रतलाम

#Ratlam में 31 साल बाद : सातरूंडा कंवलका मां की टेकरी पर शतचंडी महायज्ञ

रतलाम। विश्व प्रसिद्ध सिद्ध स्थल मां कंवलका का धाम जिला मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूर महू-नीमच फोरलेन पर स्थित सातरुण्डा चौराहे से मात्र 3 किलोमीटर पश्चिम में बिरमावल ग्राम पंचायत के सातरुण्डा माता पहाड़ी है। पांडव कालीन एतिहासिक मंदिर में मां कवलका विराजित है, यहां 31 साल बाद माता मंदिर परिसर में टेकरी पर […]

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Dec 29, 2025
विक्रम संवत 1188 से गोस्वामी परिवार बिरमावल द्वारा मां कालका की पूजा अर्चना की जा रही है। माँ की प्रतिमा को मदिरा का भोग भी श्रद्धालु आम दिनों में लगाते हैं।

रतलाम। विश्व प्रसिद्ध सिद्ध स्थल मां कंवलका का धाम जिला मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूर महू-नीमच फोरलेन पर स्थित सातरुण्डा चौराहे से मात्र 3 किलोमीटर पश्चिम में बिरमावल ग्राम पंचायत के सातरुण्डा माता पहाड़ी है। पांडव कालीन एतिहासिक मंदिर में मां कवलका विराजित है, यहां 31 साल बाद माता मंदिर परिसर में टेकरी पर शतचंडी महायज्ञ का आयोजन अगले साल फरवरी माह की प्रथम दिन से होने जा रहा हैं।

प्रसिद्ध सिद्ध स्थल माँ कंवलका की टेकरी सातरूंडा पर शतचंडी यज्ञ का आयोजन होगा। 11 कुंडीय शतचंडी महायज्ञ 1 से 7 फरवरी तक आयोजित होगा। इसके साथ ही गो कथा का आयोजन भी मंदिर परिसर में किया जाएगा। इस संबंध में निजी होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता का आयोजन कर यज्ञआचार्य महंत बजरंग जाने वैष्णव ने बताया कि 31 साल बाद माता के दरबार में यज्ञ होने जा रहा हैं, पहले टेकरी की तलहटी में महायज्ञ हुआ था।


संतों का होगा आगमन
इस साल फरवरी में होने वाले यज्ञ के लिए 44 यजमानों की स्वीकृति मिल चुकी हैं, संतों का आगमन भी होगा। घर-घर जाकर धर्मालुओं को आमंत्रित किया जा रहा हैं कि महायज्ञ में शामिल होकर मां भगवती का आशीर्वाद प्रदान करें। गो कथा का माध्यम से धर्म का प्रचार कर आगे बढ़ाना है।


सुबह-शाम यज्ञ दिन में होगी कथा
आयोजकों ने बताया कि यज्ञ सुबह 6 से 12 बजे तक होगा, इसके बाद 12 से 3 बजे तक कथा का आयोजन होगा। पुन: यज्ञ शुरू होकर शाम तक चलेगा। इस मौके पर मंदिर मुख्य पुजारी प्रकाश गिरी गोस्वामी, किशनगिरी, गोपाल गिरी, कालूनाथ रूपाखेड़ा आदि उपस्थित थे।



हरियाली अमावस्या पर लगता मेला
मुख्य पुजारी प्रकाशगिरी गोस्वामी ने बताया कि हरियाली अमावस्या पर मेला ग्राम पंचायत द्वारा लगाया जाएगा। नवरात्र में भी बड़ी दूर दूर से भक्त यहां दर्शनार्थ मंदिर पहुंचते हैं। विक्रम संवत 1188 से गोस्वामी परिवार बिरमावल द्वारा मां कालका की पूजा अर्चना की जा रही है। माँ की प्रतिमा को मदिरा का भोग भी श्रद्धालु आम दिनों में लगाते हैं। श्रद्धालु मां कालका के दर्शन के लिए रतलाम जिले सहित आसपास के उज्जैन, धार, झाबुआ, देवास, इंदौर आदि जिलों से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।


कालका, कालभैरव भी टेकरी पर विराजमान
इस ऐतिहासिक पांडवकालीन प्राचीन मंदिर में मुख्य रूप से 4 मूर्तियां विराजित हैं जिनमें मां कवलका की प्रतिमा उनके समीप कालिका माता फिर कालभैरव एवं भगवान भोलेनाथ शिवजी की प्रतिमाएं आदिकाल से विराजित हैं । मंदिर के समीप ही लालबाई माता का मंदिर स्थापित है। यहां नवरात्रि में भी हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष श्रद्धालु आते हैं। 300 से अधिक सीढिय़ां चढकऱ मंदिर पहुंचा जा सकता हैं। नज़दीकी रेलवे स्टेशन रूनिजा रेलवे से 12 किलोमीटर, प्रीतमनगर रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर, रतलाम रेलवे स्टेशन से 34 किलोमीटर तथा बडनगऱ से 25 किलोमीटर दुरी पर स्थित हैं। सातरुण्डा चौराहा फोरलेन पर स्थित हैं जहां से माताजी के लिए आम दिनों में वाहन उपलब्ध होते हैं ।

Updated on:
29 Dec 2025 10:30 pm
Published on:
29 Dec 2025 10:29 pm
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