राजसमंद

शिक्षा अधिकारियों को महीने में 4 दिन गांवों में गुजारनी होगी रात

राजस्थान शिक्षा विभाग ने अब केवल कागजी खानापूर्ति पर नहीं, बल्कि ज़मीनी बदलाव पर फोकस करते हुए एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है।

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Secondary education News

राजसमंद. राजस्थान शिक्षा विभाग ने अब केवल कागजी खानापूर्ति पर नहीं, बल्कि ज़मीनी बदलाव पर फोकस करते हुए एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है। अब पीईईओ (पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी) से लेकर उच्च शिक्षा अधिकारियों को हर महीने चार रातें गांवों में बितानी होंगी। यह पहल सिर्फ़ औपचारिकता नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की नब्ज़ पकड़ने और सुधार की ठोस कोशिश मानी जा रही है।

क्यों गांवों में रुकेंगे शिक्षा अधिकारी?

माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने स्पष्ट किया है कि यह रात्रि विश्राम महज "हाजिरी" तक सीमित नहीं रहेगा। अधिकारी शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक गांव में ही रुकेंगे, ग्रामीणों से सीधा संवाद करेंगे, विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे और बच्चों की शिक्षा की जमीनी हकीकत समझेंगे।

रात्रि विश्राम में क्या-क्या करना होगा?

  • विद्यालयों का दौरा: भवन की स्थिति, शिक्षण सामग्री और स्टाफ की मौजूदगी की जांच
  • शिक्षण गुणवत्ता का मूल्यांकन: बच्चों की पढ़ाई, समझ और सीखने के स्तर का अवलोकन
  • ग्रामीणों के साथ बैठकें: अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों से सीधी बातचीत
  • फीडबैक: बच्चों, माता-पिता और ग्रामीणों से सुझाव लेना
  • बुनियादी समस्याओं की पहचान: जैसे पेयजल, शौचालय, बिजली, बैठने की व्यवस्था आदि

इसके अलावा, इन सभी गतिविधियों की रिपोर्ट विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है ताकि कार्य की पारदर्शिता बनी रहे।

आदेश की अनदेखी पर दोबारा सख्ती

यह योजना पहली बार 24 अप्रैल को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सार्वजनिक रूप से घोषित की थी। इसके बाद 29 मई को निदेशालय ने आदेश भी जारी किए थे। लेकिन जून महीने में जब इसकी समीक्षा हुई तो पता चला कि बहुत कम अधिकारियों ने रिपोर्ट पोर्टल पर डाली। इससे संकेत मिला कि या तो अधिकारी गांवों में गए ही नहीं, या उन्होंने रिपोर्टिंग में लापरवाही बरती। इस स्थिति को गंभीर मानते हुए जुलाई की शुरुआत में निदेशक ने फिर से सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब सभी संभागीय संयुक्त निदेशक और मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि फील्ड स्तर पर अधिकारी समय पर रात्रि विश्राम करें और रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज करें।

क्यों जरूरी है यह योजना?

राज्य के कई सरकारी स्कूल अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं—जैसे जर्जर भवन, शिक्षक अनुपस्थिति, पानी की दिक्कत, शौचालयों की हालत आदि। अक्सर शिकायतें तब सामने आती हैं जब मीडिया में खबर बनती है या कोई दुर्घटना होती है। लेकिन इस योजना के ज़रिए अब नियमित निगरानी और संवाद के माध्यम से समस्याओं की पहचान पहले ही हो सकेगी।

शिक्षकों से संवाद, बच्चों से संवाद

रात्रि विश्राम केवल अफसरों के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में जागरूकता और भागीदारी बढ़ाने का मौका भी बनेगा। अधिकारी जब गांवों में मौजूद रहेंगे तो शिक्षकों के साथ सहज संवाद हो सकेगा, उनकी दिक्कतें समझी जा सकेंगी। साथ ही बच्चों से सीधा जुड़ाव अधिकारी को ज़मीनी सच्चाई से रूबरू कराएगा।

ग्रामीणों की भूमिका भी होगी अहम

यह योजना ग्रामवासियों को भी शिक्षा प्रणाली का साझेदार बनाने की कोशिश है। अब जब अफसर सीधे गांव में रात बिताएंगे, तो पंचायत सदस्य, अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता भी सक्रिय भूमिका में आएंगे। इससे न केवल स्कूलों की स्थिति में सुधार आएगा, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच भरोसा भी बढ़ेगा।

तकनीकी निगरानी: पोर्टल पर अनिवार्य रिपोर्टिंग

निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि अधिकारी चाहे कितनी भी मेहनत करें, अगर उसकी सूचना पोर्टल पर नहीं डाली गई, तो उसे मान्यता नहीं मिलेगी। यानी अब कार्य की रिपोर्टिंग ऑनलाइन होगी और समय पर रिपोर्ट नहीं देने वालों पर कार्रवाई संभव है।

ईमानदारी से क्रियान्वयन पर ज़ोर

निदेशक सीताराम जाट ने स्पष्ट किया है कि यह योजना कोरी रस्म अदायगी नहीं होनी चाहिए। हर अधिकारी को ईमानदारी से काम करना होगा, और यदि यह साबित हुआ कि रात्रि विश्राम केवल कागजों पर हुआ है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इनका कहना है

शिक्षा विभाग का निर्णय स्वागत योग्य है। पीईईओ एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के रात्रि विश्राम से सरकारी स्कूलों का ग्रामीणों एवं अभिभावकों से जुड़ाव बढ़ेगा एवं विद्यार्थियों के अध्ययन के स्तर के साथ विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं पर भी अभिभावकों से विचार विमर्श हो सकेगा। इस आदेश की शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित होनी चाहिए।

मोहर सिंह सलावद,प्रदेशाध्यक्ष, शिक्षक संघ रेसटा,राजस्थान।

Published on:
08 Jul 2025 11:07 am
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