Pitru Chalisa In Hindi : पितृपक्ष 2025 में पितरों को याद कर तर्पण, पिंडदान और पितृ चालीसा का पाठ करें। जानिए सही तिथियां, उपाय और कौन सी बातें रखें ध्यान में। पूर्वजों की आत्मा को शांति देने का शुभ समय।
Pitru Chalisa In Hindi : पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र अवधि मानी जाती है, जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दौरान अगर हम अपने पितरों की पूजा-संस्कार विधिपूर्वक करते हैं, तो उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एक प्रभावशाली तरीका है पितृ चालीसा का पाठ। यह चालीसा विशेष रूप से पितरों की संतुष्टि के लिए बनाई गई है। इसका नियमित पाठ करने से पितृ सुखी होते हैं और वंशजों की समस्याएं दूर होती हैं। पितृ चालीसा को पढ़ते समय पूरी श्रद्धा, भक्ति और मन से पढ़ना चाहिए। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
॥ दोहा।।
हे पितरेश्वर नमन आपको, दे दो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो, रख दो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर कर देन मनावा जी,
हे पितरेश्वर दया राखियो करियो मन की चाया जी।।
।। चौपाई।।
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर। चरण रज की मुक्ति सागर ।।
परम उपकार पितरेश्वर कीन्हा। मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ।।
मातृ-पितृ देव मनजो भावे। सोई अमित जीवन फल पावे ।।
जे जे जे पितर जी साईं। पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहि ।।
चारों ओर प्रताप तुम्हारा। संकट में तेरा ही सहारा ।।
नारायण आधार सृष्टि का। पितरजी अंश उसी दृष्टि का ।।
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते। भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ।।
झुंझुनू ने दरबार है साजे। सब देवो संग आप विराजे ।।
प्रसन्न होय मन वांछित फल दीन्हा। कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ।।
पित्तर महिमा सबसे न्यारी। जिसका गुण गावे नर नारी ।।
तीन मंड में आप बिराजे। बसु रुद्र आदित्य में साजे ।।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी। में सेवक समेत सुत नारी ।।
छप्पन भोग नहीं है भाते। शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ।।
तुम्हारे भजन परम हितकारी। छोटे बड़े सभी अधिकारी ।।
भानु उदय संग आप पुजावै। पांच अंजुलि जल रिझाने ।।
ध्वज पताका मंड पे है साजे। अखंड ज्योति में आप विराजे ।।
सदियों पुरानी ज्योत्ति तुम्हारी। धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ।।
शहीद हमारे यहाँ पुजाते। मातृ भक्ति संदेश सुनाते ।।
जगत पित्तरो सिद्धांत हमारा। धर्म जाति का नहीं है नारा ।।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई। सब पूजे पितर भाई।।
हिंदू वंश वृक्ष है हमारा। जान से ज्यादा हमको प्यारा ।।
गंगा ये मरूप्रदेश की। पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।।
बंधु छोड़कर इनके चरणां। इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।।
चौदस को जागरण करवाते। अमावस को हम धोक लगाते ।।
जात जडूला सभी मनाते। नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।।
धन्य जन्मभूमि का वो फूल है। जिसे पितृ मंडल की मिली धूल है।।
श्री पितर जी भक्त हितकारी। सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।।
निशदिन ध्यान धरे जो कोई। ता सम भक्त और नहीं कोई ।।
तुम अनाथ के नाथ सहाई। दीनन के हो तुम सदा सहाई ।।
चारिक वेद प्रभु के साक्षी। तुम भक्तन की लज्जा राखी ।।
नामा तुम्हारो लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहीं कोई ।।
जो तुम्हारे नित पांच पलोटत। नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।।
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी। जो तुम ये जावे बलिहारी ।।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लाने। ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।।
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे। सो निश्चय चारों फल पावे ।।
तुमहि देव कुलदेव हमारे। तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।।
सत्य आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावें कोई ।।॥
तुम्हारी महिमा बुद्धि बढ़ाई। शेष सहस्त्रमुख सके न गाई।।
में अतिदीन मतीन दुखारी। करहु कौन विधि विनय तुम्हारी ।।
अब पितर जी दया दीन पर कीजे। अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।।
।।दोहा।।
पित्तरों के स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़े वहां, पूरण हो सब काम।।
झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम,
पित्तर चरण की धूल ले, जीवन सफल महान।।
पितृ चालीसा पढ़ने से मानसिक शांति भी मिलती है। यह एक आध्यात्मिक शक्ति का संचार करती है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य पा सकता है। विशेष रूप से पितृपक्ष में यह पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।