धर्म और अध्यात्म

Pitru Paksha 2025 Shradh: पिंडदान सिर्फ गया में नहीं, पितृपक्ष में करें इन 6 दिव्य स्थानों पर पिंडदान, पूर्वजों को मिलेगा मोक्ष

Pitru Paksha 2025 Shradh: पिंडदान के लिए गया को सर्वोच्च तीर्थस्थल माना जाता है, लेकिन सनातन परंपरा में ऐसे कई अन्य पावन तीर्थस्थल भी हैं जहां पिंडदान करने से समान पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Sep 07, 2025
Best places for Pind Daan in India 2025| Pic Source- Gemini@Ai

Pitru Paksha 2025 Shradh: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का अत्यंत महत्वपूर्ण काल माना जाता है।इस समय हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा, तर्पण और पिंडदान के माध्यम से स्मरण करते हैं।शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि यदि इस काल में विधिपूर्वक धर्म-कर्म, और विशेष रूप से पिंडदान किया जाए, तो पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।पिंडदान के लिए गया को सर्वोच्च तीर्थस्थल माना जाता है, लेकिन सनातन परंपरा में ऐसे कई अन्य पावन तीर्थस्थल भी हैं जहां पिंडदान करने से समान पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।आइए जानते हैं ऐसे 7 पवित्र स्थानों के बारे में जहां पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान की परंपरा निभाई जाती है।

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Pitru Paksha 2025: 7 पवित्र स्थानों जहां पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान की परंपरा निभाई जाती है

गया जी (पितरों की मुक्ति का धाम)

गया जी में पितृ कर्म करने से सात पीढ़ियों तक के पूर्वजों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि पितृ पक्ष शुरू होते ही हजारों श्रद्धालु यहां आकर फल्गु नदी के किनारे और विष्णुपद मंदिर में पिंडदान व श्राद्ध करते हैं। इसे मुक्तिधाम भी कहा जाता है।

लेकिन केवल गया जी ही नहीं, भारत के कई और पावन स्थल ऐसे हैं जहां पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने से आत्माओं को सद्गति मिलती है। अगर किसी कारणवश आप गया जी न पहुंच पाएं तो इन स्थानों पर भी पितृ कर्म करना समान रूप से फलदायी माना गया है।

मथुरा (ध्रुव घाट का पौराणिक संबंध)

मथुरा में ध्रुव घाट पितरों को तर्पण अर्पित करने का पवित्र स्थल है। कथा है कि राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने अपने पूर्वजों का पिंडदान यहीं किया था और भगवान विष्णु ने स्वयं उसे स्वीकार किया था। इसीलिए मथुरा को श्राद्ध कर्म के लिए शुभ माना जाता है।

काशी ( शिवनगरी का महत्व)

वाराणसी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहां मणिकर्णिका घाट और पिशाचमोचन कुंड पितृ तर्पण के लिए विशेष प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से आत्मा शिव लोक को प्राप्त होती है। बहुत से लोग गया जाने से पहले काशी में त्रिपिंडी श्राद्ध करना शुभ मानते हैं।

प्रयागराज (त्रिवेणी संगम का पुण्य)

उत्तर प्रदेश का प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, पितृ तर्पण के लिए अद्वितीय स्थल है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण यहीं किया था। यहां किया गया पितृ कर्म पूर्वजों को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त करता है।

हरिद्वार ह(र की पौड़ी और नारायण शिला)

गंगा तट पर बसा हरिद्वार मोक्षदायिनी भूमि मानी जाती है। यहां हर की पौड़ी, कुशावर्त और नारायण शिला पर पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है। विशेषकर नारायण शिला पर किया गया श्राद्ध उन आत्माओं को मुक्ति देता है जो प्रेतयोनि में भटक रही होती हैं।

बद्रीनाथ (ब्रह्मकपाल घाट)

चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम में भी पितृ श्राद्ध का विशेष महत्व है। यहां अलकनंदा नदी के किनारे स्थित ब्रह्मकपाल घाट पर पिंडदान करने से आत्माओं को सद्गति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु अपने पूर्वजों की शांति के लिए यहां आकर विधिवत कर्म करते हैं।

पुरी ( जगन्नाथ धाम)

ओड़िशा स्थित पुरी, जहां भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है, पितृ पक्ष में पिंडदान करने के लिए भी अत्यंत शुभ स्थल माना गया है। मान्यता है कि यहां किए गए श्राद्ध से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है और वे परम शांति को प्राप्त करते हैं।

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Updated on:
07 Sept 2025 01:24 pm
Published on:
07 Sept 2025 12:44 pm
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