर्शन...

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Aug 16, 2025
एक ही पत्थर पर बनी राधा, रुक्मणी और श्रीकृष्ण की प्रतिमा, 700 साल से भी पुराना है ये मंदिर, सीएम का यहां दूसरी बार दौरा. (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

CM Mohan Yadav on Raisen Visit Today: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2025) का पर्व आज प्रदेश समेत देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जाएगा। वहीं इस बार प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव रायसेन जिले की गैरतगंज तहसील के ग्राम महलपुर पाठा स्थित प्राचीन श्रीराधा-कृष्ण मंदिर में पूजा करने आएंगे। वे यहां संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण पर्व-हलधर महोत्सव एवं लीला पुरुषोत्तम का प्रकटोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे।

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सात सौ साल से भी ज्यादा पुराना है मंदिर

यह मंदिर लगभग सात सौ साल से भी ज्यादा पुराना (Ancient Temple) बताया जा रहा है। इस प्राचीन मंदिर से कई किवदंतियां जुड़ी हैं। बताया जाता है कि आला-ऊदल भी यहां पूजन करने आते थे। मकर संक्रांति पर यहां हर साल मेला लगता है। अभी तक जिले के लोगों के लिए यह स्थान श्री राधा-कृष्ण मंदिर के साथ ढक्कन मेला के लिए ज्यादा जाना जाता है। अब मुख्यमंत्री यहां विराजे श्रीकृष्ण, राधा रानी और रुकमणि की पूजा करने आएंगे तो मंदिर की प्रसिद्धि और बढ़ेगी।

यहां दूसरी बार आ रहे सीएम, तब 10-15 दिन रुके थे, तो किया था वादा

ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर मोहन यादव (CM Mohan Yadav) इस मंदिर में आज दूसरी बार आ रहे हैं। इससे पहले वो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के उपचुनाव में यहां आए थे और लगभग 10 से 15 दिन रुके थे। तभी मोहन यादव बोले थे कि एक बार और इस मंदिर आऊंगा और वो आज अपना वादा पूरा करने आ रहे हैं।

थोड़ी देर में महलपुर पाठा पहुंचेंगे CM


मुख्यमंत्री मोहन यादव अभी 10.45 बजे रायसेन के महलपुर पाठा (Shriradha Krishna Temple Mahalpur Patha)पहुंचेंगे। इस मौके पर सीएम के साथ जिला प्रभारी मंत्री नारायण सिंह पवार, स्थानीय विधायक प्रभुराम चौधरी भी साथ रहेंगे।

अगर हो विकास तो एमपी में भी तैयार हो सकता है 'वृंदावन'

यह मंदिर जंगल के बीचोंबीच स्थापित है। इसकी यही खासियत इसे भगवान कृष्ण और राधा के रास की कहानी सुनाते यूपी के वृंदावन की याद दिला देता है। वहां स्थित निधि वन की तरह ही इस मंदिर को भी विकसित किया जा सकता है।

एक पत्थर पर उकरी हैं तीनों प्रतिमाएं

मंदिर के पुजारी पंडित प्रकाश शुक्ला ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण, राधा और रुकमणि की प्रतिमाएं एक ही पत्थर पर उकेरी गई हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं। पं. शुक्ला ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार मंदिर लगभग सात सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। पहले यह प्रतिमाएं छोटी से मढ़िया में रखी थीं, 1960 में यहां मंदिर का निर्माण किया गया।

जामगढ़ की गुफा से मणि लेकर आए थे भगवान कृष्ण

बताया जाता है कि भगवान कृष्ण रायसेनजिले के महलपुर पाठा से जामगढ़ की गुफा में गए थे और वहां से मणि यहां लाए थे। ग्रामीणों का कहना है कि जो भक्त यहां आते हैं और राधा रानी से जो भी मांगते हैं, उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इस मंदिर के पास बनी बावड़ी काफी चमत्कारी है।

किले के अवशेष

मंदिर से कुछ दूरी पर एक विशाल किला के अवशेष हैं। कुछ दीवारें, कुछ मीनारें आज भी मौजूद हैं। इसे महल कहा जाता था। इसी के नाम पर गांव का नाम महलपुर पाठा पड़ा। लोगों ने दबे हुए धन की लालच में किला परिसर में हर तरफ खुदाई कर इसे और खंडहर बना दिया।

प्राचीन बावड़ी का रोचक इतिहास

क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर के बगल में बनी प्राचीन बावड़ी का अपना इतिहास है, कहा जाता है कि इस बावड़ी पर पत्थर का एक ढक्कन रखा होता था। हर दिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं को चांदी के बर्तनों में भोजन कराया जाता था और सभी बर्तन बावड़ी में रखकर ऊपर ढक्कन रखा जाता था। सैकड़ों साल पहले किसी व्यक्ति ने ढक्कन हटाकर बर्तन चुराने का प्रयास किया, तब उक्त ढक्कन उसके ऊपर गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई और ढक्कर के दो टुकड़े हो गए, जो आज भी बावड़ी के पास पड़े हैं।

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Published on:
16 Aug 2025 10:11 am
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