रामपुर जेल में बंद आजम खां और अब्दुल्ला की शिफ्टिंग अर्जी खारिज होने के बाद सवाल बढ़ गए हैं—क्या अब हालात और कठिन होंगे? घर का सामान जेल प्रशासन ने नहीं जाने दिया। वही आज एमपी एमएलए कोर्ट से एक बार फिर जोर का झटका धीरे से लगा है।
रामपुर जेल में बंद पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला की जेल बदलने की अर्जी एमपी-एमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ कहा कि दोनों को जेल मैनुअल के तहत ही सुविधाएं मिलेंगी। और शिफ्टिंग से पहले अनुमति अनिवार्य होगी। जिससे पिता पुत्र को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है।
रामपुर जेल में बंद सपा नेता आजम खां को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ा है। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उस याचिका को मंजूरी नहीं दी। जिसमें उन्होंने खुद और अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को ए कैटेगरी वाली जेल में भेजने और एक ही बैरक में रखने की मांग की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि जेल प्रशासन दोनों को पूरी तरह जेल मैनुअल के नियमों के अनुसार सुविधाएं दे रहा है। इसलिए किसी भी तरह की जेल शिफ्टिंग से पहले कोर्ट की स्वीकृति जरूरी होगी।
फिलहाल आजम खां रामपुर जेल की बैरक नंबर एक में रखे गए हैं। जबकि यह जेल बी कैटेगरी में आती है। उनकी उम्र और सेहत को ध्यान में रखते हुए बेटे अब्दुल्ला को भी नजदीक ही रखा गया है। हालांकि परिवार ने दोनों के लिए घर से कंबल और खाना भेजने की कोशिश की। लेकिन जेल प्रशासन ने इन्हें अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी। जेल अधीक्षक राजेश यादव ने बताया कि सुरक्षा कारणों से बाहरी सामान प्रवेश नहीं कर सकता और कैदियों को केवल जेल में उपलब्ध सुविधाओं का ही उपयोग करना होगा।
सूत्रों के अनुसार, जेल में पहली दो रातें आजम खां के लिए काफी कठिन रहीं। बताया गया कि वे बेचैनी में रात भर करवटें बदलते रहे और घर से भेजा गया कोई सामान उन्हें नहीं मिल सका। यही स्थिति अब्दुल्ला आजम की भी रही।
गौरतलब है कि पैन कार्ड से जुड़े एक मामले में सोमवार को कोर्ट ने आजम खां और उनके बेटे को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। सजा के बाद दोनों को तुरंत जेल भेज दिया गया। इस फैसले के खिलाफ बुधवार को सेशन कोर्ट में अपील दायर कर दी गई है। जिसे आजम खां के वकील ने प्रस्तुत किया है।