रतलाम

गुजरात जाते समय 1939 में रतलाम आए थे ‘बोस’, भीड़ इतनी कि खत्म हो गए थे प्लेटफॉर्म टिकट

subhash chandra bose jayanti 2025: नेताजी सुभाषचंद्र बोस यानी नेताजी वर्ष 1939 में रतलाम आए थे। तब सुभाष को देखने इतनी भीड़ उमड़ी की रेलवे स्टेशन पर कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म टिकट ही खत्म हो गए थे। यहां पढ़ें Interesting Story

2 min read
Jan 23, 2025
रतलाम पहुंचे सुभाष चंद्र बोस को देखने उमड़ी थी लोगों की भीड़, भीड़ के बीचोंबीच नजर आ रहे नेताजी.

subhash chandra bose jayanti: आज पूरा देश नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती मना रहा है। इस अवसर पर नेताजी के रतलाम आगमन की चर्चा प्रासंगिक होगी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस यानी नेताजी वर्ष 1939 में रतलाम आए थे। तब सुभाष को देखने इतनी भीड़ उमड़ी की रेलवे स्टेशन पर कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म टिकट ही खत्म हो गए थे।

स्वाधीनता सैनानी लहरसिंह भाटी के पुत्र ललित भाटी ने बताया दरअसल, दाहोद के समाजवादी नेता हरीभाई शाह ने रतलाम में तत्समय, स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े कुछ अग्रणी कार्यकर्ताओं को यह खबर भिजवाई कि रात्रि को सुभाष बाबू फ्रंटियर मेल से गुजरात की तरफ, रतलाम के रास्ते प्रस्थित हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने प्रसन्नता देने वाला यह शुभ समाचार, नगर की जनता में आग की तरह फैला दिया। नियत तिथि को निश्चित समय पर उनके दर्शन एवं सत्कार के लिए हजारों की संया में जनसमूह रेलवे स्टेशन पर जमा हो गया था। हालत यह बनी कि प्लेटफार्म टिकट भी खत्म हो गए थे। हजारों नागरिक प्लेटफार्म के बाहर भी खड़े रहे।

नारों से गूंज उठा

नियत समय पर जैसे ही फ्रंटियर मेल ने प्लेटफार्म पर प्रवेश किया, वहां का समूचा वातावरण ’सुभाष बाबू जिंदाबाद के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। इस समय तक, बाहर प्रतीक्षारत लोगों ने भी प्लेटफार्म पर प्रवेश कर लिया था। उन्हें कोई नहीं रोक सका। अपने लिए आए एक विशाल जनसैलाब को देखकर सुभाष बाबू भी खुद को नहीं रोक पाए। वे रेल के डिब्बे से बाहर आ गए। उपस्थित नागरिक उनको सुनना चाहते थे। इस स्थिति को देखते हुए तत्समय के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेतृत्वकर्ता लहरसिंह भाटी ने वहां तत्काल सुभाष बाबू की सहमति लेते हुए, उनकी एक छोटी सभा का आयोजन तथा संचालन कर लिया।

पहनाया था जरी का साफा

सभा खत्म होते ही सभा का संचालन कर रहे लहरसिंह भाटी ने सुभाष बाबू को समानस्वरूप रतलामी जरी का साफा पहनाया। इसके बाद तो उनको रतलाम की जनता ने पुष्पहारों से लाद दिया। अपने असीम सत्कार से अभिभूत होकर सुभाष बाबू रतलाम के लोगों से वापस आने का वादा कर रेल में बैठ गए। इसके बाद तो सुभाष बाबू ने रतलाम में हुए अपने आत्मीय स्वागत की चर्चा औऱ तारीफ अनेक स्थानों पर की थी।

आजादी की लड़ाई में तैयार रहना

सुभाष बाबू ने अपने बहुत ही छोटे उद्धबोधन में रतलाम की जनता से आजादी की लड़ाई में तैयार रहने को कहा। वे हिन्दी औऱ अंग्रेजी, दोनों में बोले। जब उनका ओजस्वी भाषण चल रहा था, तो इसके कारण फ्रंटियर मेल 16 मिनट लेट हो गया। तब स्टेशन मास्टर ने वहां खड़े औऱ सुभाष बाबू के साथ आए सरदार शार्दूलसिंह से निवेदन किया कि मेल लेट हो रहा है, अत: आप सुभाष बाबू से रेल में बैठने के लिए कह दें। इस पर सरदारजी ने सुभाष बाबू को दूर से ही हाथ दिखाकर, सभा समाप्त करने का संकेत दे दिया। इधर सुभाष बाबू ने भी इशारा समझकर, तत्काल अपना भाषण समाप्त कर दिया।

    Published on:
    23 Jan 2025 11:00 am
    Also Read
    View All

    अगली खबर