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Jagannath Puri Temple Ulti Ekadashi: उल्टी एकादशी सिर्फ पुरी में ही क्यों? जानिए कारण और जगन्नाथ भगवान से जुड़ी कहानी

Jagannath Puri Temple Ulti Ekadashi: पूरे देश में एकादशी के दिन अन्न और चावल का सेवन वर्जित माना जाता है, वहीं जगन्नाथ पुरी के मंदिर में इस दिन भगवान को विशेष रूप से चावल का भोग लगाया जाता है। यही नहीं, इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में भी वितरित किया जाता है।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 13, 2025

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Jagannath Puri temple special rituals on Ekadashi|फोटो सोर्स – Gemini @AI

Jagannath Puri: भारत की धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं अपने आप में रहस्य और आस्था का संगम हैं।वहीं एक रोचक कथा जुड़ी है पुरी के भगवान जगन्नाथ और एकादशी से। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन "उल्टी एकादशी" या "पार्श्व एकादशी" एक ऐसा पर्व है, जो विशेष रूप से ओडिशा के पुरी में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।शास्त्रों के अनुसार, यह व्रत और उत्सव भगवान विष्णु के विश्राम काल और जागरण से जुड़ा हुआ है। लेकिन यह अनोखी परंपरा, जिसे "उल्टी एकादशी" कहा जाता है, सिर्फ पुरी में ही क्यों मनाई जाती है?

जहां पूरे देश में एकादशी के दिन अन्न और चावल का सेवन वर्जित माना जाता है, वहीं जगन्नाथ पुरी के मंदिर में इस दिन भगवान को विशेष रूप से चावल का भोग लगाया जाता है। यही नहीं, इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में भी वितरित किया जाता है।आइए जानते हैं पुरी की इस अनोखी परंपरा के पीछे की वह रोचक पौराणिक कथा, जो इसे पूरे भारत से अलग बनाती है।

पौराणिक कथा: जब ब्रह्मा जी ने खाया कुत्ते संग प्रसाद

कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी स्वयं जगन्नाथ भगवान का प्रसाद ग्रहण करने के लिए पुरी आए। लेकिन तब तक मंदिर का सारा प्रसाद समाप्त हो चुका था। केवल एक पत्ते पर बचे हुए बासी चावल थे, जिन्हें एक कुत्ता चाट रहा था।
ब्रह्मा जी की भक्ति इतनी सच्ची थी कि उन्होंने बिना संकोच उस कुत्ते के साथ बैठकर वही चावल ग्रहण करना शुरू कर दिया। तभी वहां एकादशी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने ब्रह्मा जी को टोकते हुए कहा – “आज एकादशी का दिन है, आप चावल कैसे खा सकते हैं?”

तभी स्वयं जगन्नाथ स्वामी प्रकट हुए और उन्होंने एकादशी देवी से कहा – “जहां सच्ची भक्ति हो, वहां नियम-कायदों की कोई बाध्यता नहीं होती।”
इसके बाद महाप्रभु ने आदेश दिया कि –“आज से मेरे महाप्रसाद पर एकादशी व्रत का कोई बंधन लागू नहीं होगा। मेरे भक्त इस दिन भी चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगे। और तुम्हें (एकादशी देवी को) मैं उल्टा लटका दूंगा ताकि यह नियम पुरी में उल्टा हो जाए।”यही कारण है कि तब से आज तक पुरी में एकादशी को ‘उल्टी एकादशी’ कहा जाता है और इस दिन भगवान जगन्नाथ को चावल का भोग लगाया जाता है।

Jagannath Puri Temple Special Rituals: क्यों है खास पुरी की यह परंपरा?

यहां एकादशी का उपवास तोड़कर भी भक्तों को पुण्य मिलता है।भक्त मानते हैं कि महाप्रसाद ही साक्षात भगवान का स्वरूप है, और उसे किसी दिन मना करना उचित नहीं।यह परंपरा बताती है कि भक्ति में नियम से अधिक महत्व भाव का होता है।

रहस्यमयी और रोचक पौराणिक कथा

इस अनोखी परंपरा ने जगन्नाथ मंदिर को और भी अद्भुत और रहस्यमयी बना दिया है। यही कारण है कि पुरी आने वाला हर भक्त ‘जय जगन्नाथ’ का जयकारा लगाते हुए इस विशेष उल्टी एकादशी की कथा सुनकर भाव-विभोर हो जाता है।