धर्म और अध्यात्म

Premanand Ji Maharaj: कर लें बस ये छोटा-सा काम, पूरा New Year 2026 बीतेगा हंसते-खेलते

New Year 2026 Premanand ji Maharaj: नए साल 2026 में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसे लेकर प्रेमानंद जी महाराज ने कुछ खास उपाय बताए हैं। यदि इन्हें अपना लिया जाए, तो आने वाला साल आपके लिए लकी साबित होगा। इस लेख में पढ़िए वे नियम...

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Dec 15, 2025
Premanand Ji Maharaj New Year 2026: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया नए साल की शुरुआत कैसे करें? (Image Credit: BhajanMarg)

New Year Celebration According to Premanand Ji Maharaj: नए साल 2026 को लेकर आपने कई प्लान्स बनाए होंगे। कुछ लोग घूमने का सोच रहे हैं, तो कुछ मंदिर या प्रवचन सुनकर इस साल की शुरुआत करना चाहते हैं। वहीं कुछ लोग अभी तक डिसाइड नहीं कर पाए हैं कि, इस साल का स्वागत कैसे करना है। ऐसे में आपके इसी सवाल का समाधान हम इस लेख में लेकर आए हैं। इसमें आप प्रेमानंद जी महाराज से समझेंगे कि, New Year 2026 का वेल्कम कैसे करें।

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प्रेमानंद जी महाराज ने नए साल पर क्या कहा?

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, वर्तमान में लोग नए साल को बहुत गलत तरीके से मनाते हैं। इससे उनका पूरा साल खराब हो जाता है। आजकल लोग साल की शुुरुआत में शराब पीते हैं, मांस खाते हैं और व्यभिचार करते हैं। ये आदतें सनातन धर्म की परंपरा के बिल्कुल खिलाफ हैं। सनातन कभी इन कामों की इजाजत नहीं देता। इन कृत्यों को करने से पाप लगता है और पूरा साल बिगड़ जाता है।

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार न्यू ईयर कैसे मनाएं?

नए साल पर क्या करना चाहिए, इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि, इस दिन रातभर नाम-कीर्तन करें। फिर सुबह होते ही, पशु और पक्षियों को दाना-पानी जरूर दें। गाय को हरा चारा अवश्य खिलाएं। जरूरतमंदों को खाना खिलाना बेहद शुभ होता है। हालांकि, ये काम रोजाना करना भी शांति और खुशहाली लाता है। इन्हें आप जब भी मौका मिलें, करें। भगवान की विशेष कृपा होगी।

गरीबों की मदद

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि नए साल के दौरान बहुत ठंड पड़ती है। इस वक्त जरूरतमंदों, गरीबों और वंचितों की मदद अवश्य करें। आप शॉल या कंबल भेंट कर सकते हैं। साथ ही नए साल का जश्न प्रभु के नाम के बिना अधुरा है। आपको जो भी भगवान सबसे अधिक प्रिय हों या जिसका नाम लेना सबसे ज्यादा पसंद हो, उनके नाम को जप करना बहुत लाभदायक होता है।

रामचरितमानस में भी साफ कहा गया है,

"कलयुग केवल नाम अधारा।
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा।।"

इसका अर्थ ये हुआ कि, कलयुग में केवल नाम ही समस्त दुखों को खत्म कर सकता है। साथ ही इसे लगातार जपकर मनुष्य भवसागर से पार उतर जाता है और परमात्मा को प्राप्त करता है।

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Updated on:
15 Dec 2025 03:22 pm
Published on:
15 Dec 2025 03:21 pm
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