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Pitru Paksha 2025 Date: 7 या 8 सितंबर, कब से शुरू होगा पितृपक्ष? जान लें श्राद्ध की तारीखें और महत्व

Pitru Paksha 2025 Shradh Dates In Hindi 2025: पितृपक्ष और श्राद्ध का महत्व की बात करें तो पुराणों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में यमराज सभी पितरों को कुछ समय के लिए मुक्त कर देते हैं, जिससे वे अपने परिवारजनों से तर्पण और पिंडदान ग्रहण कर सकें। यह समय पितरों को प्रसन्न करने का माना जाता है, जिससे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।

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भारत

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Anurag Animesh

Sep 05, 2025

Pitru Paksha 2025 Date

Pitru Paksha 2025 Date(AI Image-Gemini)

Pitru Paksha 2025 Shradh Dates In Hindi 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष बहुत बड़ा महत्व है। पितृपक्ष एक विशेष काल होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए उन्हें तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म अर्पित करते हैं। यह पितृपक्ष हर साल आती है और 15 दिनों तक चलती है। हर साल पितृपक्ष में लोग जरुरी नियम और अनुष्ठान करते हैं। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार से हो रही है। यह दिन भाद्रपद पूर्णिमा शुरू से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025, रविवार को आश्विन अमावस्या (जिसे महालय अमावस्याभी कहा जाता है) पर होगा। इन 15 दिनों के दौरान हिंदू परिवार अपने पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म करते हैं और जल तर्पण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस काल में पितृलोक के द्वार खुल जाते हैं और पूर्वज अपनी संतानों से तर्पण ग्रहण करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।

Pitru Paksha 2025 Date: श्राद्ध की तिथियां 2025

तिथिदिनतिथि (संवत्सर अनुसार)
7 सितंबररविवारपूर्णिमा श्राद्ध
8 सितंबरसोमवारप्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबरमंगलवारद्वितीया श्राद्ध
10 सितंबरबुधवारतृतीया श्राद्ध
11 सितंबरबुधवारचतुर्थी श्राद्ध
12 सितंबरगुरुवारपंचमी श्राद्ध
13 सितंबरशुक्रवारषष्ठी श्राद्ध
13 सितंबरशनिवारसप्तमी श्राद्ध
14 सितंबररविवारअष्टमी श्राद्ध
15 सितंबरसोमवारनवमी श्राद्ध
16 सितंबरमंगलवारदशमी श्राद्ध
17 सितंबरबुधवारएकादशी श्राद्ध
18 सितंबरगुरुवारद्वादशी श्राद्ध
19 सितंबरशुक्रवारत्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबरशनिवारचतुर्दशी श्राद्ध
21 सितंबररविवारसर्वपितृ अमावस्या

Pitru Paksha 2025 Kab Se Hai: पितृपक्ष और श्राद्ध का महत्व

पितृपक्ष और श्राद्ध का महत्व की बात करें तो पुराणों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में यमराज सभी पितरों को कुछ समय के लिए मुक्त कर देते हैं, जिससे वे अपने परिवारजनों से तर्पण और पिंडदान ग्रहण कर सकें। यह समय पितरों को प्रसन्न करने का माना जाता है, जिससे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। इस दौरान लोग अपने पितरों को खुश करने के लिए अलग-अलग तरह से श्राद्ध और अनुष्ठान करते हैं। श्राद्ध करने का अधिकार केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है। अब महिलाएं भी पूरी श्रद्धा के साथ श्राद्ध कर्म कर सकती हैं। इसमें पूर्वजों के नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए जल तर्पण, भोजन दान, और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल होता है।