धर्म और अध्यात्म

Tulsi Vivah 2025: कार्तिक महीने में तुलसी विवाह का धार्मिक महत्त्व

Tulsi Vivah 2025: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला तुलसी विवाह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन तुलसी पौधे का विवाह भगवान विष्णु के अवतार से किया जाता है।

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Oct 09, 2025
Tulsi worship method in Kartik month|फोटो सोर्स – Grok

Tulsi Vivah 2025: कार्तिक महीने को हिंदी घरों में सबसे पुण्य माह माना जाता है। इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला तुलसी विवाह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन तुलसी पौधे का विवाह भगवान विष्णु के अवतार से किया जाता है। कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी पूजा का धार्मिक महत्व क्या है।

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तुलसी विवाह का तिथि


हर साल यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है, जोकि इस वर्ष 2 नवंबर को पड़ रही है। 2 नवंबर को सुबह 07:31 से शुरू होगी और 3 नवंबर सुबह 05:07 तक रहेगी।

तुलसी विवाह का आध्यात्मिक महत्व

तुलसी विवाह आमतौर पर घर के आंगन, बालकनी या छत पर तुलसी के पौधे के पास किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह होता है। तुलसी माता को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है और भगवान विष्णु उनके वर हैं। यह शुभ आयोजन घर में सुख-शांति और समृद्धि लेकर आता है।अगर विवाहित स्त्रियां इस पूजा को विधिपूर्वक करती हैं, तो उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। साथ ही, यह पूजा कुंवारी कन्याओं के लिए भी शुभ मानी जाती है उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है।

तुलसी विवाह का धार्मिक संदर्भ

शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ महीने की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी को जागते हैं। विष्णु भगवान के जागरण के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह संपन्न होता है।

तुलसी विवाह की पूजन विधि

  • साफ-सफाई और स्थान चयन: सबसे पहले घर को अच्छी तरह से साफ करें और तुलसी के पौधे को स्वच्छ, पवित्र स्थान पर रखें।
  • तुलसी माता का श्रृंगार: तुलसी को लाल या पीले वस्त्र पहनाएं, कुमकुम, हल्दी, चूड़ा, फूल आदि से श्रृंगार करें।
  • भगवान विष्णु की स्थापना: तुलसी के बाईं ओर भगवान विष्णु या शालीग्राम की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पूजन सामग्री अर्पण: तुलसी में जल चढ़ाएं, फिर सिंदूर, अक्षत (चावल), पुष्प, हल्दी और मिठाई अर्पित करें।
  • सुहाग सामग्री चढ़ाना: पूजा में चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, लाल चुनरी जैसे सुहाग की वस्तुएं भी तुलसी को अर्पित की जाती हैं।
  • आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के बाद तुलसी माता और भगवान विष्णु की आरती करें, फिर सभी को प्रसाद वितरित करें।

तुलसी विवाह के समय ध्यान देने योग्य बातें

  • तुलसी विवाह हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
  • इस दिन तुलसी में जल के साथ दूध और फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • विवाहित और कुंवारी महिलाओं को इस दिन व्रत रखने की परंपरा है।
  • तुलसी को लाल चुनरी और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करना अत्यंत शुभ फलदायक होता है।

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Updated on:
09 Oct 2025 04:13 pm
Published on:
09 Oct 2025 03:24 pm
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