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राजसमंद: 6 साल में न अतिक्रमण हटा, न तारबंदी हुई- अब भेजा 3.76 करोड़ का प्रस्ताव

राजसमंद शहर के धोइंदा क्षेत्र में प्रस्तावित बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय को लेकर सरकार और प्रशासन की विफलता एक बार फिर उजागर हो गई है।

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राजसमंद. राजसमंद शहर के धोइंदा क्षेत्र में प्रस्तावित बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय को लेकर सरकार और प्रशासन की विफलता एक बार फिर उजागर हो गई है। वर्ष 2019 में 4.15 बीघा जमीन आवंटित किए जाने के बाद भी न तो वहां अतिक्रमण हटाया गया और न ही तारबंदी हो सकी। आश्चर्य की बात यह है कि 2023 में 2.5 लाख रुपए तारबंदी के लिए स्वीकृत हुए थे, लेकिन आज तक जमीन पर न कोई बाउंड्री है और न ही अतिक्रमण से मुक्ति। अब, पशुपालन विभाग ने 3 करोड़ 76 लाख रुपए का नया विस्तृत प्रस्ताव सरकार को भेजा है, जबकि जमीन अभी भी अतिक्रमण की चपेट में है।

6 वर्षों में एक इंच भी प्रगति नहीं, जिम्मेदारों की निष्क्रियता उजागर

धोइंदा क्षेत्र की 4.15 बीघा जमीन को बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय निर्माण के लिए वर्ष 2019 में चिन्हित किया गया था। उस समय से लेकर आज तक केवल कागज़ी कार्रवाई ही होती रही। नगर परिषद ने दो बार अतिक्रमण हटाने की औपचारिकता निभाई, लेकिन हर बार अतिक्रमणकारियों ने पुनः कब्जा जमा लिया। इस बीच दिसंबर 2023 में 2.5 लाख की राशि तारबंदी के लिए स्वीकृत हुई, मगर यह राशि सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई।

तारबंदी नहीं, अब सीधा भवन निर्माण का प्रस्ताव

चौंकाने वाली बात यह है कि जब सरकार ढाई लाख की राशि का उपयोग तक नहीं कर सकी, अब उसी भूमि पर 3.76 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें अत्याधुनिक भवन, चारदीवारी, जलापूर्ति, फर्नीचर, स्टाफ सुविधा, सड़क संपर्क जैसी सुविधाएं शामिल हैं। सवाल यह है कि जब जमीन पर कब्जा हटाना ही संभव नहीं हो पाया, तो इतनी बड़ी राशि का प्रस्ताव आखिर क्यों?

प्रशासनिक निष्क्रियता या राजनीतिक उदासीनता?

यह प्रकरण सिर्फ प्रशासनिक निष्क्रियता का उदाहरण नहीं है, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी भारी कमी को उजागर करता है।

  • 2019 में जमीन आवंटित
  • 2021 में पहली बार अतिक्रमण हटाया गया
  • 2023 में तारबंदी के लिए बजट
  • 2024 में कोई प्रगति नहीं
  • 2025 में 3.76 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया

इस दौरान न नगर परिषद ने गंभीरता दिखाई, न ही स्थानीय प्रशासन ने कोई स्थायी कार्रवाई की। इतना ही नहीं, पहले इसी कारण 2021 में पशु चिकित्सालय को नाथद्वारा स्थानांतरित कर दिया गया था।

विधायक की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल

वर्तमान विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने 2021 में जब पशु चिकित्सालय को नाथद्वारा स्थानांतरित किया गया था, तब जोरदार आंदोलन कर सरकार को घेरा था। लेकिन अब जबकि उनकी ही सरकार सत्ता में है और उन्हें विधायक बने एक साल से ज्यादा समय हो चुका है, तब भी जमीन पर से अतिक्रमण नहीं हट पाया है। इससे लोगों में उनके प्रयासों को लेकर भी संदेह पैदा हो रहा है।

पशुपालन विभाग का तर्क- ‘ढाई लाख में संभव नहीं थी तारबंदी’

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक शक्तिसिंह ने स्पष्ट किया कि “ढाई लाख की राशि में इतनी बड़ी जमीन की तारबंदी संभव नहीं थी। इसलिए हमने अप्रैल 2025 में 3 करोड़ 76 लाख रुपए का नया विस्तृत प्रस्ताव निदेशालय को भेजा है। प्रस्ताव स्वीकृत होने पर अतिक्रमण हटाकर निर्माण कार्य शुरू करवाया जाएगा।”

समस्या की जड़ में कौन?

  • नगर परिषद की निष्क्रियता: समय रहते अतिक्रमण हटाने के लिए कोई स्थायी या सख्त कदम नहीं उठाया गया। 2023 के बजट के बाद भी तारबंदी का कार्य शुरू नहीं हो पाया।
  • प्रशासनिक ढिलाई: बार-बार अतिक्रमण हटाने के बावजूद दोबारा कब्जा हो जाना, यह स्थायी समाधान की कमी दर्शाता है। अतिक्रमियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: विपक्ष में रहते हुए मुद्दा उठाने वाले अब सत्ता में हैं लेकिन समाधान अब तक नहीं निकला। पशुपालकों की वर्षों की उम्मीदें केवल आश्वासन बनकर रह गई हैं।

क्या यह प्रस्ताव केवल दिखावा है?

जब सरकार 2.5 लाख की राशि का उपयोग नहीं कर सकी, तो करोड़ों का प्रस्ताव भेजना केवल "कागजीविकास" को दर्शाता है। इससे स्पष्ट होता है कि फाइलें तो चल रही हैं, लेकिन जमीन पर कोई प्रगति नहीं। जनता का सवाल है — "जब जमीन ही खाली नहीं है, तो भवन कैसे बनेगा?"

स्थानीय जनता की नाराजगी

धोइंदा क्षेत्र के निवासियों और पशुपालकों में रोष है। उनका कहना है कि 6 साल से केवल सुनवाई और कागजी कार्यवाही हो रही है। कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी मौके पर आकर ठोस कार्य नहीं कर रहा। पिछले चार साल से सुन रहे हैं कि यहां पशु चिकित्सालय बनने वाला है। लेकिन हर बार अतिक्रमण का बहाना और अब करोड़ों का प्रस्ताव-ये सब केवल दिखावा है।”

Published on:
08 Jul 2025 11:42 am
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