Goddess Lakshmi Temple West Bengal : जानिए कोलकाता के श्री महालक्ष्मी मंदिर की कहानी, जहां स्वर्ण कमल को छूने से होती है धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति।
Golden Lotus of Mahalakshmi Temple Kolkata : कोलकाता, जिसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है, न केवल साहित्य, कला और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि देवी उपासना के अपने गहरे इतिहास के लिए भी जानी जाती है। इसी आध्यात्मिक धरोहर के केंद्र में स्थित है श्री महालक्ष्मी मंदिर, जो समृद्धि, सौभाग्य और सुख-शांति की देवी को समर्पित है। यह मंदिर पश्चिम बंगाल का सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिर माना जाता है। मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 25,000 वर्ग फुट है और इसकी ऊंचाई 75 फुट है। यह कोलकाता का सबसे बड़ा लक्ष्मी मंदिर है, जो वैभवशाली भारतीय मंदिर स्थापत्य से प्रेरित है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 19वीं शताब्दी में हुआ था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, एक व्यापारी ने स्वप्न में देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद इस मंदिर का निर्माण करवाया। उस समय से आज तक यह मंदिर कोलकाता के लोगों के आर्थिक और आध्यात्मिक जीवन का केंद्र बना हुआ है।
मंदिर की वास्तुकला बंगाल की पारंपरिक शैली में बनी है, जिसमें लाल ईंटों और संगमरमर का सुंदर मेल दिखाई देता है। गर्भगृह में स्थापित देवी महालक्ष्मी की मूर्ति स्वर्णाभूषणों से अलंकृत रहती है। कहा जाता है कि दीपावली की रात को जब पूरे मंदिर में हजारों दीप प्रज्वलित होते हैं, तो पूरा परिसर स्वर्णिम आभा से नहा उठता है।
हर शुक्रवार को, विशेष रूप से संध्या के समय, यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। भक्तजन अपनी आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख की कामना से देवी के चरणों में दीप और पुष्प अर्पित करते हैं। यहाँ यह विश्वास प्रचलित है कि सच्चे मन से माँ लक्ष्मी की आराधना करने वाला व्यक्ति कभी दरिद्र नहीं रहता।
दीपावली और कोजागरी लक्ष्मी पूजा के अवसर पर मंदिर में अत्यधिक भीड़ उमड़ती है। महिलाएँ थालियों में चावल, दूध, कमल और नारियल लेकर देवी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन कोलकाता की गलियाँ रोशनी से जगमगा उठती हैं, और मंदिर में भक्ति गीतों की गूंज वातावरण को पवित्र बना देती है।
रोचक तथ्य