Martyr Ashish Sharma: छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर ऑपरेशन के दौरान आशीष ने बहादुरी से नक्सलियों का मुकाबला किया और वीरगति को प्राप्त हुए। शहीद की पार्थिव देह पहुंचते ही गांव में मातम फैल गया और “आशीष शर्मा अमर रहें” की गूंज सुनाई दी।
Martyr Ashish Sharma: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का माहौल गमगीन हो गया है। नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए जिले के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग जमा हुए। बालाघाट से बोहानी गांव तक उनकी अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने जगह-जगह फूल बरसाकर शहीद को श्रद्धांजलि दी। पूरे रास्ते 'आशीष शर्मा अमर रहे' की गूंज सुनाई दे रही थी।
आपको बता दें कि जैसे ही तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर शहीद के पैतृक गांव पहुंचा, माहौल भावुक हो गया। घंटों से इंतजार कर रहे उनके बूढ़े पिता देवेंद्र शर्मा अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर फूट-फूट कर रो पड़े। गांव में महिलाओं से लेकर युवाओं तक, हर आंख नम थी और हर चेहरा गम से भरा हुआ नजर आया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस ऑपरेशन में इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हुए, वह महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश ट्राइजंक्शन बॉर्डर पर चल रहा एक जॉइंट ऑपरेशन था। बताया जा रहा है कि यह वही ज़ोन है जहाँ छत्तीसगढ़ पुलिस और सिक्योरिटी फोर्स हाल के दिनों में नक्सलियों पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं। इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ की सिक्योरिटी एजेंसियों ने भी अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के बालागुड़ा-धनसारा इलाके में एक्टिव नक्सली ग्रुप्स के खिलाफ चलाया जा रहा था।
आपको बता दें कि शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा बहुत बहादुर और निडर ऑफिसर थे। एनकाउंटर के दौरान जब उनकी शहादत हुई, तब वे महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की टीमों को लीड कर रहे थे। ऑपरेशन में शामिल आशीष शर्मा के साथियों के मुताबिक, आशीष सबसे आगे थे और उन्होंने नक्सलियों का बहादुरी से मुकाबला किया। एनकाउंटर के दौरान आशीष के सीने, पेट और पैर में गोली लगी, जिससे वे शहीद हो गए। इंस्पेक्टर आशीष को उनकी बहादुरी के लिए दो बार वीर मेडल से सम्मानित किया जा चुका था।
Martyr Ashish Sharma: जैसे ही शहादत की खबर कांकेर, राजनांदगांव और बालोद जैसे बॉर्डर जिलों में फैली, सिक्योरिटी फोर्स ने दुख जताया। छत्तीसगढ़ के कई पुलिस अधिकारियों ने मैसेज जारी कर कहा कि आशीष जैसे बहादुर ऑफिसर की शहादत बेकार नहीं जाएगी; नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और तेज होगी।
बोहानी में अंतिम संस्कार के दौरान भारी भीड़ जमा हुई। सैकड़ों लोग तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को कंधा देने के लिए इकट्ठा हुए। 'जब तक सूरज और चांद रहेगा, आशीष शर्मा का नाम रहेगा'- यह नारा पूरे गांव में गूंज रहा था।