MP News: सरकार ने रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी घटाकर राहत देने का ऐलान किया, लेकिन फायदा थोक और सप्लाई स्तर पर ही अटक गया। फुटकर दुकानदार व उपभोक्ता अब भी पुराने दाम चुका रहे।
GST Cut: केंद्र सरकार ने आम उपभोक्ताओं को राहत देने कई वस्तुओं पर जीएसटी घटाया। 22 सितंबर से नई दरें लागू भी हो गई। लेकिन हकीकत यह है कि रोजमर्रा की जरूरी चीजें ब्रेड, दही, पनीर, मक्खन और घी अब भी पुराने दाम पर बिक रही है। इतना ही नहीं, रेत और सीमेंट जैसे निर्माण कार्यों में काम आने वाले सामानों में भी कोई राहत नहीं आई। उपभोक्ताओं और फुटकर दुकानदारों को फिलहाल सरकार के फैसले का कोई सीधा फायदा नहीं मिल पाया है। (MP News)
बाजार की स्थिति जानने पर फुटकर व्यापारियों ने साफ कहाकि एजेंसियां उन्हें पुराने रेट पर ही सप्लाई दे रही है। ब्यावरा ओल्ड एबी रोड गुना नाका क्षेत्र डेयरी उत्पाद बेचने वाले राजेंद्र और अंकित ने बताया, हम रोज जिस रेट पर सामान उठाते थे, वही रेट आज भी मिल रहा है। न हमें छूट मिली और न ही हम ग्राहकों को कोई राहत दे पा रहे है।" शहीद कॉलोनी और गली मोहल्लों में दुकान चलाने वाले जितेंद्र दांगी, राकेश सिलावट और गिर्राज गुप्ता जैसे फुटकर व्यापारियों ने भी यही स्थिति बताई। उनका कहना है कि जीएसटी घटने के बावजूद बिल पर - कोई बदलाव नहीं दिख रहा।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि जब तक एजेंसियां नई दरों के हिसाब - से बिल जारी नहीं करेंगी, तब तक उपभोक्ता को राहत मिलना संभव नहीं। सरकार ने जो राहत दी है। उसका असर तभी दिखेगा जब सप्लाई स्तर पर बदलाव होगा,' दुकानदारों ने कहा। स्थिति यह है कि सरकार के ऐलान और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क है। उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन दाम जस के तस बने हुए है। अब देखना होगा कि जीएसटी में कटौती का असर ग्राहकों तक कब पहुंचेगा।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स में कमी का फायदा सप्लाई चेन के शुरुआती स्तर पर ही अटक गया है। बड़े एजेंसी संचालक और थोक व्यापारी जीएसटी रिटर्न में छूट का लाभ समायोजित कर रहे हैं। प्रिंट रेट बदले नहीं हैं और फुटकर व्यापारियों को माल पुराने दाम पर ही मिल रहा है। इसलिए अंतिम उपभोक्ता तक राहत पहुंचना अभी मुश्किल है। हम जो प्रतिदिन डेयरी प्रोडक्ट की कीमत अदा करके आते थे, आज भी उसी कीमत पर मिल रहे हैं। अभी तो कोई राहत नहीं है। अगर हमें छूट मिलेगी तो हम भी ग्राहकों को देंगे।