Surya Arghya Niyam: ऐसा भी माना जाता है कि रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित किया जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।हालांकि, बहुत से लोग सूर्य उपासना तो करते हैं, लेकिन उन्हें इसका सही तरीका नहीं पता होता।
Surya Arghya Niyam: हिंदू धर्म में सूर्य देव को जल अर्पित करना बेहद शुभ और लाभकारी माना गया है। शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, सुबह की शुरुआत सूर्य देव को अर्घ्य देकर की जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पूरा दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ बीतता है। ऐसा भी माना जाता है कि रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित किया जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।हालांकि, बहुत से लोग सूर्य उपासना तो करते हैं, लेकिन उन्हें इसका सही तरीका नहीं पता होता। ऐसे में आइए जानते हैं कि सूर्य को जल अर्पित करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि सूर्य देव प्रसन्न हों और जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ सके।
सुबह सूर्योदय से लेकर अधिकतम 9 बजे तक सूर्य को जल अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है। इस समय सूर्य की किरणें शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं, जो शरीर को ऊर्जा और मन को शांति प्रदान करती हैं।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे या कलश का ही प्रयोग करना चाहिए। तांबे में सूर्य की ऊर्जा को संचित और प्रवाहित करने की क्षमता होती है, जिससे इसका प्रभाव शरीर तक जल्दी पहुंचता है।
अर्घ्य देने से पहले जल में अक्षत (चावल), रोली और लाल फूल डालना चाहिए। ये तीनों चीजें सकारात्मक तरंगों को आकर्षित करती हैं और सूर्य की कृपा को शीघ्र प्राप्त कराती हैं।
अर्घ्य देते समय व्यक्ति का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इसी दिशा से सूर्य का उदय होता है और यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। साथ ही इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ होता है।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद जहां जल धरती पर गिरता है, उस जल को अपने हाथों से स्पर्श कर माथे पर अवश्य लगाना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन में ताजगी का अनुभव होता है।
सूर्य को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है:
ॐ घृणिं सूर्य्यः आदित्यः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकरः
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ सवित्रे नमः