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Jaya Kishori Meet Premanand Ji : जया किशोरी को प्रेमानंद जी ने सौंपा ये दो काम, सामने आया VIDEO

Jaya Kishori Meet Premanand Ji : भजन गायिका जया किशोरी प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंची। आइए जानते हैं कि महाराज जी ने जया किशोरी को क्या उपदेश दिया।

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Jul 14, 2025
Jaya Kishori Meet Premanand ji | Photo- Bhajan Marg/ YT

Jaya Kishori Meet Premanand Ji : भजन गायिका जया किशोरी प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंची। वहां पर उन्होंने महाराज जी से मुलाकात की। इस दौरान वो दोनों हाथ जोड़े आश्रम में गई और इसके बाद प्रेमानंद महाराज का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान जया किशोरी (Jaya Kishori) को महाराज जी ने उपदेश दिया। साथ ही प्रेमानंद जी ने जया को कुछ काम भी सौंपा है। आइए जानते हैं कि महाराज जी ने जया किशोरी को क्या कहा-

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भगवान का नाम, गुण, लीला हर जीव का अधिकार

जया किशोरी को उपदेश देने का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो को प्रेमानंद जी के अधिकारिक चैनल से लाइव किया गया है। जब जया किशोरी मुस्कुराती हुईं प्रेमानंद महाराज जी के सामने पहुंची उन्होंने कहा खूब आराधना करो, भगवान का नाम, गुण, लीला हर जीव का अधिकार है। भगवान ने कहा ही है जो मेरे में चित्त लगाएगा, जो मुझमें प्राण अर्पित किए हुए हैं, मेरे चर्चा करने में ही संतुष्ट हैं, इसी चर्चा में रमन करते हैं, उसी में संतुष्ट रहते हैं…।

इस दौरान महाराज जी ने उन्हें भक्ति में निरंतर लगे रहने की सलाह दी और गीता के श्लोकों से मार्गदर्शन किया।

प्रेमानंद जी ने कहा-

“मच्चित्ता मद्गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम् |
कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च ||

इसे समझाते हुए समझाते हुए कहा कि जो लोग भगवान में चित्त लगाते हैं, उन्हीं की चर्चा में आनंदित रहते हैं। इसके बाद उन्होंने गीता के अगले श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा:

“तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् |
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ||”

महाराज जी ने इसको समझाते हुए जया किशोरी को कहा, हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह भगवान के गुणों का कीर्तन करे, भजन करे और समाज को भी अध्यात्म की राह पर आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा कि *“हम सभी भगवान के बच्चे हैं, उनका यशगान करना और भजन करना हर किसी का अधिकार है।

इसके साथ ही महाराज जी ने जया किशोरी को मीरा बाई, रत्नावती जी जैसी महान संत महिलाओं के उदाहरण देकर प्रेरित किया। उन्होंने तुलसीदास जी की चौपाई को बोला:

“पुरुष नपुंसक नारि वा जीव चराचर कोइ।
सर्व भाव भज कपट तजि मोहि परम प्रिय सोइ॥”

अर्थात् भगवान को वही प्रिय है, जो छल-कपट छोड़कर सच्चे मन से भक्ति करता है। अंत में श्री प्रेमानंद महाराज ने जया किशोरी को आशीर्वाद देते हुए अंत में ये कहा, “खूब नाम जप करो और दूसरों को भी करवाओ।” इस तरह से जया किशोरी महाराज जी का आशीर्वाद लेकर वहां से निकलीं।

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