MP News: पिछले साल की तरह ही इस बार भी लंपी राजस्थान के रास्ते ही जिले में फैला है....
MP News: लंपी वायरस एक बार फिर से तेजी से फैलने लगा है। हर गांव शहर में आवारा घूम रहे मवेशियों में लंपी के लक्षण दिख रहे है। खासकर बेसहारा गोवंश इसकी चपेट में अधिक आ रहा है। साथ ही खुरपका और मुंहपका रोग की चपेट में भी पशु आ रहे हैं। इन्हें समय पर उपचार भी नहीं मिल पा रहा है। जिससे पशु कमजोर होने के साथ ही अन्य बीमारियों से भी ग्रस्ति हो रहे हैं।
पिछले साल की तरह ही इस बार भी लंपी राजस्थान के रास्ते ही जिले में फैला है। दरअसल कुछ दिन पहले तक जिले से लगे राजस्थान सीमा पर लंपी के मामले सामने आ रहे है। इसके बाद धीरे-धीरे खिलचीपुर, माचलपुर और राजगढ़ में भी दिखने लगे। अब पूरे जिले में लंपी की चपेट में गोवंश आ रहे है। सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गोवंश में लंपी के लक्षण के मामले सर्वाधिक है। इसका कारण ये है कि इन बेसहारा गोवंश को उपचार नहीं मिल पा रहा है। न ही वैक्सीनेशन सही से होता है। ऐसे में ये सड़कों पर ही तड़प रहे हैं।
इन दिनों वायरल बीमारी खुरपका और मुंहपका की चपेट में पशु आ रहे है। जिसके कारण कई तरह की समस्या पशुओं में हो रही है। खासकर दूधारू पशु इस रोग की चपेट में आने से प्रभावित अधिक हो रहे है। पैर और मुंह के जरिए ये रोग संक्रमण के कारण फैलता है। गांव-गांव इसके मामले सामने आ रहे है। तलावली के प्रेमसिंह ने बताया कि मेरे एक भैंस को पहले संक्रमण था, दो दिन में अन्य सभी भी इसकी चपेट में आ गए। पशु विभाग से दवाई भी ली, फिर निजी डॉक्टर से इलाज कराया तब जाकर ठीक हुआ।
हां लंपी और खुरपका और मुंहपका रोग के मामले आ रहे है। हमने इस बार अगस्त से ही वैक्सीनेशन शुरू कर दिया है, जो जनवरी तक चलेगा। यदि कोई पशु संक्रमित हो जाता है तो उसे रिकवर होने में समय लगता है। कुछ पशुपालक टीकाकरण से डरते है कि दुधारु पशु का दूध कम हो जाएगा। जबकि ऐसा नहीं है। टीकाकरण नहीं होने से संक्रमण का खतरा अधिक होता है। जहां मामले सामने आ रहे हमारी टीम पहुंच रही है। - श्रुति सुमन, चिकित्सक, पशु चिकित्सालय ब्यावरा
हर बार विभाग पशुओं को संक्रमित रोगों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन कराता है। लेकिन बेसहारा गोवंश में ये केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित रहता है। यही कारण है कि पशुओं में लंपी सहित अन्य संक्रमित रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे है। हालांकि विभाग का दांवा है कि इस बार वैक्सीनेशन अगस्त में ही शुरू कर दिया था।